रांची: सीएम से इडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ की इंट्री गैर-कानूनी, उच्चस्तरीय जांच हो : झामुमो

नेताद्वय ने कहा है कि, शनिवार को इडी की ओर से मुख्यमंत्री का बयान दर्ज किया जा रहा था. इडी ने अपनी सुरक्षा का अनुरोध मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से किया था.

By Prabhat Khabar News Desk | January 22, 2024 3:12 AM

Ranchi News: झामुमो ने सीएम से इडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ की इंट्री को गैर-कानूनी करार दिया है. पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य और विनोद कुमार पांडेय ने सरकार से इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर सीआरपीएफ आइजी, कमांडेंट व अन्य दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है. कहा कि, सरकार सीआरपीएफ की साजिश का पर्दाफाश करे, नहीं तो झामुमो आंदोलन के लिए बाध्य होगी.

बिना अनुमति सीआरपीएफ जवानों का प्रवेश भड़कानेवाला कार्य

नेताद्वय ने कहा है कि, शनिवार को इडी की ओर से मुख्यमंत्री का बयान दर्ज किया जा रहा था. इडी ने अपनी सुरक्षा का अनुरोध मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से किया था. मुख्य सचिव के आदेश पर रांची जिला प्रशासन ने इडी के अधिकारियों की सुरक्षा, उनके कार्यालय की सुरक्षा, उनके परिवार की सुरक्षा एवं विधि व्यवस्था संभालने के लिए करीब 2000 पुलिस एवं वरीय दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की थी. इस दौरान केंद्रीय जांच एजेंसियों की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ आम जनता एवं कार्यकर्ताओं के द्वारा धरना-प्रदर्शन भी किया जा रहा था. इसे लेकर जिला प्रशासन की ओर से धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू की गयी थी. इसी बीच अचानक सीआरपीएफ के सैकड़ों (500 से भी अधिक) जवान बसों में भर कर बिना किसी अनुमति या सूचना के मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश करने लगे. साथ ही झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने भी लगे. विधि व्यवस्था के इतने संवेदनशील समय व स्थान पर जिला प्रशासन की अनुमति के बिना और बिना सूचना दिये इतनी बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के जवानों का निषिद्ध क्षेत्र में प्रवेश करना एक भड़काऊ एवं गैरकानूनी कार्य है.

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झामुमो कार्यकर्ताओं ने रखा संयम

नेताद्वय ने आगे कहा कि, झामुमो कार्यकर्ताओं ने यदि संयम का परिचय नहीं दिया होता, तो हिंसक परिस्थिति उत्पन्न हो सकती थी. नेताद्वय ने कहा कि यह सूचना मिली है कि सीआरपीएफ का यह कृत्य एक सोची समझी साजिश थी, जिसमें सीआरपीएफ के आइजी भी शामिल थे. वह चाहते थे कि सीआरपीएफ और प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो जाये. यदि प्रदर्शनकारी उग्र होकर सीआरपीएफ पर हमला कर दें, तो राज्य सरकार पर संवैधानिक तंत्र की विफलता का आरोप लगाया जा सके. फिर राष्ट्रपति शासन लगाने की भूमिका तैयार की जा सके.

केंद्र के इशारे पर सीआरपीएफ ने की कार्रवाई

नेताद्वय ने आगे कहा कि, सीपीआरपीएफ कभी जिला प्रशासन के अनुरोध अथवा अनुमति के बिना किसी भी प्रकार की विधि-व्यवस्था का कार्य नहीं कर सकती है. इससे स्पष्ट है कि सीआरपीएफ ने यह कार्रवाई साजिश के तहत केंद्र सरकार के इशारे पर की है, जो राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है और संघीय ढांचे पर कायराना हमला है. केंद्रीय सुरक्षा बल आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण दायित्व निभाते हैं. उनका ऐसा राजनैतिक दुरुपयोग अत्यंत गंभीर और चिंता का विषय है. केंद्रीय बलों का यह पक्षपातपूर्ण व्यवहार आगामी चुनावों को भी दुष्प्रभावित कर सकता है.

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