Jharkhand News, Ranchi News रांची : कोरोना महामारी के समय में जो लोग कालाबाजारी या शोषण कर रहे हैं, वे मानवता के दुश्मन हैं. महामारी को अवसर नहीं मानना चाहिए. शोषण या कालाबाजारी करनेवालों से सख्ती से निबटा जाना चाहिए. एक-एक व्यक्ति का जीवन महत्वपूर्ण है. सभी का जीवन बचाया जाये.
झारखंड हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने गुरुवार को यह टिप्पणी की. खंडपीठ राज्य में कोरोना के बढ़ते संक्रमण की रोकथाम को लेकर स्वत संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई कर रही थी.
खंडपीठ ने कहा कि ऑक्सीजन चोरी होने की बात दुर्भाग्यपूर्ण है. राज्य में कहीं भी ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं हो, इसका सरकार पूरा ध्यान रखे.
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ को बताया कि 18 प्लस वालों के टीकाकरण में परेशानी आ रही है. इसे लेकर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, ताकि टीकाकरण की गति को तेज किया जा सके और लोगों का जीवन बचाया जा सके.
सुनवाई के दौरान खंडपीठ को यह बताया गया कि पीएम केयर्स फंड से झारखंड को मिले वेंटिलेटर की क्वालिटी सही नहीं है. लगभग आधी मशीन बेकार पड़ी है. इस पर खंडपीठ ने राज्य सरकार को केंद्र से पत्राचार करने को कहा. साथ ही केंद्र सरकार के अधिवक्ता राजीव सिन्हा को भी वेंटिलेटर के मामले को देखने को कहा.
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने बताया कि झारखंड को रेमडेसिविर इंजेक्शन की नियमित आपूर्ति की जा रही है. रेमडेसिविर की कोई कमी नहीं है. वहीं, झारखंड स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष व मामले के एमिकस क्यूरी अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने अधिवक्ताओं का टीकाकरण कराने की बात कही.
हाइकोर्ट ने एक याचिका पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को ऑक्सीजन प्लांट की स्थापना के मामले में जवाब दायर करने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार से जानना चाहा कि राज्य में कहां-कहां ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया गया है और कहां-कहां स्थापित किया जाना है और कब तक स्थापित कर दिया जायेगा, ताकि ऑक्सीजन की कहीं कोई कमी नहीं रहे. मामले की अगली सुनवाई के दौरान शपथ पत्र के माध्यम से जानकारी देने का निर्देश दिया.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने खंडपीठ को बताया कि राज्य में चार ऑक्सीजन प्लांट लगाये गये हैं. जिलों में लगभग 27 ऑक्सीजन प्लांट लगाये जाने हैं. इसकी तैयारी की जा रही है. केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता राजीव सिन्हा ने खंडपीठ को बताया कि ऑक्सीजन प्लांट लगाने की अनुमति दे दी गयी है. उन्होंने झारखंड को प्राथमिकता के आधार पर दो ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक उपलब्ध कराने की बात कही.
हाइकोर्ट ने रिम्स में इलाज की लचर व्यवस्था को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने रिम्स के लिए खरीद जा रही सीटी स्कैन मशीन व अन्य मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति में विलंब पर नाराजगी जतायी. रिम्स के जवाब को देखते हुए खंडपीठ ने मेडिकल उपकरण की आपूर्ति करनेवाली संबंधित कंपनी सीमेंस इंडिया को प्रतिवादी बनाने को कहा.
खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि रिम्स के लिए अविलंब सीटी स्कैन मशीन खरीदने का निर्देश दिया गया था. रिम्स की गवर्निंग बॉडी की बैठक हुई थी, जिसमें कई निर्णय लिये गये थे. बैठक में सिटी मशीन व अन्य जरूरी मेडिकल उपकरण खरीदने व रिम्स में रिक्तियों को भरने पर सहमति बनी थी, लेकिन अब तक रिम्स में न तो मेडिकल उपकरणों की आपूर्ति हो पायी है और न ही रिक्तियों को भरा गया है.
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के दौरान अद्यतन जानकारी देने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित थे. खंडपीठ को बताया गया कि रिम्स के लिए सीटी स्कैन मशीन खरीदने का ऑर्डर जारी कर दिया गया है, लेकिन सीमेंस इंडिया नामक कंपनी आपूर्ति करने में विलंब कर रही है. इस पर खंडपीठ में कंपनी का स्थायी पता देने को कहा, ताकि उसे प्रतिवादी बना कर नोटिस दिया जा सके. मालूम हो कि रिम्स में इलाज की लचर व्यवस्था को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उस जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.
हाइकोर्ट ने नारी निकेतन की दयनीय आर्थिक स्थिति को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया. सरकार से पूछा कि संस्था को फंड क्यों नहीं आवंटित किया गया है. इस पर राज्य सरकार की ओर से समय लिया गया. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने सरकार के आग्रह को स्वीकार करते हुए समय प्रदान किया.
मामले की अगली सुनवाई के लिए 27 मई को होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने खंडपीठ को बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2018 के बाद नारी निकेतन को फंड आवंटित नहीं किया है. नारी निकेतन संस्था बेसहारा महिलाओं व पीड़ित महिलाओं की देखभाल करती है.
राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता दर्शना पोद्दार मिश्र ने पक्ष रखा. उन्होंने जवाब दायर करने के लिए खंडपीठ से समय देने का आग्रह किया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी नारी निकेतन कांके की ओर से जनहित याचिका दायर कर फंड आवंटित करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग की गयी है.
Posted By : Sameer Oraon