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राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन बोले- झारखंड में सरकार बनाने की प्रक्रिया में हुई देरी को बिहार से तुलना करना गलत

राज्यपाल श्री राधाकृष्णन ने कहा कि हेमंत सोरेन को मैंने कभी राजभवन आकर इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा, बल्कि सीएमओ ने हमारे प्रधान सचिव से कहा कि हेमंत सोरेन को हिरासत में लिया जा रहा है.

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने गुरुवार को राजभवन में पत्रकारों से बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि मनी लाउंड्रिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इडी द्वारा की गयी गिरफ्तारी में राजभवन की कोई भूमिका नहीं है. ‘श्री सोरेन की गिरफ्तारी में राजभवन की साजिश’ संबंधित आरोप को सिरे से खारिज करते हुए राज्यपाल ने कहा : हमने लोकतांत्रिक मानदंडों का सख्ती से पालन किया है. राजभवन के अधिकारों का दुरुपयोग नहीं किया गया है.

राज्यपाल श्री राधाकृष्णन ने कहा : हेमंत सोरेन को मैंने कभी राजभवन आकर इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा, बल्कि सीएमओ ने हमारे प्रधान सचिव से कहा कि श्री सोरेन को हिरासत में लिया जा रहा है, इससे पहले वे राजभवन में आकर इस्तीफा देना चाहते हैं. इसके बाद मुख्य सचिव ने भी प्रधान सचिव को फोन कर कहा कि सीएम राजभवन इस्तीफा देने जा रहे हैं. राज्यपाल ने कहा : जब मुझसे मिलने के लिए समय मांगा गया, तो मैंने समय भी दिया.

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श्री सोरेन के साथ उनके सहयोगी मंत्री तथा तीन-चार अन्य लोग आये. मैं नहीं जानता कि उनके साथ आये तीन-चार लोग कौन थे. श्री सोरेन ने अपने त्याग पत्र में भी लिखा कि इडी द्वारा उन्हें हिरासत में लेने की बात कही जा रही है, इसलिए वे पहले अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं. इस्तीफा सौंपे जाने और उसे स्वीकार किये जाने के बाद श्री सोरेन अपने साथ आये लोगों को लेकर लौट गये. इसमें राजभवन पर गिरफ्तारी के लिए साजिश करने की बात पूरी तरह से गलत है.

इस्तीफे से लेकर सरकार बनने तक में राजभवन की कभी कोई गलत मंशा नहीं रही

श्री राधाकृष्णन ने कहा : जब चंपाई सोरेन ने 43 विधायकों का समर्थन पत्र दिखा कर सरकार बनाने का दावा पेश किया, तो मैंने उनसे कहा कि ठीक है, मैं शीघ्र ही इस पर निर्णय लेकर बताऊंगा. यह सही है कि सरकार बनाने का निमंत्रण देने में लगभग 26:30 घंटे लग गये. इसके पीछे का मूल कारण यह था कि राजभवन के पास कुछ कॉल आये, जिसमें कॉल करनेवालों ने अपने को विधायक बताते हुए कहा कि वे लोग चंपाई सोरेन की सरकार को समर्थन नहीं दे रहे हैं. इस अजीबोगरीब स्थिति में मैंने कानूनी सलाह लेना उचित समझा.

साथ ही जब राजभवन समर्थन नहीं देने संबंधी कॉल तथा 43 विधायकों के समर्थन देने से संबंधित पत्र का सत्यापन कर संतुष्ट हो गया, तो कानूनी सलाह मिलने के बाद ही रात 11:00 बजे चंपाई सोरन को राजभवन बुलाकर सरकार बनाने का निमंत्रण दिया गया. राज्यपाल ने कहा : इस्तीफा देने से लेकर सरकार बनाने का निमंत्रण देने तक में राजभवन की कभी कोई गलत मंशा नहीं रही. विधानसभा के विशेष सत्र में मेरे विरुद्ध नारेबाजी भी हुई. लेकिन मैं बार-बार कह रहा हूं कि मैंने लोकतांत्रिक व्यवस्था के तहत ही कार्य किया. सरकार के पास तो अपना इंटेलिजेंस व अन्य सोर्स भी हैं, पता करा सकती है. झारखंड में सरकार बनाने की प्रक्रिया में विलंब में बिहार के नीतीश कुमार की तुलना करना गलत होगा. वहां मुख्यमंत्री गिरफ्तार नहीं हुए थे. उन पर कोई आरोप नहीं थे.

