Coronavirus Jharkhand Update, Famous Personality Of Jharkhand Death News: कांके निवासी व भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमएडी) के दिल्ली स्थित कार्यालय में पदस्थापित डॉ अशोक कुमार बाखला के अलावा आरके फिजियोथेरेपी के निदेशक डॉ रजनीश कुमार और आदिवासी धर्मगुरु वीरेंद्र भगत व झारखंड के अन्य जानी-मानी हस्तियां कोरोना से जंग हार गए.
आदिवासी धर्मगुरु वीरेंद्र भगत शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गये. इनके अलावा पूर्व बड़ी संख्या में लोग उनके आवास पर पहुंचे और श्रद्धासुमन अर्पित किये. दोपहर करीब एक बजे डॉ भगत के शव को होचर पतराटोली में मंझले भाई राजेंद्र भगत ने मुखाग्नि दी.
वीरेंद्र भगत का शव शुक्रवार की रात में ही रिम्स से होचर पतराटोली स्थित आवास लाया गया था. शव लाये जाने के साथ ही पत्नी, माता-पिता, भाई-बहन फफक कर रो पड़े. घर व मोहल्ले का माहौल गमगीन हो गया था. शनिवार को निकली शव यात्रा में मांडर विधायक बंधु तिर्की, अजयनाथ शाहदेव, जिप सदस्य अमर उरांव, अालोक उरांव, एनुल हक, महेश महतो, मुकेश भगत, विक्रम महतो, प्रदीप महतो, अमित तिवारी, कामेश्वर महतो, कुशल उरांव, किशुन उरांव समेत भाजपा, कांग्रेस, झामुमो, झाविमो, आजसू सहित अन्य दलों के कार्यकर्ता शामिल हुए.
सरना प्रार्थना सभा की शुरुआत की थी: आदिवासी नेता शिवा कच्छप ने बताया कि वीरेंद्र भगत ने आदिवासी समाज को एकजुट करने के लिए सरना प्रार्थना सभा की शुरुआत की थी. वे इसके संस्थापक थे. उन्होंने सरना धर्म कोड और झारखंड अलग राज्य आंदोलन में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था.
अंजुमन इस्लामिया ने जताया शोक : वीरेंद्र भगत के निधन पर अंजुमन इस्लामिया रातू ने शोक व्यक्त किया है. सदर कमरुल हक, सेक्रेटरी अब्दुल कुद्दूस, नायब सदर अंजुम खान, नायब सेक्रेटरी नौशाद आलम, खजांची मो शामी ने कहा कि वीरेंद्र भगत का असमय चले जाना अपूरणीय क्षति है. वहीं, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन लेबर यूनियन के महावीर महत़ो, शेख सहदुल, चारे भगत, अमृत साहू, अफजल अंसारी व सरना प्रार्थना सभा के लोगों ने भी वीरेंद्र भगत के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
रांची: कांके निवासी व भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आइएमएडी) के दिल्ली स्थित कार्यालय में पदस्थापित डॉ अशोक कुमार बाखला का निधन हो गया. वह कोरोना से संक्रमित थे और दिल्ली में इलाजरत थे. श्री कुमार आइएमएडी में वैज्ञानिक-इ के पद पर थे. वे कुड़ुख लिटरेरी सोसायटी ऑफ इंडिया नई दिल्ली के संस्थापक सचिव भी थे. श्री बाखला ने बीएयू से डॉ ए बदूद और डॉ रमेश कुमार की देखरेख में कृषि संकाय में स्नातकोत्तर की डिग्री ली थी. वे 11 अप्रैल को दिल्ली गये थे. वहीं संक्रमित हो गये थे. डॉ बाखला की पत्नी डॉ शशि किरण तिर्की बीएयू में ही शिक्षक हैं.
बीएयू के वैज्ञानिकों ने युवा वैज्ञानिक के निधन पर शोक व्यक्त किया है. डॉ बदूद ने कहा कि उनके निधन से संस्थान मर्माहत है. शनिवार की शाम पांच बजे दिल्ली स्थित मंगोलपुरी कब्रिस्तान में उनका अंतिम संस्कार किया गया. उन्होंने 2006 में कुड़ुख लिटरेरी सोसायटी ऑफ इंडिया नई दिल्ली की स्थापना की थी और कुड़ुख़ भाषा-साहित्य के संरक्षण व संवर्द्धन की दिशा में अतुलनीय कार्य कर रहे थे. उन्हाेंने कुड़ुख भाषा को भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अथक प्रयास किया. ऑल इंडिया कुड़ुख लिटरेरी सोसायटी नयी दिल्ली के उपाध्यक्ष प्रो महेश भगत ने शोक जताते हुए कहा है कि ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और परिवार के सदस्यों को इस कठिन घड़ी में मानसिक शक्ति प्रदान करें.
रांची: आरके फिजियोथेरेपी के निदेशक डॉ रजनीश कुमार का शनिवार की सुबह कोरोना संक्रमण के चलते देहांत हो गया. कोरोना संक्रमण के बाद पिछले कुछ दिनों से वह रांची के सृष्टि अस्पताल में भर्ती थे. उनके आकस्मिक निधन से झारखंड सहित देश के भर में फिजियोथेरेपी चिकित्सकों के बीच शोक की लहर है. राज्य आइएपी इकाई, फिजियोथेरेपी एसोशियन के अध्यक्ष डॉ अजीत कुमार, सचिव डॉ राजीव रंजन, उपाध्यक्ष डॉ दिनेश ठाकुर, कोषाध्यक्ष डॉ गौतम, संयुक्त सचिव डॉ रजनीश बरियार, डॉ धीरज, कार्यकारी सदस्य डॉ अभय पांडेय व डॉ सत्यम ने उन्हें श्रद्धांजलि दी.
रांची: मानव विज्ञानी व आदिवासी समुदाय के स्तंभ डॉ सेम टोपनो (81 वर्ष) का निधन 23 अप्रैल को दिल्ली में हो गया. अस्पताल में भर्ती कराने के बाद उन्हें कोरोना संक्रमित पाया गया था. वह अपने पीछे दो पुत्री अल्वा सारेंग व रेचल को छोड़ गये.
डॉ टोपनो का जन्म चार नवंबर 1939 को खूंटी जिला के तोरपा स्थित मरचा गांव में हुआ था. उन्होंने भारत के विभिन्न जनजातियों और जातियों के समुदायों के बीच लंबे समय तक काम किया. वे एंथ्रो पोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से भी जुड़े थे. डॉ टोपनो ने रांची विवि से 1960-63 के दौरान मानव विज्ञान में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की. 1965 से 1980 तक भारत के मानव विज्ञान सर्वेक्षण में सरकारी सेवा में शामिल हो गये. उन्होंने रांची विवि से मानव विज्ञान में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की और विभिन्न विषयों पर शोध कार्य किये. शोध लेखों के अलावा, उन्होंने तीन पुस्तकें कुरसीनामा-एन एथनो हिस्ट्री अॉफ इंडियन एबरोजिन्स 1982, म्यूजिकल कल्चर ऑफ द मुंडा ट्राइब्स 2004 और मैन काइंड इन द क्वेस्ट फॉर सेल्फ 1912 लिखी है.
Posted By: Sumit Kumar Verma