Cyber Thagi: ग्राहकों और बैंकों को आर्थिक लग रहा आर्थिक चपत, कार्ड क्लोनिंग, मोबाइल वॉलेट से उड़ा रहे पैसे
मोबाइल वॉलेट, कार्ड क्लोनिंग व ग्राहकों का डेटा चोरी कर साइबर अपराधी न केवल ग्राहकों को चपत लगा रहे हैं, बल्कि इससे अब बैंकों को भी आर्थिक नुकसान सहना पड़ रहा है. सेंधमारी इतने बड़े पैमाने पर हो रही है कि बैंकों ने अब खुद को प्रोटेक्ट करना शुरू कर दिया है.
बिपिन सिंह, रांची : मोबाइल वॉलेट, कार्ड क्लोनिंग व ग्राहकों का डेटा चोरी कर साइबर अपराधी न केवल ग्राहकों को चपत लगा रहे हैं, बल्कि इससे अब बैंकों को भी आर्थिक नुकसान सहना पड़ रहा है. सेंधमारी इतने बड़े पैमाने पर हो रही है कि बैंकों ने अब खुद को प्रोटेक्ट करना शुरू कर दिया है. ग्राहकों को जागरूक किया जा रहा है़ साथ ही नयी और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर इस नुकसान को राेकने की पूरी कोशिश की जा रही है. सुरक्षा घेरा बनाये जा रहे हैं. यही कारण है कि सार्वजनिक क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) ने एटीएम से 10 हजार और इससे ज्यादा की निकासी पर ओटीपी से ट्रांजैक्शन को जरूरी कर दिया है.
बैंक की गलती से साफ हो गया ग्राहकों का खाता : पीएनबी में ग्राहकों ने पोर्टल के जरिए मई से दिसंबर तक 110 शिकायतें दर्ज करायी. इनमें 100 को सुलझा लिया गया. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने हाल ही में इस तरह के एक दर्जन केस को रजिस्टर्ड किया, जिसमें ग्राहकों की नहीं बल्कि बैंक की गलती से ग्राहकों के खाते साफ हो गये. बैंक को इन मामलों में पड़ताल के बाद करीब 10 लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान बीमा कंपनियों से लेकर संबंधित पक्ष को करना पड़ा.
डिजिटल ट्रांजेक्शन : अंजान लोगों पर भरोसा नहीं, पैसे निकालने के वक्त एटीएम मशीन और उसके आसपास मौजूद लोगों व चीजों को ध्यान से देखें. अगर आपको कुछ भी अस्वाभाविक लगता है तो आप उस मशीन से नकदी की निकासी ना करें. सिर्फ उन्हीं मशीन या पीओएस टर्मिनल का प्रयोग करें जो आपको भरोसेमंद लगते हों. जब भी आप ट्रांजेक्शन कर रहे हों, अपना पिन नंबर छुपा कर डालें.
सिर्फ उन्हीं ऑनलाइन वेबसाइट से खरीदारी करें जो सुरक्षित हों.
खरीदारी करते वक्त कार्ड की जानकारी सेव न करें, कार्ड डीटेल सेव होने पर हैक होने का डर.
बैंक में अपना मोबाइल नंबर और इमेल आइडी जरूर रजिस्टर करायें, बीच-बीच में चेक करें.
डेबिट कार्ड से रकम निकासी या किसी खरीदारी पर मैसेज और इमेल आये, इसका ध्यान रखें.
अपने बैंक स्टेटमेंट को नियमित रूप से चेक करें, खाता अपडेट करायें, नेट बैंकिंग में 13 डिजिट सिक्योर पासवर्ड रखें.
बीच-बीच में हल्का संदेह होने पर भी अपना पासवर्ड बदलते रहें, पर इसे हमेशा याद रखें, कहीं भी न लिखें.
अगर आपके अकाउंट में कोई ऐसा ट्रांजेक्शन दिखता है जो आपने नहीं किया है, तो उस बारे में तुरंत बैंक से संपर्क करें.