कभी राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा नहीं की गयी

राज्यपाल ने कहा कि एक समाचार पत्र (प्रभात खबर नहीं) ने लिखा कि राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की, लेकिन गृह विभाग से जवाब नहीं मिलने के कारण देरी हुई. यह समाचार बिल्कुल बेबुनियाद व मनगढ़ंत था. इसमें जरा भी सच्चाई नहीं है. हमने संबंधित समाचार पत्र प्रबंधन को लीगल नोटिस भिजवाया है. इस समाचार से राज्य की जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा की गयी.

राज्य में भ्रष्टाचार चिंताजनक, तभी ईडी कर रहा कार्रवाई

राज्यपाल ने कहा : झारखंड में भ्रष्टाचार चिंताजनक है. बिना कारण इडी यहां कार्रवाई नहीं कर रहा है. इसमें कोई पार्टी-पॉलिटिक्स नहीं है. भ्रष्टाचार रोकने के लिए सबों को सहयोग जरूरी है. नये मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को भी इस पर ध्यान देना होगा. मैं चाहता हूं कि झारखंड विकास करे, भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बने. समय लग सकता है, पर एक दिन झारखंड देश का सबसे विकसित राज्य बनेगा.

मॉब लिचिंग व आरक्षण बिल पर कानूनी सलाह, अब प्राइवेट विवि खोलने के पक्ष में नहीं हूं

राज्यपाल ने कहा कि उनके पास अभी चार बिल (विधेयक) हैं. मॉब लिंचिंग बिल मामले में वे कानूनी सलाह ले रहे हैं. क्योंकि मॉब लिचिंग में पांच या इससे अधिक लोगों के शामिल होने की बात है, जबकि झारखंड सरकार द्वारा दो लोगों के शामिल होने को ही मॉब लिचिंग के श्रेणी में लाया है. इसी प्रकार आरक्षण बिल में सुप्रीम कोर्ट के रूलिंग के मुताबिक 50% से अधिक आरक्षण नहीं होना चाहिए. वे इस मुद्दे पर भी कानूनी सलाह ले रहे हैं.

किन्हीं को आपत्ति हो, तो वे कोर्ट भी जा सकते हैं. प्राइवेट विवि बिल के संबंध में कहा कि राज्य में पहले से ही कई प्राइवेट विवि हैं, जिनमें कई तो वर्षों बाद भी मानक पर खरे नहीं उतर रहे हैं. ऐसे में अब झारखंड में और प्राइवेट विवि खोलने के पक्ष में वे नहीं हैं. यह बिल फिलहाल उनके पास लंबित है.

चंपाई सोरेन अच्छे व्यक्ति हैं, गरीबों की सेवा करनी चाहिए

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बारे में कहा कि वे अच्छे व्यक्ति हैं. उन्हें झारखंड के विकास के कई कार्य करने होंगे. खास कर गरीब लोगों के उत्थान के लिए कार्य करें. वे स्वयं गरीब तबके को नजदीक से जानते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में आवास की सुविधा उपलब्ध करानी होगा. जल जीवन योजना के तहत राज्य के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना होगा.

विवि को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है, विवि सेवा आयोग का गठन होगा

राज्यपाल ने कहा कि वे विवि कैंपस को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है. इस दिशा में कार्य चल रहे हैं. कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है. अच्छे लोग वीसी बनेंगे, तो विवि व उच्च शिक्षा का विकास होगा. इसलिए अच्छे लोगों की तलाश हो रही है. उन्होंने कहा कि बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी शीघ्र ही विवि सेवा आयोग का गठन किया जा रहा है, ताकि शिक्षकों, प्राचार्यों की नियुक्ति समय पर पूरी हो सके. यहां प्रारंभिक शिक्षा की स्थिति ठीक है. सीएम एक्सीलेंस स्कूल व एकलव्य स्कूल अच्छा कार्य कर रहे हैं. सरकार को शिक्षा के विकास पर विशेष नजर रखनी होगी. झारखंड के स्कूलों में ड्रॉप आउट को रोकना होगा. इच्छाशक्ति होगी, तो हर अच्छे कार्य होंगे.

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