झारखंड में कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी को लेकर उपायुक्तों के साथ होगी बैठक, इन 18 बिंदुओं पर होगी चर्चा
इसके अलावा जिलों में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने और 30 जुलाई की समय सीमा में कार्य की प्रगति, निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने, पीडियेट्रिक बेड मैनेजमेंट व चाइल्ड फ्रेंडली वार्ड व आइसीयू बेड तैयार करने, निजी शिशु अस्पताल की कमी, जीरो वेस्टेज वैक्सीनेशन
Third wave in jharkhand रांची : कोरोना की तीसरी लहर की तैयारी को लेकर स्वास्थ्य विभाग के सचिव व अन्य अधिकारी शनिवार को सभी उपायुक्तों के साथ बैठक करेंगे. बैठक में 18 बिंदुओं पर चर्चा होगी. एनएचएम के अभियान निदेशक ने राज्य के सभी उपायुक्तों को इस ऑनलाइन बैठक में शामिल होने का निर्देश दिया है. राज्य के इंट्री प्वाइंट पर जांच करने, संक्रमित की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करने, होम आइसोलेशन का सख्ती से पालन कराने के साथ-साथ कोविड अनुकूल व्यवहार अपनाने (टेस्ट, ट्रैक, आइसाेलेट, ट्रीट व वैक्सीनेट) पर चर्चा होगी.
इसके अलावा जिलों में पीएसए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने और 30 जुलाई की समय सीमा में कार्य की प्रगति, निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने, पीडियेट्रिक बेड मैनेजमेंट व चाइल्ड फ्रेंडली वार्ड व आइसीयू बेड तैयार करने, निजी शिशु अस्पताल की कमी, जीरो वेस्टेज वैक्सीनेशन,
पोस्ट कोविड वार्ड की प्रतिदिन रिपोर्टिंग, टीका के बाद हुए संक्रमितों की मौत का सर्वे करने, आरटीपीसीआर लैब में मैनपावर की कमी दूर करने, जिलों में दवाओं की उपलब्धता, पीडियेट्रिक केस मैनेजमेंट, जिला व ब्लॉक स्तर पर उपकरणों की स्थिति व जिला के वार रूम और आइडीएसपी सेल काे मजबूत बनाने पर चर्चा की जायेगी.
रिम्स में तैयारी शुरू
कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमित होने की आशंका को लेकर रिम्स ने भी तैयारी शुरू कर दी है. रिम्स टास्क फोर्स व बच्चों के डॉक्टरों ने केंद्र सरकार के प्रोटोकॉल के हिसाब से ट्रीटमेंट चार्ट व रूपरेखा तैयार कर लिया है. इसके तहत बच्चों के अस्पताल पहुंचने के बाद स्क्रीनिंग की जायेगी. बच्चे को सामान्य वार्ड या आइसीयू में भर्ती करने का निर्णय लिया जायेगा. इसी दौरान दवा व डायट चार्ट पर भी फैसला होगा.
रिम्स टास्क फोर्स का कहना है स्क्रीनिंग सेंटर में शिशु चिकित्सकों कितनी टीम रहेगी, टीम में कितने सीनियर व जूनियर डॉक्टर होंगे, इसका खाका तैयार कर लिया गया है. रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि हमारी तैयारी पूरी है. डेढ़ साल से डॉक्टर संक्रमितों को देख रहे हैं. अगर बच्चे संक्रमित हुए, तो उनके इलाज में कोई परेशानी नहीं होगी. संक्रमण से बच्चों का फेफड़ा ज्यादा प्रभावित हो जाता है, इसलिए आइसीयू बेड की संख्या ज्यादा रखी गयी है.
Posted by : Sameer Oraon