किसी अवैध ट्रांजेक्शन की शिकायत आप बैंक से करें और वहां कार्रवाई नहीं होती है, तो आप बैंकिंग नियामक रिजर्व बैंक को भी आगे शिकायत कर सकते हैं.
लिखें नहीं याद रखें पासवर्ड : आपको नेट बैंकिंग पासवर्ड याद कर लेना चाहिए. इसे किसी को भी न बतायें. न ही इसे कहीं लिखकर रखें. नेट बैंकिंग का इस्तेमाल हमेशा अपने कंप्यूटर पर सिक्योर नेटवर्क से करें.
पेमेंट से पहले चेक करें वेबसाइट : ऑनलाइन ट्रांजेक्शन करते समय साइट के सुरक्षित होने का संकेत भी देख लें, जैसे- ब्राउजर स्टेटस बार पर लॉक आइकॉन या ‘https’ यूआरएल, जहां ‘एस’ उसके सुरक्षित होने की पहचान है. दूसरे के सिस्टम से लेन-देन न करें. इस्तेमाल करने के बाद वेबसाइट से लॉग-आउट करना न भूलें. खराब हार्डवेयर व चिप को सही तरीके से नष्ट करें.
बैंक कभी नहीं मांगता ये जानकारियां : बैंक के पास आपकी सभी जानकारी मौजूद होती है और वह कभी ई-मेल से या फोन से आपसे सीवीवी या ओटीपी नहीं मांगता. इस तरह की जानकारी अगर कोई मांग रहा है, तो वह खतरे का संकेत है. किसी से भी इस तरह की गोपनीय जानकारी शेयर ना करें. बैंक केवाइसी व ज्यादा राशि के चेक को कैश कराने संबंधी ही बेहद जरूरी कॉल करता है.
एटीएम फ्रॉड की घटनाओं से लिया सबक : एटीएम क्लोनिंग को रोकने के लिए व रकम की सुरक्षा को लेकर इस नयी व्यवस्था को लागू की गयी है. एटीएम से कैश निकालना ज्यादा सुरक्षित हो गया है. बैंक की ओर से ओटीपी आधारित यह नयी व्यवस्था उन मामलों को रोकने के लिए है, जिनमें डेबिट कार्ड में हेराफेरी या क्लोन के जरिए एटीएम फ्रॉड कर लोगों की मेहनत की कमाई उड़ाने की कोशिश की जाती है.
दीपक कुमार श्रीवास्तव, मंडल प्रमुख, पीएनबी रांची साउथ
बैंक में अपडेट करायें मोबाइल नंबर : अपने बैंक या क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली संस्था को अपनी पूरी जानकारी देनी चाहिए. साथ ही, नंबर बदलने पर बैंक को इसकी जानकारी भी तुरंत दें. इससे बैंक या आपके खाते में किसी भी तरह के बदलाव की सूचना आपको आसानी से भेजी जा सकती है. हर हफ्ते कम से कम एक बार बैंक एकाउंट या क्रेडिट कार्ड एकाउंट चेक करने के साथ ट्रांजेक्शन पर नजर रखना जरूरी है.
फिसिंग ईमेल से रहें दूर : फिशिंग ऐसी इमेल है, जो आपको फंसाने के लिए भेजी जाती है. व्यक्तिगत जानकारी मांगने की कोशिश की जाती है. इन लिंक पर क्लिक करते ही नकली वेबसाइट खुल जाती है. अगर आप क्रेडिट कार्ड से पेमेंट कर रहे हैं तो ऐसे कार्ड से पेमेंट करें, जिसकी लिमिट कम हो. डिजिटल वाॅलेट से पेमेंट कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि उसमें भी पहले से पैसे न पड़े हों.
