रांची: विधि विभाग ने देवघर की त्रिकूट रोपवे दुर्घटना की जांच रिपोर्ट के आधार पर इसके संचालक दामोदर रोपवे कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड पर 9.11 करोड़ रुपये का अर्थ दंड लगाने और उसे ब्लैक लिस्ट करने के मामले में अपनी सहमति दे दी. दुर्घटना के बारे में उच्चस्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर झारखंड पर्यटन विकास निगम (जेटीडीसी) के निदेशक मंडल ने संचालक पर 9.11 करोड़ रुपये का अर्थदंड लगाने और ब्लैक लिस्ट करने का फैसला किया था. पर्यटन विभाग ने निगम के इस फैसले पर विधि विभाग से राय मांगी थी.
जेटीडीसी के निदेशक मंडल की बैठक 26 अक्तूबर को हुई थी
विधि विभाग ने इस मामले में सरकार को दी गयी अपनी राय में कहा है कि जेटीडीसी के निदेशक मंडल की बैठक 26 अक्तूबर को हुई थी. इसमें निदेशक मंडल ने रोपवे के संचालक दामोदर रोपवे कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड पर 9.11 करोड़ रुपये का अर्थ दंड लगाने और उसे ब्लैक लिस्ट करने का फैसला किया गया. इस फैसले के आलोक में जेटीडीसी द्वारा दामोदर रोपवे से 31 जनवरी 2024 और नौ फरवरी 2024 को स्पष्टीकरण पूछा गया था. जेटीडीसी ने रोपवे के संचालक का जवाब मिलने के बाद उसकी समीक्षा की. इसके बाद संचालक से दंड की वसूली और उसे ब्लैक लिस्ट करने के अपने फैसले पर विधि विभाग की राय मांगी. इससे संबंधित फाइल पर्यटन एवं खेलकूद विभाग के माध्यम से विधि विभाग को भेजी गयी. विधि विभाग ने उच्चस्तरीय समिति की जांच रिपोर्ट में वर्णित तथ्यों ,जेटीडीसी निदेशक मंडल के फैसले और दामोदर रोपवे के जवाब की समीक्षा कर अपनी राय दी. विधि विभाग ने सरकार को अपनी राय देते हुए लिखा कि दंड लगाने का फैसला निदेशक मंडल ने किया है. कंपनी के नियमों के तहत वह अपने मामले में फैसला लेने के लिए सक्षम है. निदेशक मंडल ने यह फैसला स्वतंत्र जांच रिपोर्ट के आलोक में लिया है. सरकार द्वारा करायी गयी जांच रिपोर्ट में दामोदर रोपवे को प्रथमदृष्टया दोषी पाया गया था. परोक्ष दायित्व के सिद्धांत के अनुसार भी 10 अप्रैल 2022 को हुई दुर्घटना के लिए वह उत्तरदायी है. इसलिए प्रशासी विभाग निगम के निदेशक मंडल द्वारा किये गये फैसले पर विचार कर सकती है.
10 अप्रैल 2022 को हुआ था हादसा
उल्लेखनीय है कि 10 अप्रैल 2022 को हुई दुर्घटना में तीन यात्रियों की मौत हो गयी थी. रोपवे में फंसे यात्रियों को बचाने के लिए सरकार ने सेना का सहयोग लिया था. इस दुर्घटना के सिलसिले में हाइकोर्ट में भी एक याचिका विचाराधीन है. राज्य सरकार ने दुर्घटना की जांच के लिए 19 अप्रैल 2022 को एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था. इसमें विभिन्न क्षेत्र के विशेषज्ञों को शामिल किया था. इस समिति ने दुर्घटना के दो महत्वपूर्ण कारण बताये थे. इसें शॉफ्ट के निर्माण में निर्धारित मात्रा से अधिक हाइड्रोजन होने और उसमें ग्रीस की कमी का उल्लेख किया गया था.
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