रांची: राज्य में कोविड के कारण दो वर्ष तक स्कूलों में पढ़ाई बाधित रही. कक्षा पांच तक स्कूलों का संचालन नहीं हुआ. विद्यालय बंद रहने से बच्चों की पढ़ाई काे काफी नुकसान पहुंचा. कोविड के दौरान पढ़ाई को लेकर हुए सर्वे में यह बात सामने आयी है कि विद्यालय बंद रहने की अवधि में छात्राएं घरेलू कामकाज में अधिक समय लगी रहीं. 72 फीसदी छात्राओं ने घरेलू काम में अधिक समय दिया.
पढ़ाई के लिए उन्हें समय नहीं मिला, अगर समय मिला भी तो काफी कम. कोविड के दौरान बच्चों की पढ़ाई को हुए नुकसान की भरपाई को लेकर मंगलवार को शुरू हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय कॉन्क्लेव यह बात सामने आयी. कॉन्क्लेव में यह बात भी सामने आयी कि कोविड के दौरान बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं हो, इसके लिए ऑनलाइन लर्निंग मेटेरियल भेजा जा रहा था.
लेकिन शत-प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ पाये. राज्य के 30 फीसदी स्कूली बच्चों तक ही ऑनलाइन लर्निंग मैटेरियल पहुंच पाया. राज्य में 42 फीसदी स्कूली बच्चे पढ़ाई से पूरी तरह वंचित रहे. ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं होने के कारण अधिकतर बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ पाये.
42% विद्यार्थी दो वर्ष तक पढ़ाई से पूरी तरह रहे वंचित
30% विद्यार्थी तक ही पहुंच सका ऑनलाइन लर्निंग मेटेरियल
सर्वे में यह बात सामने आयी है कि औसतन 92 फीसदी बच्चों का भाषा की पढ़ाई में कुछ न कुछ नुकसान हुआ है. वहीं 82 फीसदी विद्यार्थी पिछले कक्षा की तुलना में गणित में कमजोर साबित हुए हैं.
बच्चों के शैक्षणिक स्तर में आयी गिरावट की भरपाई के लिए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने कार्ययोजना तैयार की है. इसके तहत भाषा व गणित की पढ़ाई पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. बच्चों के लिए आंगनबाड़ी में प्रतिदिन दो घंटे अतिरिक्त कक्षा का संचालन किया जायेगा. इसके अलावा कॉन्क्लेव में आयी बातों के आधार पर भी कार्ययोजना तैयार की जायेगी.
Posted By: Sameer Oraon