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अचानक उकसाने पर आवेश में की गयी गैर इरादतन हत्या, हत्या नहीं

झारखंड हाइकोर्ट ने क्रिमिनल अपील याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया

रांची (वरीय संवाददाता). झारखंड हाइकोर्ट ने क्रिमिनल अपील याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुनाया. जस्टिस आनंद सेन व जस्टिस सुभाष चंद की खंडपीठ ने कहा कि अचानक झगड़े के बाद आवेश में आकर और बिना किसी पूर्व योजना के की गयी हत्या को हत्या नहीं माना जायेगा, जहां अपराधी अनुचित लाभ नहीं लेता है और न ही क्रूरता से काम करता है. इस प्रकार यदि अचानक झगड़ा होने पर जुनून में बिना किसी पूर्व विचार के एक गैर इरादतन मानव वध किया जाता है और अपराधी कोई अनुचित लाभ नहीं लेता है और न ही क्रूर तरीके से काम करता है, तो उक्त मृत्यु धारा 300 आइपीसी के तहत कवर नहीं की जायेगी. खंडपीठ ने कहा कि कि यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा-300 के अपवाद (4) के भीतर आयेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि सबूतों व सामग्रियों में पाया गया कि आरोपी का हत्या करने का कोई इरादा नहीं था. अदालत भारतीय दंड संहिता की धारा-302 के तहत अपीलकर्ता की दोषसिद्धि को रद्द करती है और उसे भारतीय दंड संहिता की धारा-304 भाग-II के तहत दोषी ठहराती है. अदालत की ओर से आरोपी को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनायी गयी. अदालत ने कहा कि चूंकि अपीलकर्ता पहले से ही 10 साल से अधिक समय से हिरासत में था और भारतीय दंड संहिता की धारा 304 भाग-II के तहत सजा काट चुका था. इसलिए खंडपीठ ने निर्देश दिया कि अपीलकर्ता को हिरासत से तुरंत रिहा कर दिया जाये, बशर्ते कि किसी अन्य मामले में उसकी आवश्यकता न हो. यह फैसला हाइकोर्ट ने अपीलकर्ता श्री राम शर्मा की ओर से दायर क्रिमिनल अपील पर सुनवाई के बाद दिया है. श्री राम शर्मा को देवघर सिविल कोर्ट ने चार फरवरी 2017 को हत्या के आरोप में दोषी करार देते हुए सश्रम कारावास की सजा सुनायी थी. सजा को हाइकोर्ट में याचिका दायर कर चुनाैती दी गयी थी.

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