Ranchi news : कोलकाता की घटना के विरोध में रिम्स में प्रदर्शन, महिला डॉक्टरों ने कहा : अस्पतालों में सुरक्षा का हो पुख्ता इंतजाम
जूनियर महिला डॉक्टरों ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में रात के वक्त सेवा देने वाली जूनियर महिला डॉक्टर के लिए अलग कमरे की व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि, रेस्ट करते वक्त वह सुरक्षित महसूस कर सके.
रांची. कोलकाता में जूनियर महिला डॉक्टर की दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में झारखंड में भी विरोध हो रहा है. रिम्स की महिला रेजिडेंट्स ने भी घटना को लेकर विरोध दर्ज कराया है. डॉ स्वाति ने कहा कि इस घटना के बाद अंदर से डर लगने लगा है. मेरे और बाकियों के घरवाले भी डरे हुए हैं. उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में रात के वक्त सेवा देने वाली जूनियर महिला डॉक्टर के लिए अलग कमरे की व्यवस्था होनी चाहिए. ताकि, रेस्ट करते वक्त वह सुरक्षित महसूस कर सके. वहीं, मेडिकल छात्राओं ने भी कहा कि उनकी सुरक्षा के लिए भी पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी दिया समर्थन
जूनियर डॉक्टरों के विरोध प्रदर्शन को समर्थन देते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रांची के सचिव डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि इस आंदोलन को सिर्फ डॉक्टरों का आंदोलन नहीं समझना चाहिए. इसमें आमलोगों को भी भागीदारी निभानी चाहिए. नेताओं को भी सामने आना चाहिए. सोशल मीडिया पर दुख जता रहे डाक्टर्स : रिम्स के न्यूरो एंड स्पाइन सर्जन और आइएमए के ज्वाइंट सेक्रेट्री डॉ विकास कुमार ने ट्वीट कर घटना पर दुख जताते हुए लिखा कि डॉक्टर ही नहीं, हर एक महिला अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित महसूस करे, यह उनका अधिकार है. प्रबंधन को इसका इंतजाम करना चाहिए.
डर के साये में कर रहे काम
रिम्स जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (जेडीए) के वाइस प्रेसिडेंट डॉ अभिषेक ने कहा कि कोलकाता जैसी घटना कहीं भी हो सकती है. रात के समय ड्यूटी पर तैनात रेजिडेंट डॉक्टर भी डर के साये में काम कर रहे हैं. इस घटना ने अस्पतालों और मेडिकल काॅलेजों में पढ़ने वाली या नौकरी करने वाली महिला डॉक्टर और नर्सों सहित अन्य महिला स्वास्थ्यकर्मियों की चिंता बढ़ा दी है.
मामले की जांच सीबीआइ से करायी जाये : डॉ भारती
आइएमए वीमेन डॉक्टर्स विंग की चेयरपर्सन डॉ भारती कश्यप ने इस मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की. उन्होंने कहा कि नेशनल मेडिकल कमीशन ने डॉक्टर की सेफ्टी के लिए कोई गाइडलाइन नहीं बनायी है. कई रेजिडेंट डॉक्टर रात में भी काम करते हैं. इस लिहाज से सीसीटीवी कैमरा, गार्ड और अस्पतालों में स्ट्रीट लाइट की उचित व्यवस्था होनी चहिए. डॉ भरती भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं. उन्होंने कहा कि डॉक्टर के लिए मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट बहुत जरूरी है.
रिम्स में आज भी प्रभावित रह सकती हैं ओपीडी सेवाएं
फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (एफओआरडीए) के एक प्रतिनिधिमंडल की बैठक नयी दिल्ली में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ हुई. चर्चा के बाद डॉक्टर्स आगामी रणनीति तय करने में लगे हुए हैं. रिम्स जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ अंकित कुमार ने कहा कि अस्पताल में बुधवार को ओपीडी सेवाएं प्रभावित रह सकती है. प्रोटेस्ट पर बुधवार को फिर से विचार हो सकता है. इधर, मंगलवार को विरोध के दौरान रिम्स ओपीडी में 271 और आइपीडी में 149 मरीजों को भर्ती किया गया. इनमें सबसे ज्यादा सेंट्रल इमरजेंसी में 214 मरीज शामिल है. वहीं लेबर रूम में 25 और पीडियाट्रिक इमरजेंसी में 18 नवजात का इलाज किया गया.
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