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झारखंड में आरक्षण की सीमा बढ़ाने संबंधी बिल को राजभवन ने क्यों लौटाया, राज्यपाल ने बताया

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा सिर्फ राजभवन पर आरोप लगाना गलत है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार को यह बताना चाहिए कि राजभवन में कितने बिल पेंडिंग है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 28, 2024 4:51 AM

जमशेदपुर : झारखंड सरकार राजनीतिक लाभ के लिए 77 फीसदी आरक्षण को लागू करना चाहती थी. जिसका बिल राजभवन भेजा गया था. ऐसे बिल को संवैधानिक तौर पर खारिज ही करना होगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने भी 77 फीसदी आरक्षण को गलत ठहरा दिया है. ऐसे में उस बिल को कैसे मंजूरी दी जा सकती है? उक्त बातें राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहीं. वे मंगलवार को जमशेदपुर में मीडिया से बातचीत कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वे आरक्षण के विरोधी नहीं हैं. वे चाहते हैं कि जो वर्ग या समुदाय नीचे है, उन्हें आगे लाया जाये. लेकिन, उनके पास जो बिल भेजा गया था, वह असंवैधानिक था. उन्होंने कहा कि सिर्फ राजभवन पर आरोप लगाना गलत है. उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार को यह बताना चाहिए कि राजभवन में कितने बिल पेंडिंग है. हां, असंवैधानिक बिलों को मंजूरी नहीं दी जा सकती है.

नियुक्ति के लिए अलग आयोग बनाये सरकार :

राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने सभी रिक्तियों को भरने के लिए राज्य सरकार को लिखा है. उन्हें अलग से पब्लिक सर्विस कमीशन बनाने की सलाह दी है ताकि उसके माध्यम से शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों की नियुक्ति की जा सके. अलग आयोग बनाकर अगर बहाली की जायेगी तो निश्चित तौर पर आसानी के साथ बहाली हो सकेगी.

किसान आंदोलन के दौरान जाम करना गलत :

किसान आंदोलन को लेकर राज्यपाल ने कहा कि अपनी मांगों को लेकर किसी को भी आंदोलन करने का अधिकार है. लेकिन, किसान आंदोलन के दौरान सड़कों को जाम करना, मार्ग अवरुद्ध कर हिंसा करना गलत है.

भ्रष्टाचारमुक्त होंगे राज्य के सभी विश्वविद्यालय

राज्यपाल ने कहा कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के संकल्प के साथ काम चल रहा है. तीन वाइस चांसलर की नियुक्ति की जा चुकी है. जल्द ही बाकी वाइस चांसलर को बदला जायेगा. उन्होंने कहा कि ऊपर से भ्रष्टाचार को रोकना है. इसके बाद स्वत: बदलाव दिखेगा.

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