जहां के वातावरण में धूल कण ज्यादा, वहां पर तेजी से फैला कोरोना, इस रिसर्च में हुआ खुलासा

झारखंड में कोविड के आकड़ों पर गौर करने पर पाया गया कि यहां भी उन शहरों में कोविड-19 के ज्यादा मामले आये, जहां प्रदूषण अधिक है. इसमें धनबाद, रांची, जमशेदपुर, बोकारो, रामगढ़ आदि शहर शामिल हैं. इन शहरों में कई प्रकार की औद्योगिक इकाइयों द्वारा खनन किये जाने के कारण प्रदूषण अधिक है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 16, 2021 9:20 AM

Most Covid Cases City In India 2021 रांची : हाल के एक रिसर्च में पाया गया है कि जहां वातावरण में ज्यादा धूलकण (पीएम-2.5) थे, वहां कोविड-19 से प्रभावित होनेवालों की संख्या ज्यादा रही. इस विषय पर उत्कल यूनिवर्सिटी भुवनेश्वर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी पुणे, एनआइटी राउरकेला और आइआइटी भुवनेश्वर के डॉ सरोज कुमार साहु, पूनम मंगराज, गुफराम बेग, भीष्म त्यागी, सुवर्णो टिकले और वी विनोज ने अध्ययन किया है. झारखंड सहित देश के सभी राज्यों का डाटा जमा किया गया है.

झारखंड में कोविड के आकड़ों पर गौर करने पर पाया गया कि यहां भी उन शहरों में कोविड-19 के ज्यादा मामले आये, जहां प्रदूषण अधिक है. इसमें धनबाद, रांची, जमशेदपुर, बोकारो, रामगढ़ आदि शहर शामिल हैं. इन शहरों में कई प्रकार की औद्योगिक इकाइयों द्वारा खनन किये जाने के कारण प्रदूषण अधिक है.

वहीं रांची जैसी शहर में वाहनों की संख्या के कारण आबादी अधिक है. बोकारो में 18728 से अधिक मामले मिले, वहीं 274 लोगों की मौत हो गयी. धनबाद में 15714 से अधिक कोविड के मामले आये, 378 लोगों की मौत हो गयी. जमशेदपुर में 49787 मामले आये, जबकि 1029 लोगों की मौत वहां हो गयी. इसी तरह रांची में 82203 मामले आये, जबकि 1580 लोगों की मौत केवल रांची में हो गयी.

रामगढ़ जैसे छोटे जिले में 13400 से अधिक कोविड के मरीज मिले, जबकि 196 लोगों की मौत हो गयी. वहीं प्रदूषण के हिसाब से कम प्रदूषित शहर दुमका में 4501 कोविड के मामले आये. गढ़वा में 6537 मामले प्रकाश में आये. साहिबगंज में 4607 मामले आये. इन शहरों में प्रदूषण बड़े शहरों की तुलना में कम हैं.

रिसर्च में जिक्र है कि महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलांगना, गुजरात, बिहार, कर्नाटक, ओड़िशा और मध्य प्रदेश में कोविड के ज्यादा मामले आये. इन राज्यों में वातावरण में प्रति वर्ष पीएम-2.5 अन्य राज्यों की तुलना में अधिक हैं. कुछ ऐसे शहरों को भी रिसर्च में चिह्नित किया गया, जहां कोविड के ज्यादा मामले प्रकाश में आये. इसमें दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, कोलकाता, पुणे, अहमदाबाद, वाराणसी, लखनऊ और सूरत जैसे शहर रहे.

इन शहरों में वातावरण में पीएम-2.5 अधिक था. अध्ययन में पीएम-2.5 (छोटे-छोटे कण) को कोविड के वायरस का कैरियर भी माना गया है. कहा गया है कि यह कण वायरस को एक से दूसरे स्थान पर फैला सकता है. इससे संक्रमण बढ़ने की संभावना ज्यादा बनी रहती है.

जिन बड़े शहरों में कोविड के ज्यादा मामले, वहां भी वातावरण में धूल कण (पीएम-2.5) अधिक था

धूल कण को कोरोना वायरस का कैरियर बताया गया

इन शहरों में मामले ज्यादा

शहर पीएम-2.5 कोविड

(जीजी प्रति वर्ष) मामले

आंध्र प्रदेश 294.82 842967

बिहार 549.87 222787

गुजरात 482.53 180699

हरियाणा 330.15 182804

झारखंड 190.67 104442

मध्य प्रदेश 581.49 177361

राजस्थान 541.33 211310

तमिलनाडु 482.36 743822

इन शहरों में मामले कम

शहर पीएम-2.5 कोविड

(जीजी प्रति वर्ष) मामले

अंडमान निकोबार 2.07 4450

चंडीगढ़ 8.14 15134

दादर नगर हवेली 2.88 1594

जम्मू-कश्मीर 60.44 25486

मणिपुर 17.31 20376

मेघालय 17.59 10202

(नोट : आकड़े अध्ययन के समय के हैं. जीजी- गीगा ग्राम प्रति वर्ष)

क्या कहते हैं अनुसंधान करनेवाले

अनुसंधान करनेवाले उत्कल यूनिवर्सिटी के डॉ सरोज कुमार साहु बताते हैं कि इस तरह का देश का पहला अनुसंधान है. इसमें यह पाया गया है कि फोसिल फोइल (कोल, पेट्रोल, डीजल आदि) से जहां प्रदूषण हो रहा है, वहां कोविड-19 के मामले ज्यादा हैं. जहां छोटे-छोटे कण वातावरण में ज्यादा हैं, वहां कोविड वायरस का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने की संभावना ज्यादा है. कण जितना छोटा होगा, वह उतना देर तक वायरस का कैरियर हो सकता है. यह विदेशों के कई विश्वविद्यालयों के अध्ययन में भी सामने आया है. झारखंड में भी कई ऐसे शहर हैं, जहां फोसिल फोइल का प्रदूषण ज्यादा है.

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