सियासी बिसात में रिश्तों का धर्म संकट

वर्तमान लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड की राजनीति ने प्रत्याशियों को धर्म संकट में डाल दिया है. राजनीति ने ऐसी करवट ली है कि अब रिश्तों की भी परीक्षा होनी है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 17, 2024 12:36 AM

रांची. वर्तमान लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड की राजनीति ने प्रत्याशियों को धर्म संकट में डाल दिया है. राजनीति ने ऐसी करवट ली है कि अब रिश्तों की भी परीक्षा होनी है. खून के रिश्ते भी विरोधियों की कतार में खड़े हैं. राज्य की खूंटी व दुमका लोकसभा सीट पर सियासत और रिश्तों के बीच टकराव देखने को मिल रही है.

एक तरफ राजनीतिक गुरु तो दूसरी ओर भाई

खूंटी लोकसभा सीट पर एनडीए की ओर से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा उम्मीदवार हैं. वहीं इंडिया गठबंधन की ओर से कालीचरण मुंडा चुनौती दे रहे हैं. कालीचरण मुंडा टी मुचिराई मुंडा के पुत्र हैं और खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह के बड़े भाई हैं. कालीचरण मुंडा इससे पहले विधायक भी रह चुके हैं. अर्जुन मुंडा व कालीचरण के बीच भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा के समक्ष रिश्तों का संकट खड़ा हो रहा है. हालांकि विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा पार्टी के साथ खड़े हैं और प्रत्याशी अर्जुन मुंडा के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में भी नीलकंठ सिंह मुंडा के सामने यही स्थिति उत्पन्न हुई थी. चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा चुनाव तो जीते थे, लेकिन खूंटी विधानसभा क्षेत्र से उन्हें बढ़त नहीं मिल पायी थी. इसकी चर्चा राजनीतिक गलियारे में खूब हुई थी.

दुमका के मैदान में देवर-भाभी की सियासी लड़ाई

दुमका लोकसभा सीट से इस बार एनडीए ने झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल होनेवाली विधायक सीता सोरेन को प्रत्याशी बनाया है. इन्हें झामुमो के विधायक नलिन सोरेन चुनौती दे रहे हैं. विधायक नलिन सोरेन व सीता सोरेन के बीच बसंत सोरेन के सामने रिश्तों की दीवार खड़ी हो गयी है. सीता सोरेन दुमका विधायक बसंत सोरेन की भाभी हैं. दुमका सीट से पिछले चुनाव में शिबू सोरेन भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन से पराजित हो गये थे. भाजपा ने इस बार भी सुनील सोरेन को दुमका सीट से प्रत्याशी घोषित कर दिया था, लेकिन सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद सुनील सोरेन का पत्ता कट गया. पार्टी ने इस सीट से सीता सोरेन को चुनाव मैदान में उतार दिया.

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