जीइएल चर्च का इतिहास लिखने का निर्णय लिया गया
जीइएल चर्च हिस्ट्री कमेटी की बैठक बुधवार को गोस्सनर कंपाउंड स्थित एचआरडीसी में हुई. निर्णय लिया गया कि 1844 से लेकर अब तक के चर्च इतिहास को लिपिबद्ध किया जायेगा.
रांची. जीइएल चर्च हिस्ट्री कमेटी की बैठक बुधवार को गोस्सनर कंपाउंड स्थित एचआरडीसी में हुई. निर्णय लिया गया कि 1844 से लेकर अब तक के चर्च इतिहास को लिपिबद्ध किया जायेगा. चर्च के महासचिव ईश्वर दत्त कंडुलना ने कहा कि चर्च के इतिहास को एक पुस्तक के रूप में सामने लाया जायेगा. पुस्तक हिंदी भाषा में ही होगी. उन्होंने कहा कि 1844 में बर्लिन से जर्मन मिशनरी चले थे. उन्हें म्यांमार जाना था पर परिस्थितिवश वे भारत (कोलकाता) आये. 02 नवंबर 1845 को छोटानागपुर (रांची) पहुंचे, जहां से जीइएल चर्च का इतिहास शुरू होता है. मिशनरियों ने यहां सिर्फ धर्म प्रचार ही नहीं किया बल्कि शिक्षा के लिए स्कूल और अस्पताल भी खोले. इतना ही नहीं आदिवासियों को उनकी जमीन पर हक दिलाने के लिए भी प्रयास किया.
महासचिव ने कहा कि इस तरह से चर्च का एक लंबा, संघर्षपूर्ण और गौरव से भरा इतिहास रहा है. अभी तक यह इतिहास किसी एक जगह पर लिपिबद्ध नहीं है. अलग-अलग समय में लेखकों ने छोटी-छोटी पुस्तिकाओं में इन घटनाओं को लिखा है. इनमें कई ऐसी चीजें हैं, जो अभी भी लिपिबद्ध नहीं हैं. इसकी कड़ियां अभी भी खोजी जानी बाकी है. उन सभी घटनाओं को एक साथ लिपिबद्ध कर उसे पुस्तक रूप दिया जायेगा. इसका उद्देश्य यहीं है कि आनेवाली पीढ़ियां भी चर्च के इतिहास को जान सके.इतिहास लेखन के लिए कमेटी का गठन
इतिहास के लेखन के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. इसके चेयरमैन बिशप एस हेमरोम हैं. कमेटी शोध, आर्काइव का अध्ययन एवं विभिन्न माध्यमों से चर्च के इतिहास को एकत्र कर पुस्तक लेखन को आगे बढ़ायेगी. बैठक में रेव्ह एमएम एक्का, लेखिका मेरी जिराल्ड, इदन तोपनो, प्रवीण बागे, अटल खेस आदि उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है