टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट में बोले देवदत्त पटनायक- विज्ञान कैसे का जवाब देता है, क्यों का नहीं

विज्ञान कैसे हुआ, यह तो बता सकता है, लेकिन यह नहीं बता सकता है कि कोई काम क्यों हुआ? विज्ञान के पास क्यों? का जवाब नहीं होता है. उन्होंने कहा कि विज्ञान घमंड बढ़ा सकता है, लेकिन उतार नहीं सकता है. विज्ञान को ज्यादा महत्व देना मूर्खता है. यह बात मुंबई के प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने कही.

By Prabhat Khabar News Desk | December 10, 2023 2:26 AM

झारखंड की राजधानी रांची के ऑड्रे हाउस सभागार में टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट का आयोजन प्रभात खबर के सहयोग से किया जा रहा है. शनिवार को इसमें प्रसिद्ध माइथोलॉजिस्ट और लेखक देवदत्त पटनायक ने अपने विचार रखे. वह धार्मिक मुद्दों का विश्लेषण करते हैं. उन्होंने कहा : विज्ञान घमंड बढ़ा सकता है, लेकिन उतार नहीं सकता है. विज्ञान को ज्यादा महत्व देना मूर्खता है. विज्ञान कैसे हुआ, यह तो बता सकता है, लेकिन यह नहीं बता सकता है कि कोई काम क्यों हुआ? विज्ञान के पास क्यों? का जवाब नहीं होता है. उन्होंने कहा कि विज्ञान घमंड बढ़ा सकता है, लेकिन उतार नहीं सकता है. विज्ञान को ज्यादा महत्व देना मूर्खता है. यह बात मुंबई के प्रसिद्ध लेखक देवदत्त पटनायक ने कही. वह टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट में बोल रहे थे. शनिवार को इनकी लिखी पुस्तक ‘बाहुबली : 63 इनसाइट्स इनटू जैनिज्म’ का विमोचन किया गया. श्री पटनायक धार्मिक मुद्दों का गंभीरता से विश्लेषण करते हैं. मौके पर देवदत्त पटनायक ने आगे कहा कि भारत से ही भारत बनता है. यहां अलग-अलग भाषाएं कई जगहों से आती हैं. सभी भाषाओं के व्याकरण भी अलग-अलग हैं. यहां की पौराणिक कथाएं (माइथोलॉजी) बहुत पुरानी हैं. आज के युवा विज्ञान को ज्यादा तरजीह देते हैं. विज्ञान कैसे हुआ, यह तो बता सकता है, लेकिन यह नहीं बता सकता है कि कोई काम क्यों हुआ? विज्ञान के पास क्यों? का जवाब नहीं होता है. श्री पटनायक ने कहा कि आज 20 फीसदी जैनियों के पास संपत्ति है, जबकि इनकी आबादी मात्र दो फीसदी है. जैन सफल समुदाय है. यही कारण है कि इनके पास ज्यादा लक्ष्मी है. बुरे समय में लोग अध्यात्म का सहारा लेते हैं, जबकि अच्छे समय में मंदिर का सहारा लेते हैं.

तकनीक ने साहित्य से दूरी बना दी

प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी ने कहा कि आज कल देश के करीब हर शहर में साहित्य उत्सव हो रहे हैं. लोगों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. लेकिन, लोगों में पढ़ने के प्रति रुचि घटी है. इसमें तकनीक का भी योगदान है. इसने साहित्य से दूरी कायम कर दी है. युवा अलग-अलग माध्यमों से पढ़ रहे हैं, लेकिन किताब पढ़नेवालों की संख्या कम हो रही है. यही कारण है कि साहित्य उत्सव भी बहुत प्रभावशाली नहीं हो पा रहे हैं. इन्हें प्रभावी करने में समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. साहित्य में जीवन दर्शन होता है. साहित्य ने कई महत्वपूर्ण आंदोलनों में सक्रिय भूमिका निभायी है. तकनीक का सकारात्मक असर भी है. तकनीक ने कई माध्यमों को सर्वसुलभ बनाया है, लेकिन, हम लोग अच्छी चीजों को पढ़ने की बजाय व्हाट्सएप और फेसबुक जैसी चीजों पर ज्यादा समय बिताते हैं. पहले हम लोग पूरा-पूरा अखबार पढ़ जाते थे. अब केवल हेडलाइन तक ही सीमित रह जा रहे हैं. तकनीक ने हमें इ-कॉमर्स की सुविधा दी है. इससे अच्छी-अच्छी किताबें छोटे-छोटे शहरों में मिल जा रही है. मॉल संस्कृति तो आयी है, लेकिन वहां किताबें छोड़कर सभी चीज बिकती है. वहां एक स्थान साहित्य के लिए भी होनी चाहिए.

