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झारखंड में महिला अपराध पर लगेगी रोक, डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बनाया महिला सुरक्षा कोषांग

झारखंड में महिला अपराध की बढ़ती घटनाओं पर रोक के लिए डीजीपी अनुराग गुप्ता ने महिला सुरक्षा कोषांग का गठन किया है. पुलिस मुख्यालय के स्तर पर यह कोषांग गठित हुआ है.

रांची: झारखंड में महिला अपराध की बढ़ती घटनाओं पर रोक के लिए डीजीपी अनुराग गुप्ता ने महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस मुख्यालय स्तर पर महिला सुरक्षा कोषांग बनाया है. इस कोषांग का प्रभारी एडीजी ट्रेनिंग सह आधुनिकीकरण सुमन गुप्ता को बनाया गया है. इस कमेटी में आईजी सीआईडी, डीआईजी सीआईडी, प्रक्षेत्रीय आईजी और रेंज डीआईजी को शामिल किया गया है. आदेश के तहत प्रक्षेत्रीय आईजी रांची, बोकारो, दुमका और पलामू तीन-तीन माह के लिए क्रमानुसार कमेटी में रहेंगे, जबकि सभी रेंज डीआईजी कमेटी में रहेंगे.

महिला कोषांग का क्या होगा दायित्व?


-डायल 112, महिला हेल्पलाइन, निर्भया शक्ति, शक्ति कमांडो और महिला हेल्पलाइन आदि से समन्वय स्थापित करना और इसके कार्यों का पर्यवेक्षण करना.
-झारखंड के सभी प्रक्षेत्रीय आईजी व रेंज डीआईजी के अलावा सभी एसपी महिला सुरक्षा को सुनिश्चित कराने के लिए एडीजी सुमन गुप्ता के निर्देशन में कार्य करेंगे. महिला अपराध संबंधी सूचनाएं महिला सुरक्षा कोषांग को आवश्यक रूप से देंगे. एडीजी के मार्गदर्शन में ऐसे अपराधों के अनुसंधान व संबंधित कार्रवाई सुनिश्चित करायेंगे.
-महिला सुरक्षा कोषांग द्वारा एक नियमित अंतराल पर आवश्यकतानुसार जिलावार, क्षेत्रवार व प्रक्षेत्रवार कांडों और अनुसंधान के प्रगति की समीक्षा की जायेगी.
-जिला के सभी थानों में दर्ज महिला अपराध विशेषकर पोक्सो, सामूहिक दुष्कर्म, छेड़छाड़, अभद्र व्यवहार, दहेज उत्पीड़न, एसिड अटैक से संबंधित प्राथमिकी, अनुसंधान व समय-समय पर निर्गत पर्यवेक्षण टिप्पणी, रिपोर्ट-2 व प्रगति प्रतिवेदन का अनुश्रवण करना.

महिला कोषांग का ये भी होगा दायित्व


-न्यायालय में इन कांडों के विरुद्ध शीघ्र ट्रायल सुनिश्चित कराना. ट्रायल के दौरान गवाहों का परीक्षण, गवाहों की उपस्थिति, आवश्यक जांच प्रतिवेदन उपलब्ध करायेंगे, ताकि पीड़िता को न्याय मिल सके.
-क्षेत्र में ऐसे सभी प्रतिष्ठान जहां अधिक संख्या में छात्राएं और महिलाएं कार्यरत हों, उनके साथ समय-समय पर संपर्क व संवाद स्थापित करते हुए किसी भी प्रकार के अपराध के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सुरक्षात्मक उपाय करना.
-महिला अपराध से संबंधित प्रोफाइल तैयार करना.
-पीड़ितों के लिए उपलब्ध संसाधनों और सहायता सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना. विक्टिम कंपनसेशन स्कीम के संबंध में प्रचार-प्रसार करते हुए डालसा के माध्यम से सहयोग प्राप्त करना.
-महिला सुरक्षा व अपराधों के संबंध में पुलिसकर्मियों का प्रशिक्षण आयोजित करना.
-महिला थानों के कार्यों की समीक्षा.
-एचटीयू थानों के ऐसे अपराधों की समीक्षा करनी है, जहां पीड़ित महिलाएं हैं.
-घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत दायर मामलों की समीक्षा और पर्यवेक्षण.

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