बैंकों के खिलाफ दर्ज शिकायत का ब्योरा : आरबीआइ के पास सबसे ज्यादा शहरी इलाके से लगभग 48 प्रतिशत शिकायतें दर्ज करायी गयी हैं. पिछले वित्तीय वर्ष में 49 प्रतिशत शिकायत ई-मेल से, 28 प्रतिशत हार्ड लेटर और पोस्ट के माध्यम से, जबकि 23 प्रतिशत मामले ऑनलाइन रजिस्टर्ड कराये गये हैं. इनमें क्रेडिट कार्ड के 44 प्रतिशत, हाउसिंग लोन के 36, पेंशन के 36 और एटीएम-डेबिट कार्ड से जुड़ी 52 प्रतिशत शिकायतें हैं. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के पास दर्ज शिकायतों का ब्योरा : सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया रांची जोन के पास वित्तीय वर्ष 19-20 में 81 जबकि 20-21 के दौरान 99 शिकायत दर्ज करायी गयी है.
लॉकडाउन के दौरान निशाने पर रहे एटीएम : झारखंड में पिछले कुछ सालों में प्लास्टिक कार्ड और डिजिटल ट्रांजैक्शन का चलन काफी बढ़ा है. इसके बढ़ते इस्तेमाल के साथ धोखाधड़ी की घटनाएं खासकर लॉकडाउन के दौरान काफी बढ़ गयी थी. इस दौरान सुनसान इलाके में एसबीआइ के 25 एटीएम साइबर अपराधियों के निशाने पर रहे.
हटिया के नौ और डोरंडा के 17 एटीएम को निशाना बनाया गया : साइबर अपराधियों का एक गिरोह एक जगह से दूसरी जगह अपना स्थान बदलकर घटनाक्रम को अंजाम दे रहा था. ई-सर्विलांस, एंटी स्कीमिंग रिमोट, चिप वेस्ड कैश डिस्पेंसिंग मशीन से इतर कुछ खास एटीएम में कार्ड रीडर का इस्तेमाल व छेड़छाड़ कर हटिया के नौ और डोरंडा के 17 सहित 70-80 एटीएम को निशाना बनाया गया. निशाने पर एनसीआर कंपनी की मशीन होती थी. समय सुबह पांच से आठ बजे के बीच. साथ ही ऐसे एटीएम निशाने पर रहे, जहां सुरक्षाकर्मी नहीं थे.
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केरल घूमने गये और साइबर अपराधियों के रडार पर आ गये : रवि कुमार गोयल परिवार के साथ केरल गये थे. वहां मौज-मस्ती चल ही रही थी कि अचानक उनके रंग में भंग पड़ गया. साइबर अपराधियों ने क्लोनिंग कर उनके खाते से 50 हजार रुपये डेबिट कर लिये. रांची आकर उन्होंने लालपुर शाखा में शिकायत की. बैंक ने गलती मानी और तीन महीने बाद उनके खाते में राशि डेबिट कर दी गयी.
पिन, ओटीपी डालने के बाद वॉलेट से पैसे ट्रांसफर : मोबाइल वॉलेट के जरिए साइबर चोर से जुड़ा मामला जैना मोड़ ब्रांच में सामने आया़ डेबिट कार्ड का पिन, ओटीपी डालने के बाद वॉलेट से पैसे ट्रांसफर हो गये. पेटीएम के कन्ज्यूमर सेल प्रोटेक्शन सेल में बैंक ने शिकायत रजिस्टर्ड कराया. आग्रह के बाद पेटीएम ने ग्राहक को वापस उनके खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिये.
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खाते से 10 हजार निकाले : एक मीडिया कर्मी दीपाटोली स्थित एसबीआइ के ऑफसाइट बीएलए एटीएम से पैसे निकालने गये. कुछ देर बाद मोबाइल पर मैसेज आया कि उनके खाते से 10 हजार रुपये का ट्रांजेक्शन हुआ है. उन्होंने कार्ड ब्लॉक कराने के लिए कॉल किया तो तकनीकी वजहों का हवाला देते हुए दो घंटे बाद संपर्क करने को कहा गया. जब उन्होंने इसकी जांच की तो पता चला कि एटीएम से गलत तरीके से निकासी हुई है. बाद में एसबीआइ आरएमयू ने 50-50 हजार के दो अन्य असफल ट्रांजेक्शन की जानकारी देकर संबंधित शाखा में संपर्क करने को कहा.
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Posted by : Pritish Sahay