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झारखंड के विकास के लिए कुछ करना चाहता हूं इसके लिए राजनीति बेस्ट प्लेटफॉर्म है : क्रिकेटर सौरभ तिवारी

सौरभ ने क्रिकेट, महेंद्र सिंह धौनी, सचिन तेंडुलकर के अलावा पॉलिटिक्स ज्वाइन करने के सवालों का बेबाकी से जवाब दिया. उनके राजनीति में जाने की चर्चा की बाबत सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि झारखंड ने मुझे काफी कुछ दिया है.

झारखंड के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर सौरभ तिवारी शनिवार को प्रभात खबर के आमंत्रण पर संवाद कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान सौरभ ने क्रिकेट, महेंद्र सिंह धौनी, सचिन तेंडुलकर के अलावा पॉलिटिक्स ज्वाइन करने के सवालों का बेबाकी से जवाब दिया. उनके राजनीति में जाने की चर्चा की बाबत सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि झारखंड ने मुझे काफी कुछ दिया है. अब झारखंड के लिए कुछ करना है. और राज्य को कुछ देने के लिए राजनीति बेस्ट प्लेटफॉर्म है. लेकिन इसके लिए मैं क्रिकेट नहीं छोड़ूंगा. दो-तीन पार्टियों से ऑफर मिले हैं, लेकिन जो झारखंड के लिए ज्यादा सोचता हो, उसी के साथ आऊंगा. जो पार्टी झारखंड को आगे ले जाने की बात करती हो, उसी पार्टी के साथ आगे बढ़ना चाहूंगा. दो दिन पहले ही सौरभ तिवारी को देवधर ट्रॉफी के लिए ईस्ट जोन टीम की कमान सौंपी गयी है. वह झारखंड के पहले क्रिकेटर हैं, जो टूर्नामेंट में ईस्ट जोन की कप्तानी करेंगे. इस जिम्मेदारी को लेकर वह काफी उत्साहित हैं. इसे वह उपलब्धि के साथ चैलेंजिंग मानते हैं. धौनी के बारे में कहा कि वह जब भी मिलते हैं, उन्हें (सौरभ को) और झारखंड के सभी खिलाड़ियों को क्रिकेट के टिप्स जरूर देते हैं. उनसे हमेशा काफी कुछ सीखने को मिलता है.

देवधर ट्रॉफी के लिए आपको ईस्ट जोन टीम की कमान सौंपी गयी है. इसे किस रूप में देखते हैं?

पिछली बार देवधर ट्रॉफी में हमारी टीम चैंपियन हुई थी. तब मैं टीम का उपकप्तान था. हालांकि, दलीप ट्रॉफी में हमारा प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और पहले मैच में ही हम बाहर हो गये. ये नयी भूमिका मेरे लिए चैलेंज के साथ उपलब्धि भी है, क्योंकि झारखंड से अब तक किसी ने देवधर ट्रॉफी में ईस्ट जोन की कप्तानी नहीं की है.

आपने 200 से अधिक मैच खेले हैं. अनुभव बताएं?

एक खिलाड़ी के रूप में यदि आप 100 से अधिक मैच खेलते हैं, तो यह आपके लिए बड़ी उपलब्धि है. मैं जब भी खेलता हूं, तो यही सोचता हूं यह मेरा आखिरी मैच है. इससे अच्छा परफॉर्म करने की प्रेरणा मिलती है.

आपने 2010 में टीम इंडिया में डेब्यू किया. तब धौनी कप्तान थे. फिर भी लंबी पारी नहीं खेल पाये.

जब मैंने टीम इंडिया के लिए डेब्यू किया, तब टीम ‘पैक्ड’ थी. टीम में युवराज, सचिन, गौतम शामिल थे. वह टीम वर्ल्ड कप खेलने के लिए तैयार थी. ऐसे समय में मुझे मौका मिला और वह भी जब सचिन रेस्ट पर थे और मैं माइक्रोमैक्स ट्रॉफी के लिए टीम में आया था. मैं सचिन सर का रिप्लेसमेंट तो नहीं हो सकता था.

धौनी झारखंड टीम के मेंटर रह चुके हैं. टीम को उनका कितना सहयोग और प्रोत्साहन मिल रहा है?