Also Read: VIDEO: प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी से विशेष बातचीत में क्या बोलीं साहित्यकार ममता कालिया?

पहले सत्र में गीता की अहमियत पर हुआ मंथन

‘गीता इस युग के लिए क्यों महत्वपूर्ण है’ विषय पर चर्चा करते हुए लेखक देवदत्त पटनायक ने कहा कि देश में ही दो ही महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ हैं. एक रामायण और दूसरा महाभारत. रामायण में राम कथा का वर्णन है, तो महाभारत में कृष्ण का. रामायण की कहानियां साल पेड़ के आसपास वाले इलाकों में रही हैं. वहीं महाभारत की कथा देवदार पेड़ के आसपास वाले इलाकों में केंद्रित हैं. यह देव भूमि वाला इलाका है. पांडवों का अज्ञातवास वाला इलाका जयपुर के आसपास था. लेकिन, महाभारत के युद्ध में दक्षिणी राज्यों की भूमिका भी महत्वपूर्ण थी. महाभारत के युद्ध के समय भोजन की व्यवस्था दक्षिणी प्रदेशों के राजा करते थे. असल में हम लोगों ने गीता को डायवर्सिटी में नहीं सुना है. हम वही जानते हैं, जो संजय को धृतराष्ट्र ने बताया है. कई ऐसी बातें हैं, जो हम आज भी नहीं जानते हैं. धृतराष्ट्र की बातों को गंभीरता से नहीं विश्लेषण करते हैं. अर्जुन की बातों के महत्व को नहीं पकड़ पाते हैं.

रामायण की कहानियां साल पेड़ के आसपास वाले इलाकों से जुड़ीं हैं

‘गीता इस युग के लिए क्यों महत्वपूर्ण है’ विषय पर चर्चा करते हुए लेखक देवदत्त पटनायक ने कहा कि देश में ही दो ही महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ हैं. एक रामायण और दूसरा महाभारत. रामायण में राम कथा का वर्णन है, तो महाभारत में कृष्ण का. रामायण की कहानियां साल पेड़ के आसपास वाले इलाकों में रही हैं. वहीं महाभारत की कथा देवदार पेड़ के आसपास वाले इलाकों में केंद्रित हैं. यह देव भूमि वाला इलाका है. पांडवों का अज्ञातवास वाला इलाका जयपुर के आसपास था. लेकिन, महाभारत के युद्ध में दक्षिणी राज्यों की भूमिका भी महत्वपूर्ण थी. महाभारत के युद्ध के समय भोजन की व्यवस्था दक्षिणी प्रदेशों के राजा करते थे. असल में हम लोगों ने गीता को डायवर्सिटी में नहीं सुना है. हम वही जानते हैं, जो संजय को धृतराष्ट्र ने बताया है. कई ऐसी बातें हैं, जो हम आज भी नहीं जानते हैं. धृतराष्ट्र की बातों को गंभीरता से नहीं विश्लेषण करते हैं. अर्जुन की बातों के महत्व को नहीं पकड़ पाते हैं.

Also Read: Tata Steel Jharkhand Literary Meet : ममता कालिया ने कहा, लोगों को फेसबुक से बुक की ओर ले जा रहा साहित्य उत्सव

बता दें कि ऑड्रे हाउस सभागार में टाटा स्टील झारखंड लिटरेरी मीट का आयोजन प्रभात खबर के सहयोग से किया जा रहा है. इसमें देश के जाने-माने साहित्यकार, कथाकार और नाट्यकार हिस्सा ले रहे हैं. स्थानीय और बाहर के राज्यों से आये साहित्य प्रेमियों से आड्रे हाउस परिसर गुलजार है. यह सिलसिला रविवार को भी जारी रहेगा. इस मौके पर साहित्य की कई विधाओं और पुस्तकों पर चर्चा होगी. कुछ कवि कविता पाठ करेंगे. शनिवार को भी दिनभर जमावड़ा रहा. साहित्य और उनके गुणों पर चर्चा हुई.

Next Article

Exit mobile version