झारखंड : प्रथम तिमाही के राजस्व में देखी गई 24 प्रतिशत तक की गिरावट, पदों का रिक्त होना बना बड़ी वजह
झारखंड में पिछले वर्ष के मुकाबले इस तिमाही में करीब 24 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. विभाग ने चालू वित्तीय वर्ष में 4088 करोड़ की वसूली की है.
रांची : पिछले वर्ष के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम तिमाही में वाणिज्यकर विभाग के राजस्व में 23.95 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष (2024-25) के दौरान वाणिज्यकर विभाग से राजस्व के रूप में 26000.00 करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य निर्धारित है. राज्य के अपने सभी राजस्व स्रोतों से मिलने वाले राजस्व का 70 प्रतिशत से अधिक सिर्फ वाणिज्यकर विभाग से मिलता है. चालू वित्तीय वर्ष के दौरान जून के तीसरे सप्ताह तक वाणिज्यकर विभाग ने सिर्फ 4088.28 करोड़ रुपये की वसूली की है. यह वार्षिक लक्ष्य का सिर्फ 15.72 प्रतिशत है.
कैसे किया जाता है आकलन
चालू वित्तीय वर्ष के तीसरी तिमाही में हुई राजस्व वसूली में वृद्धि दर के आकलन के लिए पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान इसी अवधि में हुई वसूली को आधार माना जाता है. इस नियम के आलोक में पिछले वर्ष के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष के प्रथम तिमाही में विभाग के राजस्व में 23.95 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है. पिछले वित्तीय वर्ष (2022-23) की प्रथम तिमाही में विभाग ने ने 5375.54 करोड़ रुपये की वसूली की थी. सिर्फ जून माह में हुई वसूली की तुलना कर स्थिति और भी खराब पायी गयी है. पिछले वर्ष सिर्फ जून महीने में 1755.02 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी. चालू वित्तीय वर्ष के जून महीने में सिर्फ 601.70 करोड़ रुपये की वसूली हुई है. इस तरह सिर्फ जून महीने में की गयी वसूली की तुलना में 65.72 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है.
अफसरों की कमी से हुई राजस्व में गिरावट
राजस्व वसूली में हुई इस गिरावट के तीन प्रमुख कारण बताये जाते हैं. जीएसटी एक्ट की सारी शक्तियां वाणिज्य कर आयुक्त के पास होती है. लेकिन विभाग में पिछले एक महीने से ज्यादा समय से वाणिज्यकर आयुक्त का पद रिक्त है. राज्य सरकार में प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने की वजह से तत्कालीन वाणिज्यकर आयुक्त संतोष वत्स विरमित हो तक अपने मूल विभाग (आयकर) में लौट गये हैं. लेकिन सरकार ने इस पद पर अब तक किसी को पदस्थापित नहीं किया है. दूसरा कारण विभाग में भारी संख्या में वित्त सेवा के अधिकारियों के पदों का रिक्त होना, प्रोन्नति नहीं होने की वजह से महत्वपूर्ण पदों का रिक्त होना और एक-एक अधिकारी पर छह-छह पदों की जिम्मेदारी होना दूसरा प्रमुख कारण है. विभाग मे वित्त सेवा के अधिकारियों के कुल 443 पद स्वीकृत हैं. हालांकि इन पदों के मुकाबले सिर्फ 242 अधिकारी ही कार्यरत हैं. वित्त सेवा के अधिकारियों के लिए विशेष सचिव के पांच और अपर आयुक्त के 19 पद स्वीकृत हैं. लेकिन विशेष सचिव और अपर आयुक्त के सभी पद खाली है. इसके नीचे के 177 पद भी प्रोन्नति नहीं होने की वजह से खाली है.
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