रांची. आगमन के पहले रविवार के अवसर पर संत फ्रांसिस चर्च, आरागेट में चार धर्मबंधुओं का उपयाजकीय (डीकन) अभिषेक हुआ. इस दौरान ब्रदर जोनिश गाड़ी, ब्रदर नीरज कंडुलना, ब्रदर नेलसन कुजूर आईएमएस, ब्रदर पायस बागे, कैपुचिन ने उपयाजकीय अभिषेक ग्रहण किया. चारों का उपयाजकीय अभिषेक रांची महाधर्मप्रांत के आर्चबिशप विसेंट आईंद ने किया. आर्चबिशप विंसेंट आइंद ने कहा कि उपयाजक होना सेवा करने के भाव से संबंधित है. इसीलिए उपयाजकों को ईमानदारी और निष्ठा से सेवा करनी चाहिए. आर्चबिशप ने कहा कि यह आगमन काल भी है और यह काल सिर्फ आनेवाले क्रिसमस की बाहरी तैयारी नहीं है. यह समय पवित्रता, शुद्धता और एक-दूसरे को प्रेम दिखाने का काल है. इस अवसर पर फादर आनंद डेविड खलखो, प्रोविंशियल फादर हरमन मिंज, फादर प्रदीप कुमार, फादर साइमन मुर्मू, फादर बेसिल रुंडा, फादर वाल्टर किस्पोट्टा, फादर एंजेलुस एक्का, फादर रोशन तीड़ू, फादर फिलिप मिंज आदि उपस्थित थे.
संत अल्बर्ट कॉलेज में हुई विशेष अराधना
मसीही समुदाय ने रविवार से आगमन (एडवेंट) की शुरुआत की. इस शुरुआत के साथ वे आगमन के पुण्य काल में प्रवेश करते हैं. यह समय यीशु के जन्मोत्सव की आध्यात्मिक तैयारी के लिए है. संत अल्बर्ट कॉलेज के प्रार्थनालय में फादर प्रफुल बाड़ा ने उपदेश दिया. विश्वासियों से कहा कि वे इस आगमन के समय नयी शुरुआत करें. पुरानी वैमन्यस्ता को त्याग दें और अपने जीवन में सकारात्मक सोच लायें. उन्होंने कहा : यह समय केवल क्रिसमस की बाहरी तैयारियों के लिए नहीं, बल्कि हमारे दिलों को तैयार करने का समय है. प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा में हमें सच्चाई, प्रेम और सेवा के मार्ग पर चलना चाहिए. फादर प्रफुल्ल ने बताया कि आज कैथोलिक गिरजाघरों में आगमन के प्रतीक के रूप में मोमबत्तियां प्रज्ज्वलित की गयीं. पहले सप्ताह की मोमबत्ती का रंग बैगनी होता है. पहला दीप ””आशा”” का प्रतीक है, जो हमें याद दिलाता है कि मसीह की ज्योति अंधकार को दूर करती है. इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने भी अपने जीवन में आशा और उम्मीद के लिए प्रार्थना की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है