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ranchi news : जीवन की दूसरी पारी में हौसलों से दे रहे उम्र को मात

ranchi news : हमारे आसपास ऐसे लोग भी हैं, जो अपने हौसले से न सिर्फ उम्र को मात दे रहे हैं, बल्कि अपने काम के जरिये समाज में जागृति लाकर निरंतर सक्रिय रहने का संदेश भी दे रहे हैं.

रांची (अविनाश). रिटायरमेंट के बाद क्या? आमतौर पर लोग यही सोचते हैं. लेकिन हमारे आसपास ऐसे लोग भी हैं, जो अपने हौसले से न सिर्फ उम्र को मात दे रहे हैं, बल्कि अपने काम के जरिये समाज में जागृति लाकर निरंतर सक्रिय रहने का संदेश भी दे रहे हैं. इनके लिए उम्र महज एक आंकड़ा है. मन में कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो, तो समाज के लिए बेहतर किया जा सकता है. सेकेंड इनिंग में आज चर्चा तीन ऐसे शख्स की जो पर्यावरण और शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहकर समाज के सामने मिसाल कायम कर रहे हैं.

सेवानिवृत्ति के 20 साल बाद भी सामाजिक कार्य में सक्रिय हैं ब्रजबिहारी पांडेय

ब्रजबिहारी पांडेय 31 दिसंबर 2004 को शिक्षक पद से रिटायर हुए. कांके रोड स्थित नवीन आरक्षी मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत थे. अभी 81 साल की उम्र है, लेकिन सामाजिक कार्य में सक्रिय हैं. वर्तमान में रांची रेडक्राॅस सोसाइटी की अनुशासन समिति के संयोजक भी हैं. इसके अलावा कई सामाजिक संगठनों से जुडकर शिक्षा और सामाजिक कार्य को बढ़ावा दे रहे हैं. वह कहते हैं : मौजूदा दौर में नैतिक मूल्य, संस्कार और संस्कृति का संरक्षण जरूरी हैं. इसे लेकर विशेष तौर पर अभियान चला रहे हैं. ब्रजबिहारी पांडेय की पहचान एक शिक्षक नेता के रूप में भी रही है. शिक्षक नेता के तौर पर विदेशों में आयोजित होने वाले शिक्षकों के सम्मेलन में संघ की ओर से भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. अभी राज्य स्तर पर सामाजिक और धार्मिक कार्य में जुटे हैं.

पर्यावरण की नयी परिभाषा गढ़ने में जुटे हैं कौशल किशोर

71 वर्षीय कौशल किशोर जायसवाल पर्यावरण की नयी परिभाषा गढ़ने में जुटे हैं. मूल रूप से पलामू के डाली गांव के रहनेवाले कौशल किशोर निजी खर्च से पर्यावरण धर्म ज्ञान मंदिर का निर्माण करा रहे हैं. उन्होंने 1977 में पर्यावरण धर्म अभियान व वनराखी मूवमेंट की शुरुआत की थी. वहीं 1967 से पर्यावरण की रक्षा के लिए नि:शुल्क पौधा वितरण और रोपण अभियान चला रहे हैं. अब तक देश के 22 राज्यों के 164 जिलाें के अलावा नेपाल, भूटान, वर्मा, सिंगापुर, थाइलैंड आदि जगहों पर भी अभियान चला चुके हैं. करीब 52 लाख पौधे बांट चुके हैं. कौशल किशोर कहते हैं : जब तक जीवन है, पर्यावरण संरक्षण को लेकर काम करता रहूंगा. जीवन का जब लक्ष्य निर्धारित होता है, तो उम्र थकाती नहीं है. इससे निरंतर कार्य करने के लिए प्रोत्साहन मिलता है. कौशल बताते हैं कि अब तक 21 लाख वन वृक्षों को राखी बांध चुके हैं. लोगों में पर्यावरण के प्रति अपनापन का भाव जागृत हो, इसके लिए वह जागरूकता कार्यक्रम चलाते हैं. वर्ष 2023 में रांची को हरा-भरा बनाने की मुहिम में भी शामिल हो चुके हैं.

युवाओं को हुनरमंद बनाने में जुटे हैं गंगा सिंह

गंगा सिंह वर्ष 2019 में नीलांबर-पीतांबर विवि के परीक्षा नियंत्रक के पद से रिटायर हुए हैं. फिलहाल रांची में एक तकनीकी संस्था में निदेशक और सचिव के रूप में सेवा दे रहे हैं. साथ ही वैसे बच्चों की मदद कर रहे हैं, जो अभाव के कारण अपनी पढ़ाई आगे नहीं कर पाते हैं. गंगा सिंह कहते हैं : ऐसे कार्य से जुटने के बाद थकान नहीं होती. जब मैं सेवा में था, तब देखता था कि कई प्रतिभाशाली युवाओं को आर्थिक कारणों से आगे की पढ़ाई में परेशानी होती है. इसलिए रिटायरमेंट के बाद वैसे बच्चों के लिए विशेष तौर पर काम कर रहा हूं. उनके स्किल डेवलपमेंट पर काफी फोकस है. इसका फायदा कई विद्यार्थियों को मिला है. गंगा सिंह कहते हैं : मैं खुद ग्रामीण पृष्ठभूमि से हूं, इसलिए ग्रामीण बच्चों की समस्या को बेहतर ढंग से समझता हूं. इन प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देना जरूरी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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