क्या झारखंड के दैनिक वेतनभोगी कर्मी होंगे नियमित? हाईकोर्ट ने सरकार को दिया 8 हफ्ते की मोहलत
अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं के नियमितीकरण के दावे पर विचार कर आठ सप्ताह के अंदर निर्णय लें तथा लिये गये निर्णय से अदालत को अवगत करायें.
झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने विभिन्न विभागों में 20-22 वर्षों से कार्यरत दैनिक कर्मियों की सेवा नियमितीकरण व वेतनमान काे लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. अदालत ने कहा कि प्रार्थी 20 वर्षों से दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम कर रहे हैं और राज्य सरकार उनसे काम ले रही है, लेकिन उनकी सेवा नियमित नहीं की गयी है. वेतनमान भी नहीं दिया गया है.
ऐसा करना अनुचित परंपरा है. अदालत ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताओं के नियमितीकरण के दावे पर विचार कर आठ सप्ताह के अंदर निर्णय लें तथा लिये गये निर्णय से अदालत को अवगत करायें. अदालत ने आदेश की प्रति मुख्य सचिव को भेजने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए आठ सप्ताह के बाद की तिथि निर्धारित करने को कहा.
इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता नवीन कुमार व अधिवक्ता श्वेता कुमारी ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि जल संसाधन विभाग, वित्त विभाग, राजस्व पर्षद सहित अन्य विभागों में चालक दैनिककर्मी के रूप में पिछले 20 वर्षों से लगातार काम कर रहे हैं.