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18 जून को लद्दाख से झारखंड पहुंचेगा गलवान घाटी में शहीद हुए 2 जवानों का पार्थिव देह

jharkhand jawans martyred, galwan valley, ladakh, indo-china standoff : रांची : लद्दाख में चीन सीमा पर चीनी सैनिकों के दांत खट्टे करने के बाद शहीद हुए झारखंड के दो जवानों के पार्थिव देह गुरुवार (18 जून, 2020) को उनके पैतृक गांव पहुंचेंगे. बिहार रेजिमेंट के शहीदों को लद्दाख से विमान से रेजिमेंट के क्षेत्रीय मुख्यालय दानापुर लाया जायेगा. बिहार के जवानों को यहां श्रद्धांजलि दी जायेगी, जबकि झारखंड व अन्य राज्यों के शहीदों को हेलीकॉप्टर से उनके गृह राज्य भेजा जायेगा. कुंदन ओझा का पार्थिव देह दानापुर एयरपोर्ट से साहिबगंज लाया जायेगा, जबकि गणेश हांसदा को हेलीकॉप्टर से बहरागोड़ा भेजा जायेगा.

रांची : लद्दाख में चीन सीमा पर चीनी सैनिकों के दांत खट्टे करने के बाद शहीद हुए झारखंड के दो जवानों के पार्थिव देह गुरुवार (18 जून, 2020) को उनके पैतृक गांव पहुंचेंगे. बिहार रेजिमेंट के शहीदों को लद्दाख से विमान से रेजिमेंट के क्षेत्रीय मुख्यालय दानापुर लाया जायेगा. बिहार के जवानों को यहां श्रद्धांजलि दी जायेगी, जबकि झारखंड व अन्य राज्यों के शहीदों को हेलीकॉप्टर से उनके गृह राज्य भेजा जायेगा. कुंदन ओझा का पार्थिव देह दानापुर एयरपोर्ट से साहिबगंज लाया जायेगा, जबकि गणेश हांसदा को हेलीकॉप्टर से बहरागोड़ा भेजा जायेगा.

कुंदन ओझा के पार्थिव देह को हेलीकॉप्टर से पहले साहिबगंज और फिर यहां से करीब 14 किलोमीटर उनके पैतृक गांव ले जाया जायेगा. मिर्जाचौकी कस्बा के डिहारी गांव के रहने वाले कुंदन तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे. बड़े और छोटे भाई फाइनेंस कंपनी में छोटा-मोटा काम करके गुजारा करते हैं. किसान परिवार में जन्मे कुंदन परिवार में इकलौता कमाने वाले सदस्य थे. अब वह इस दुनिया में नहीं रहे. इससे परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूटा पड़ा है.

वर्ष 2017 में कुंदन की शादी हुई थी. 15 दिन की एक बेटी है. ग्रामीणों ने मांग की है कि गांव के शहीद कुंदन ओझा के नाम पर गांव के स्कूल का नामकरण किया जाये. साथ ही लोगों का कहना है कि शहीद की पत्नी नेहा देवी को सरकारी नौकरी दी जाये. कुंदन के पिता और भाइयों को उचित मुआवजा मिलना चाहिए, ताकि उनके परिवार को जीवन यापन में कोई दिक्कत न हो.

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ग्रामीणों ने prabhatkhabar.com को बताया कि शहीद जवान का छोटा भाई गोड्डा में काम करता है. पिता किसान हैं. बहुत बड़ी जोत नहीं है. इसलिए उन्हें आर्थिक मदद की जरूरत है. परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य देश के लिए शहीद हो गया. इसलिए पिता और उसकी कमाई पर आश्रित भाइयों को मुआवजा मिले, जबकि पत्नी को आजीविका चलाने और अपनी मासूम बच्ची के पालन-पोषण के लिए अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाये.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि लद्दाख सीमा पर चीनी सैनिकों के साथ बहादुरी से लड़ते हुए साहिबगंज का लाल कुंदन कुमार ओझा (26) शहीद हो गये. कुंदन साहिबगंज जिला के सदर प्रखंड अंतर्गत हाजीपुर पश्चिम पंचायत के डिहारी गांव के रहने वाले थे. मंगलवार को दोपहर तीन बजे जैसे ही कुंदन के शहीद होने की सूचना मिली, डिहारी गांव में मातमी सन्नाटा पसर गया.

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Posted By : Mithilesh Jha

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