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ऑक्सीजन की कमी पर हाईकोर्ट का केंद्र सरकार और बीएसएल से सवाल, सदर अस्पताल को ऑक्सीजन टैंक शीघ्र उपलब्ध करा सकते हैं या नहीं

बीएसएल के एमडी को मामले की अगली सुनवाई के दौरान वर्चुअल तरीके से उपस्थित रहने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि यदि कहीं किराया पर ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक मिलता है, तो उसे उपलब्ध करायें. राज्य सरकार को ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक के लिए बोकारो स्टील प्लांट से बात करने को कहा. केंद्र व राज्य सरकार को अगली सुनवाई के दौरान 5000 से अधिक क्षमता वाले ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक की उपलब्धता की जानकारी देने का निर्देश दिया.

Jharkhand News, Ranchi News रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने रांची के सदर अस्पताल की पूर्ण क्षमता 500 बेड के उपयोग को लेकर दायर अवमानना याचिका पर बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन व जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने ऑक्सीजन की कमी पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार व बोकारो स्टील लिमिटेड (बीएसएल) से जानना चाहा कि शीघ्र सदर अस्पताल को ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक उपलब्ध करा सकते हैं या नहीं.

बीएसएल के एमडी को मामले की अगली सुनवाई के दौरान वर्चुअल तरीके से उपस्थित रहने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि यदि कहीं किराया पर ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक मिलता है, तो उसे उपलब्ध करायें. राज्य सरकार को ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक के लिए बोकारो स्टील प्लांट से बात करने को कहा. केंद्र व राज्य सरकार को अगली सुनवाई के दौरान 5000 से अधिक क्षमता वाले ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक की उपलब्धता की जानकारी देने का निर्देश दिया.

खंडपीठ ने ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक के मुद्दे पर संवेदक कंपनी विजेता कंस्ट्रक्शन के अधिवक्ता के जवाब पर असंतोष प्रकट किया. खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि स्टोरेज टैंक उपलब्ध कराने के लिए संवेदक कंपनी को चार सप्ताह का समय नहीं दिया जा सकता है. कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सदर अस्पताल में ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति की तत्काल जरूरत है.

सेंट्रलाइज आपूर्ति होने से लगभग 1000 ऑक्सीजन सिलिंडर का उपयोग दूसरे अस्पतालों में किया जा सकेगा. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि कहा कि एचइसी के पास अस्पताल का एक बड़ा स्ट्रक्चर उपलब्ध है. वहां कितना ऑक्सीजन युक्त बेड तैयार किया जा सकता है, राज्य सरकार एचइसी प्रबंधन से इस पर बात करे. कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि एचइसी के पास वर्तमान में कितना ऑक्सीजन युक्त बेड है, जिसका इस्तेमाल किया जा रहा है. खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह मई की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व संवेदक कंपनी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विमल कीर्ति सिंह ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखते हुए खंडपीठ को बताया कि सदर अस्पताल के दूसरे व तीसरे फ्लोर पर बेड तक ऑक्सीजन पाइपलाइन के माध्यम से पहुंचाने की व्यवस्था कर ली गयी है. यहां ऑक्सीजन स्टोरेज टैंक की आवश्यकता है. इसके लिए पुणे की एक कंपनी को ऑर्डर जारी कर दिया गया है, लेकिन इसकी आपूर्ति में चार सप्ताह का समय लग सकता है.

वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पक्ष रखा. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि सदर अस्पताल में पहले से 60 ऑक्सीजन युक्त बेड है. 246 और ऑक्सीजन युक्त बेड तैयार किया गया है. कुल 300 ऑक्सीजन युक्त बेड है, जिसके लिए लगभग 900 ऑक्सीजन सिलिंडर की व्यवस्था की गयी है.

तकनीकी कर्मियों को ऑक्सीजन सिलिंडर की देखरेख में लगाया गया है. राज्य में ऑक्सीजन की कमी नहीं है, परंतु सिलिंडर की कमी है. 17000 सिलिंडर की आपूर्ति के लिए गुजरात की कंपनी को लिखा गया है, अब तक वहां से आपूर्ति नहीं मिली है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ज्योति शर्मा ने अवमानना याचिका दायर कर झारखंड हाइकोर्ट द्वारा पूर्व में जनहित याचिका में पारित आदेश का अनुपालन कराने की मांग की है. अस्पताल की पूर्ण क्षमता 500 बेड के संचालन का आग्रह किया है.

Posted By : Sameer Oraon

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