coronavirus update in jharkhand : कोरोना संक्रमितों के इलाज में कारगर साबित हो रही प्रोन वेंटिलेशन तकनीक

कोरोना संक्रमितों के इलाज में प्रोन वेंटिलेशन तकनीक मददगार

By Prabhat Khabar News Desk | October 7, 2020 6:43 AM

रांची : झारखंड में कुछ दिनों से संक्रमितों की संख्या में कमी आयी है, लेकिन पांच फीसदी ऐसे भी संक्रमित हैं, जिनकी जटिलता बढ़ने पर उन्हें आइसीयू में भर्ती कर इलाज करना पड़ रहा है. कुछ गंभीर संक्रमितों काे वेंटिलेटर पर रखकर इलाज करना पड़ रहा है, क्याेंकि वे निमोनिया की चपेट में आ जा रहे हैं.

डॉक्टर ऐसे गंभीर संक्रमितों को बचाने के लिए दवाओं के साथ-साथ वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग कर रहे हैं. संक्रमितों को प्रोन वेटिंलेशन (पेट के बल लिटाना) में रखा जा रहा है, जिससे रिकवरी बेहतर हो रही है. कोरोना संक्रमितों के लिए वायरस का फेफड़ों तक पहुंचना बेहद चिंताजनक है.

निमोनिया की चपेट में आने से संक्रमितों को सांस लेने में परेशानी होने लगती है. ऐसे गंभीर संक्रमितों को हाई फ्लो ऑक्सीजन पर रखना पड़ता है. ऑक्सीजन का स्तर लगातार गिरने पर उनको नॉन-इंवेजिव वेंटिलेटर या वेंटिलेटर पर रखना पड़ रहा है. कृत्रिम उपकरणों और दवाओं से सुधार नहीं होने पर डॉक्टर संक्रमितों को प्रोन वेंटिलेशन (पेट के बल लिटाकर) से इलाज कर रहे हैं.

होश वाले संक्रमितों को पांच से 10 घंटे तक अवेक प्रोनिंग वेंटिलेशन दिया जा रहा है. वहीं, बेहोश संक्रमितों को 18 घंटे तक प्रोन वेंटिलेशन दिया जा रहा है.

प्रोन वेंटिलेशन का वैज्ञानिक कारण

हमारे फेफड़ों की बनावट सामने की तरफ पतली होती है, क्योंकि आगे हृदय होता है. वहीं, पीठ की तरह फेफड़े का आकार चौड़ा होता है. संक्रमण से फेफड़ों के सामने का भाग ज्यादा प्रभावित होता है. इस स्थिति में पीठ के बल सोने से फेफड़ों के निचले भाग का उपयोग नहीं होता है. जबकि पेट के बल सोने से फेफड़ों के निचले भाग का उपयोग होने लगता है.

इससे ऑक्सीजन का सेचुरेशन लेवल बढ़ जाता है. जानवर भी इसी प्रक्रिया के जरिये सांस लेते हैं. इसी कारण से जानवरों में कोरोना संक्रमण नहीं पाया गया. दूसरा फायदा यह है कि मनुष्य की सांस की नली आगे की तरफ होती है. पेट के बल सोने से कफ नीचे की तरह आ जाता है और पेट में जाकर मल के जरिये बाहर निकल जाता है.

बैलून फुलाने से भी स्वस्थ होता है फेफड़ा

कोरोना संक्रमण से ठीक होने की स्थिति (पोस्ट कोविड) में मरीजों को स्पाइरोमीटर और बैलून फुलाने का अभ्यास कराया जा रहा है. स्पाइरोमीटर में सांस फूंकने का अभ्यास कराया जाता है. इससे फेफड़ा फैलता है. कोरोना से राहत मिलने के बाद फाइब्रोसिस से बचाव के लिए यह बहुत जरूरी है. बैलून फूलाने से भी फेफड़ा का व्यायाम होता है. वहीं, प्राणायाम के नियमित अभ्यास से भी फेफड़ा का फैलाव होता है.

प्रोन वेंटिलेशन से शिक्षा मंत्री की हालत में सुधार

कोरोना संक्रमित शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के स्वास्थ्य में सुधार हुअा है. उनका ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल 95 से बढ़ कर 97 हो गया है. उनको नॉन इंवेजिव वेंटिलेटर पर रखकर इलाज किया जा रहा है. ऑक्सीजन सेचुरेशन लेवल में वृद्धि के लिए शिक्षा मंत्री काे डॉक्टर प्रोन वेंटिलेशन का अभ्यास कराना शुरू कर दिया है. हालांकि, वे केवल आधा घंटा तक ही अभ्यास कर पा रहे है, क्योंकि उनका फेफड़ा ज्यादा संक्रमित हो गया है.

posted by : sameer oraon

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