Jharkhand News: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र निर्धारित कार्यदिवस से एक दिन पहले स्थगित हुई. इस पर भाकपा माले ने सरकार पर नाराजगी जाहिर की. कहा कि मानसून की तरह इस बार विधानसभा का मानसून सत्र रहा. काफी उम्मीद थी कि इस सत्र में राज्य के अहम मुद्दों पर चर्चा होगी, लेकिन यह सत्र हो-हंगामे की भेंट चढ़ गया. भाकपा माले विधायक विनोद सिंह ने कहा कि सरकार को विरोध के बावजूद सत्र को चलाना चाहिए था.
जनता के मुद्दों से सरकार को नहीं है कोई सरोकार
राज्य कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए विधायक श्री सिंह ने कहा कि कोई भी सदन हो, जिस तरीके से चला, यह कहीं से भी स्वीकार्य नहीं है. सत्र को एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. इससे यह साफ होता है कि जनता के मुद्दों से अब सरकार को कोई सरोकार नहीं रह गया है.
लोगों के सवाल कहीं छूट गए पीछे
उन्होंने कहा कि सरकार ने अपने व्यवसाय एवं जरूरतों से संबंधित बिल तो पास करा लिया, लेकिन इसमें आम जनता के सवाल कहीं पीछे छूट गए. इस दौरान उन्होंने भाजपा को भी निशाने पर लिया और कहा कि वह सुखाड़, भ्रष्टाचार या इस जैसे किसी भी गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए गंभीर नहीं थी. अगर ऐसा नहीं होता तो वह सदन के अंदर विचार विमर्श में भाग लेती.
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वोट की राजनीति नोटों में हो रही तब्दील
विधायक श्री सिंह ने कहा कि राज्य के अंदर अकाल, नियुक्ति नियमावली, बालू संकट जैसे मुद्दों पर सार्थक चर्चा की जानी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि अगर विधानसभा के अंदर चर्चा होती, तो भाजपा को भी जनता को जवाब देना पड़ता कि जब राज्य भयंकर अकाल की चपेट में है, तो उस वक्त आमजनता पर जीएसटी का बोझ क्यों लादा जा रहा है. कैश प्रकरण पर उन्होंने कहा कि जनता की आर्थिक और सामाजिक समस्याएं गंभीर है. इसके बावजूद आजादी के 75 साल बाद भी वोट की राजनीतिक नोटों में तब्दील हो रही है.
करीब 10 लाख रजिस्टर्ड मजदूर भुखमरी के शिकार
इस मौके पर राज्य सचिव मनोज भक्त ने कहा कि विधानसभा में पार्टी द्वारा उठाए मामलों को लेकर जानकारी दी. उन्होंने श्रमिकों और राशन आवंटन में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और कहा कि आज सरकार की नीतियों के चलते 9.6 लाख रजिस्टर्ड मजदूर भुखमरी के शिकार हैं.
Posted By: Samir Ranjan.