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सीयूजे में पूर्ववर्ती छात्र मिलन समारोह, पुरानी यादें हुईं ताजा, वीसी प्रो केबी दास ने बताया ब्रांड एंबेसडर

सीयूजे के कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की प्रगति में छात्रों की अहम भूमिका होती है. सीयूजे पूर्ववर्ती छात्र जिस तरह देशभर में अपनी उपलब्धियों का परचम लहरा रहे हैं, वह सराहनीय है. इस तरह के समारोह छात्रों को मंच प्रदान करते हैं, जहां वो अनुभवों को साझा कर सकें.

रांची: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में पूर्ववर्ती छात्र मिलन समारोह का आयोजन किया गया. देशभर से आए हुए सैकड़ों छात्रों ने मनातू सभागार में आयोजित समारोह में शिरकत की. कुलपति प्रो क्षिति भूषण दास ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी विश्वविद्यालय की प्रगति में छात्रों की अहम भूमिका होती है. सीयूजे पूर्ववर्ती छात्र जिस तरह देशभर में अपनी उपलब्धियों का परचम लहरा रहे हैं, वह सराहनीय है. इस तरह के समारोह छात्रों को एक मंच प्रदान करते हैं, जहां वो अपनी सफलता और अनुभवों को साझा कर सकें. उन्होंने सबका साथ सबका विकास केवल सबके प्रयासों से ही संभव है. इसके साथ ही पूर्ववर्ती छात्रों द्वारा अक्षय निधि बनाने के विचार की सराहना की. दीप प्रज्वलन एवं गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. आयोजन का मुख्य आकर्षण विख्यात शास्त्रीय कथक नृत्यांगना सुनिधि बनर्जी की प्रस्तुति रही. इसके साथ ही पूर्ववर्ती छात्रों के स्वागत में सीयूजे के वर्तमान छात्रों ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए. समारोह के दूसरे भाग में पूर्ववर्ती छात्रों ने विश्वविद्याल में बिताए दिनों को याद करते हुए अपने अनुभव साझा किए.

पूर्ववर्ती छात्रों को एक मंच पर लाना हमेशा सुखद

सीयूजे पूर्ववर्ती छात्र संघ की उपाध्यक्ष डा सयंति राय ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि पूर्ववर्ती छात्रों को एक मंच पर लाना हमेशा सुखद होता है. ये दूसरा मौका है कि जब सीयूजे में ऐसा कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जो दिखाता है कि विश्वविद्यालय अपने छात्रों को हमेशा एक दूसरे से जोड़े रखना चाहता है.

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सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन

दीप प्रज्वलन एवं गणेश वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई. आयोजन का मुख्य आकर्षण विख्यात शास्त्रीय कथक नृत्यांगना सुनिधि बनर्जी की प्रस्तुति रही. इसके साथ ही पूर्ववर्ती छात्रों के स्वागत में सीयूजे के वर्तमान छात्रों ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए. इनमें झारखंड के पारंपरिक आदिवासी लोकगीत, ओडिसी, कथक नृत्य आदि शामिल थे. कार्यक्रम के मुख्य संयोजक डॉ भाष्कर सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन के दौरान कुलपति व विश्वविद्यालय के शिक्षकों, अधिकारियों एवं पूर्ववर्ती छात्रों को धन्यवाद दिया.

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पूर्ववर्ती छात्रों ने पुरानी यादें ताजा कीं

समारोह के दूसरे भाग में पूर्ववर्ती छात्रों ने विश्वविद्याल में बिताए दिनों को याद करते हुए अपने अनुभव साझा किए. इसके साथ ही छात्रों ने अपने गुरुजनों के साथ तस्वीरें भी खिंचाई. सेल्फी का दौर चला.

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ये भी थे मौजूद

कार्यक्रम में प्रो एस के समदर्शी, प्रो एसी पांडे, प्रो देवव्रत सिंह, प्रो भगवान सिंह, प्रो एके पाढ़ी, प्रो सुभाष यादव, प्रो मनोज कुमार, प्रो सुनीत मगरे, प्रो विमल किशोर, प्रो श्रेया भट्टाचार्या, डॉ शशि सिंह, डॉ बटेश्वर, डॉ जया शाही, डॉ नरेश बरला, डॉ सी एस द्विवेदी, डॉ सीमा, ममता मिंज, डॉ कुलदीप बौद्ध, डॉ रत्नेश मिश्रा, डॉ रमेश उरांव समेत कई शिक्षक व कर्मचारी शामिल हुए.

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सीयूजे में अखरावट का आयोजन

इधर, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में अखरावट का आयोजन किया गया. बीएचयू की सहायक प्राध्यापिका डॉ ब्यूटी यादव ने ‘साहित्य की प्रासंगिकता’ विषय पर एकल व्याख्यान दिया. स्वागत वक्तव्य के दौरान हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो रत्नेश विष्वक्सेन ने साहित्य की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए कहा कि आम आदमी साहित्य लिखता नहीं, साहित्य को जीता है.

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व्याख्यान में साहित्य का विश्लेषण

अपने व्याख्यान में डॉ ब्यूटी यादव ने अंग्रेजी साहित्य के इतिहास को दीर्घ साहित्यिक परम्परा से जोड़ते हुए साहित्य की प्रासंगिकता पर विस्तार से चर्चा की. चौसर, शेक्सपीयर, इलियट, जॉन ड्राईडन, अलेकजेंडर पॉप, वर्जिनिया वुल्फ इत्यादि के साहित्य का विश्लेषण करते हुए उनकी समाज में अर्थवत्ता को रेखांकित किया. कार्यक्रम में मंच संचालन शोधार्थी सूरज रंजन ने एवं धन्यवाद ज्ञापन शोधार्थी राहुल कुमार ने किया.

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