रांची : रातू रोड अस्पताल को फिर से निजी हाथों में सौंपेगा निगम

नथवाणी के हाथ खींच लेने के बाद काफी दिनों तक अस्पताल बंद रहा. इसके बाद इसके संचालन के लिए निगम ने टेंडर निकाला और देवकमल अस्पताल को इसे सौंपा गया. कुछ सालों तक संचालन करने के बाद इकरारनामा का उल्लंघन बताकर निगम ने अस्पताल अपने कब्जे में ले लिया.

By Prabhat Khabar News Desk | February 15, 2024 9:50 PM

रांची नगर निगम का रातू रोड स्थित अस्पताल पिछले दो वर्षों से बंद है. अब फिर से इसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी है. इसके लिए सहायक लोग स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ आनंद शेखर ने टेंडर निकाला है. शहर के विशेषज्ञ डॉक्टर या अस्पताल प्रबंधन इसके संचालन के लिए आगे आ सकते हैं. अस्पताल भवन के एवज में निगम संचालनकर्ता से हर माह एक निर्धारित राशि लेगा. 28 फरवरी को इच्छुक लोगों के बीच प्री बिड मीटिंग होगी. 29 फरवरी को इसके लिए ऑनलाइन बोली लगायी जायेगी. इसके लिए 80 हजार से इसकी बोली शुरू होगी. अधिक बोली लगानेवाले को अस्पताल चलाने का जिम्मा दिया जायेगा.

वर्ष 2011 में परिमल नथवाणी ने किया था उदघाटन : 2.75 करोड़ से बने इस अस्पताल भवन का उदघाटन वर्ष 2011 में तत्कालीन राज्यसभा सांसद परिमल नथवाणी ने किया था. तब श्री नथवाणी ने कहा था कि निगम अगर उन्हें यह अस्पताल दे दे, तो वे इसे बेहतर तरीके से चलायेंगे. लेकिन, उस समय निगम के पदाधिकारियों ने कहा था कि अगर अस्पताल चलाना है, तो इसके लिए टेंडर में शामिल होना होगा. इसके बाद नथवाणी पीछे हट गये.

पहले देवकमल, फिर प्रोमिस हेल्थकेयर को सौंपा गया था

नथवाणी के हाथ खींच लेने के बाद काफी दिनों तक अस्पताल बंद रहा. इसके बाद इसके संचालन के लिए निगम ने टेंडर निकाला और देवकमल अस्पताल को इसे सौंपा गया. कुछ सालों तक संचालन करने के बाद इकरारनामा का उल्लंघन बताकर निगम ने अस्पताल अपने कब्जे में ले लिया. फिर कुछ दिन अस्पताल बंद रहा. कोरोना काल में प्रोमिस हेल्थकेयर को इसके संचालन का जिम्मा सौंपा गया. कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद निगम ने इसे फिर से अपने स्वामित्व में ले लिया. नतीजा दो वर्षों से यह बंद है.

एकमात्र अस्पताल को भी ढंग से नहीं चला पा रहा निगम : राज्य गठन से पहले रांची नगर निगम शहर में पांच जगहों कोकर चौक, पहाड़ी मंदिर, पिस्का मोड़, कांटाटोली व बिरसा चौक में हेल्थ सेंटर का संचालन करता था. यहां प्रतिदिन डॉक्टर बैठते थे. यहां मरीजों की जांच के बाद उन्हें जरूरी दवा भी दी जाती थी. लेकिन आज निगम अपने एकमात्र अस्पताल को भी ढंग से नहीं चला पा रहा है.

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