Coronavirus Side Effect: कमजोर फेफड़े के साथ मेहनत कर रहे युवा हो रहे हादसे का शिकार
रिम्स के कार्डियोलॉजिस्ट ने बताया कि कोरोना के कारण संक्रमित मरीजों के हार्ट की धमनियों में थक्का (थ्रोम्बोटिक) जमने का मामला आया था. इसका पता एक साल के शोध में चला था.
रांची : कोरोना महामारी की भयावहता भले ही खत्म हो गयी है, लेकिन वायरस का साइड इफेक्ट अभी भी दिख रहा है. देश-विदेश में कई जगहों पर हृदयाघात के कारण लोगों की जान जाने की शिकायतें आ रही हैं. वहीं युवाओं पर इसका असर इसलिए ज्यादा दिख रहा है, क्योंकि उन्होंने कड़ी मेहनत शुरू कर दी है. इस संबंध में रिम्स के मेडिसिन विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ विद्यापति ने बताया कि कोरोना की चपेट में आये वैसे मरीज, जिनका फेफड़ा संक्रमित हुआ था और जिनको अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था, उनको कड़ी मेहनत नहीं करनी चाहिए. सामान्य दिनचर्या में असर नहीं दिखने से लोग खुद को पूर्ण स्वस्थ मानते हुए मेहनत करने लगे हैं. स्वास्थ्य की जांच भी नहीं कराते हैं, इसलिए हादसे के शिकार हो जा रहे है.
जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी, रहें सावधान :
रिम्स के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ प्रशांत कुमार ने बताया कि कोरोना के कारण संक्रमित मरीजों के हार्ट की धमनियों में थक्का (थ्रोम्बोटिक) जमने का मामला आया था. इसका पता एक साल के शोध में चला था. फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ निशीथ कुमार ने बताया कि जिन मरीजों को कोरोना के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी, वह जिम और लंबी दौड़ लगाने से पहले हृदय और फेफड़ा की जांच जरूर करा लें.
आइसीएमआर ने भी दी थी चेतावनी
कोरोना के बाद युवाओं में अचानक बढ़े हृदयाघात (हार्ट अटैक) के बाद आइसीएमआर ने मरीजों पर शोध कराया था. इसके बाद आइसीएमआर ने विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी. इसमें कोरोना की गंभीर समस्या वाले लोगों को कठिन परिश्रम, दौड़ने और ज्यादा कसरत करने से बचने की सलाह दी गयी थी. बचाव के लिए लंबे समय तक ख्याल रखने की जरूरत है.
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