रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने प्रारंभिक विद्यालय सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली में क्वालीफाइंग मार्क्स में छूट को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी, राज्य सरकार और जेएसएससी का पक्ष सुना. मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद खंडपीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
इससे पूर्व प्रार्थियों की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि राज्य सरकार ने सहायक आचार्यों की नियुक्ति के लिए नियमावली बनायी है. इसके तहत जेएसएससी की ओर से सहायक आचार्य संवर्ग नियुक्ति प्रोन्नति सेवाशर्त नियमावली-2024 के तहत 26001 सहायक आचार्यों की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया चलायी जा रही है. परीक्षा भी हो चुकी है. इस नियमावली में पारा शिक्षकों के लिए जो क्वालीफाइंग मार्क्स तय किया गया है, वह सही नहीं है. ज्ञात हो कि प्रार्थी कृष्ण चंद्र हलदर ने याचिका दायर की है. प्रार्थियों ने 26001 सहायक आचार्यों की नियुक्ति के लिए चल रही प्रक्रिया में पारा शिक्षकों के लिए तय क्वालीफाइग मार्क्स को चुनौती दी है.वास्तविक राशि आठ सप्ताह में ब्याजसहित देने का निर्देश
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने पतरातू औद्योगिक क्षेत्र में आवंटित भूखंड के मामले में एकल पीठ के आदेश को चुनौती देनेवाली अपील याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने अपील याचिका को स्वीकार करते हुए एकल पीठ के नौ जुलाई 2024 के आदेश को निरस्त कर दिया तथा प्रतिवादियों को आठ सप्ताह में अपीलकर्ता को 11,11,705 रुपये (नौ प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ) की पूरी वास्तविक राशि वापस करने के लिए कहा. प्रतिवादी आठ सप्ताह के भीतर अपीलकर्ता को 25,000 रुपये की लागत भी अदा करेंगे. ज्ञात हो कि प्रार्थी सैनिक कॉलोनी डुमरदगा निवासी सुनील कुमार अग्रवाल ने अपील याचिका दायर की थी. अपीलकर्ता ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी थी.जेएसएससी के जवाब पर प्रार्थियों को प्रतिउत्तर देने का निर्देश
रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने स्नातक स्तरीय प्रशिक्षित शिक्षक संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा-2016 के तहत नियुक्ति मामले में एकल पीठ के फैसले को चुनौती देनेवाली दायर विभिन्न अपील याचिकाओं पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने प्रार्थियों को जेएसएससी के जवाब का अध्ययन कर प्रतिउत्तर देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई 23 जनवरी 2025 को होगी. इससे पूर्व जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने पक्ष रखते हुए चार्ट प्रस्तुत किया. इसमें बताया गया है कि प्रार्थियों को कब-कब किस-किस माध्यम से डाॅक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए बुलाया गया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए. अब उनकी नियुक्ति का दावा स्वीकार करने लायक नहीं है. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी निर्मल पाहान व अन्य की ओर से अलग-अलग अपील याचिका दायर की गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है