रांची: माकपा झारखंड राज्य कमिटी की बैठक मंगलवार को रांची में संपन्न हुई. बैठक में दिशानिर्देश के लिए सीपीआई(एम)पोलित ब्यूरो सदस्य कॉमरेड रामचंद्र डोम उपस्थित थे. 1 से 7 सितंबर तक महंगाई और बेरोजगारी के देशव्यापी अभियान के तहत झारखंड में 20 लाख लोगों तक पहुंचने का निर्णय लिया गया है. बैठक में खाद्य सुरक्षा पर पार्टी राज्य कमिटी में प्रस्ताव पारित कर इस मुद्दे पर आंदोलन किए जाने की योजना बनायी गयी है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ( PMGKAY) के तहत नि:शुल्क 5 किलो अनाज और खाद्य सुरक्षा अधिनियम(FSA) के तहत 5 किलो सब्सिडी दर पर मिलने वाला चावल बहाल करने की मांग की गयी है.
गरीब के साथ है क्रूर मजाक
खाद्य सुरक्षा पर प्रस्ताव वर्ष 2023 में हमारे देश के लगभग दो-तिहाई लोगों के लिए 2013 के खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मुफ्त राशन की घोषणा इस बात की स्वीकारोक्ति है कि भूख देश के करोड़ों लोगों को सता रही है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति को बहुत गंभीर बताने के खिलाफ मोदी सरकार के मुखर खंडन के बावजूद आज यही सच्चाई है. अब केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को बिलय कर 81.35 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज मुफ्त अनाज दिए जाने का ढिढोंरा पीटा जा रहा है, जबकि उन्हें अनुदानित दर पर मिलने वाले 3 रुपये किलो चावल, 2 रुपये किलो गेहूं और 1 रुपये किलो मोटा अनाज से वंचित कर दिया जायेगा, जो खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत मिल रहा था. नतीजतन 5 किलो सब्सिडी वाले खाद्यान्न की भरपाई के लिए, जो पोषण के स्तर को बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है, लोगों को खुले बाजार में जाना होगा, जहां गेहूं 30 रुपये किलो और चावल 40 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. यह जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे करोड़ों परिवारों के खिलाफ एक क्रूर मजाक होगा.
नि:शुल्क के साथ जारी रखें अनुदानित दर पर अनाज की आपूर्ति
उल्लेखनीय है कि गरीबों को एक महीने के राशन में 5 किलो चावल के लिए अब 15 रुपये के बजाय 200 रुपये और गेंहू के लिए 10 रुपये के बजाय 150 रुपये तक देने होंगे. वामदल केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि नि:शुल्क के साथ-साथ अनुदानित दर पर दिए जाने वाले अनाज की आपूर्ति जारी रखे ताकि गरीबों को भूखमरी का शिकार होने से बचाया जा सके.
झारखंड में भी नवंबर से बंद है अनुदानित दर पर अनाज की आपूर्ति
इधर, झारखंड में भी 15 नवंबर 2020 को राज्य स्थापना दिवस के मौके पर गरीबी रेखा के नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों के लिए जोर-शोर से शुरू की गई अनाज आपूर्ति की योजना भी बंद हो गयी है. इस योजना के तहत राज्य के 15 लाख 36 हजार हरा राशन कार्डधारियों को अनुदानित मूल्य पर प्रति यूनिट (व्यक्ति) 5 किलो अनाज दिया जा रहा था जो पिछले नवंबर महीने से बंद है. इस मामले में झारखंड के खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव का कहना है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) राशन की आपूर्ति करने से इनकार कर रहा है. इस परिस्थिति में अनाज की बेहद कमी वाले राज्य झारखंड मे गरीब परिवारों के समक्ष भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि पिछले साल राज्य मे पर्याप्त वर्षा नहीं होने से राज्य के 22 जिलों के 222 प्रखंडों मे धान की खेती नहीं हो सकी थी. इस वर्ष भी पर्याप्त वर्षा नहीं होने से राज्य के अधिकतर जिलों में धान की रोपनी नहीं हो सकी है. झारखंड में धान का उत्पादन होने से किसानों के पास भोजन के लिए वर्ष के कुछ महीनों तक चावल उपलब्ध रहता है और भूखमरी से कुछ राहत मिलती है.
हरा राशन कार्ड धारियों को अतिरिक्त अनाज मिलना शुरू
वाम दल राज्य सरकार से भी मांग करते हैं कि अनाज के टेंडर की प्रक्रिया का जल्द हल निकाले और अपनी घोषणा के अनुसार 20 लाख लोगों को अनुदानित दर पर अनाज दिए जाने की गारंटी करे. हालांकि राज्य सरकार ने अब जाकर इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए जाने की घोषणा की है और हरा राशन कार्ड धारियों को अतिरिक्त अनाज मिलना शुरू हुआ है. पार्टी की झारखंड राज्य कमिटी सरकार से मांग करती है कि अतिरिक्त चिन्हित लोगों को अनाज दिया जाना सुनिश्चित किया जाए.