धौनी भैया एक महान क्रिकेटर हैं. क्रिकेटर का एक बॉर्डर लाइन होता है, वह उसके भी ऊपर निकल चुके हैं. माही भैया का झारखंड में रहना ही हमारे लिए बड़ा अचीवमेंट हैं. वह जब भी खाली रहते हैं, तो वह आते हैं और हमारे साथ प्रैक्टिस भी करते हैं. उनमें एक चीज बहुत अच्छा है कि उनमें ‘ईगो प्रॉब्लम’ नहीं है. धौनी भैया, सचिन सर जैसे कुछ ही प्लेयर होते हैं, जो एक बार हो चुके हैं, तो दोबारा नहीं हो सकते. धौनी भैया ने जो स्टैंडर्ड सेट कर दिया है, लोग सभी को उसी नजर से देखने लगते हैं. जैसे अभी ईशान किशन हैं, तो हम सभी को लगता है कि वह भी उतना बड़ा नाम कमायेगा.

इस बार वर्ल्ड कप भारत में हो रहा है, रोहित के साथ ओपनिंग के लिए आप किसे देखते हैं?

मुझे लगता है कि रोहित के साथ शुभमन गिल ही ओपनिंग करेंगे. पिछले छह-सात महीने के परफॉर्मेंस को देखें, फिर चाहे भारतीय टीम हो या आइपीएल, उन्होंने व्हाइट बॉल क्रिकेट में बहुत रन बनाये हैं. वनडे में उन्होंने दोहरा शतक भी जमाया. वह एक ‘प्रॉपर इंपैक्ट प्लेयर’ हैं.

आइपीएल में सचिन के साथ आपको खेलने का मौका मिला. कोई अनुभव बताएं?

मैंने बचपन से सचिन सर को खेलते हुए देखा है. 2008 में जब मैं पहली बार आइपीएल खेलने गया, तब सचिन सर ही हमारे कप्तान थे. एक बार वह पूरी टीम को टिप्स दे रहे थे. इस दौरान दो बार उन्होंने मुझे मेरे नाम से पुकारा, लेकिन मैंने ध्यान नहीं दिया. मैं सिर्फ उन्हीं को देख रहा था. आज तक मुझे नहीं पता चला कि सचिन सर क्या बोल रहे थे.

अमिताभ चौधरी के समय झारखंड में क्रिकेट को काफी बढ़ावा मिला. अब वह हमलोगों के बीच नहीं हैं. इसका क्या असर पड़ रहा है?

अमिताभ सर ने झारखंड क्रिकेट के लिए जो किया, वर्तमान कमेटी उनकी उस ‘लिगेसी’ को आगे ले जाये, तो यह बहुत बड़ी बात होगी. जब तक अमिताभ सर थे, तब तक बगैर परफॉर्मेंस किसी भी खिलाड़ी का चयन टीम में नहीं होता था. उनके गुजरने के एक साल हो गये हैं, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नहीं है. अभी भी जब कोई खिलाड़ी परफॉर्म करता है, तभी उसका चयन टीम में होता है.

रोहित शर्मा टीम के कप्तान हैं और वह अब 36 साल के हो चुके हैं. माना जा रहा है कि यह उनका आखिरी वर्ल्ड कप होगा?

सबसे पहले तो उम्र को लेकर जो धारणा है, उसे हटा दीजिए. एक खिलाड़ी के तौर पर जब आप अनुभवी होंगे, तो आपकी उम्र भी बढ़ेगी. धौनी भैया को ही लीजिए. वह 42 वर्ष के हैं, लेकिन उनके अनुभव के कारण ही आज चेन्नई सुपर किंग्स चैंपियन है.

चर्चा है कि आप क्रिकेट छोड़ पॉलिटिक्स में भाग्य आजमाने की सोच रहे हैं?

इस चीज से इंकार नहीं कर रहा. झारखंड ने मुझे काफी कुछ दिया है. अब झारखंड के लिए कुछ करने का समय है. और इसके लिए राजनीति बेस्ट प्लेटफॉर्म है. पर इसके लिए मैं क्रिकेट नहीं छोड़ूंगा.

जब आप राजनीति में आने की बात करते हैं, तो किस पार्टी को अपने ज्यादा करीब पाते हैं और क्यों?

अभी ऐसा कुछ सोचा नहीं है. लेकिन जब आऊंगा, तो सोच समझ कर आऊंगा. जो झारखंड के लिए ज्यादा सोचता हो, उसे आगे ले जाने की बात करता हो, मैं उसी के साथ आऊंगा. दो-तीन पार्टियों से ऑफर मिले हैं. फिलहाल मैं जज कर रहा हूं कि कौन-सी पार्टी अच्छी है और जो मेरे लिए भी अच्छा है.

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