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रांची की इन संकरी गलियों में आग लग जाए तो दमकल वाहनों का पहुंचना बनेगी चुनौती

रांची की संकरी गलियों को फुटपाथ दुकानदारों और मोहल्ले की पार्किंग ने और पतला कर दिया है. चिंता की बात यह है कि कुछ ऐसी संकरी गलियां हैं, जहां बड़े व्यवसाय संचालित होते हैं.

झारखंड के धनबाद में हाल के दिनों में लगातार कई आगजनी की घटना हुई. जिसके बाद ये लोगों को चिंता में डाल दी. यहां तक की झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की. इस बीच प्रभात खबर की टीम ने शहर के ऐसे कई इलाकों की पड़ताल की, जहां पर संकरी गली होने से दमकल गाड़ियों का पहुंचना चुनौती है. हालत ये हो गये हैं कि विभिन्न मोहल्ले की संकरी और तंग गलियां लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन गयी हैं.

इन गलियों से होकर निकलना किसी चुनौती से कम नहीं है. क्योंकि, इन संकरी गलियों को फुटपाथ दुकानदारों और मोहल्ले की पार्किंग ने और पतला कर दिया है. चिंता की बात यह है कि कुछ ऐसी संकरी गलियां हैं, जहां बड़े व्यवसाय संचालित होते हैं. यहां सुबह से रात तक लोगों की भीड़ रहती है. ऐसे में अगर इन गलियों में आग लग जाये, तो फायर ब्रिगेड वाहनों का पहुंचना मुश्किल होगा.

यहां की संकरी गलियों में पैदल चलना भी मुश्किल

अपर बाजार की विभिन्न गलियों में हर दिन करोड़ों रुपये का कारोबार होता है. हर दिन बड़ी संख्या में लोग खरीदारी करने पहुंचते हैं. रंगरेज गली, दीनबंधु लेन, सोनार पट्टी, श्रद्धानंद रोड, जेजे रोड सहित अन्य गलियों में कई दुकानें हैं. इन तंग गलियों में कभी भी अगलगी की घटना हुई, तो समय रहते लोगों को बचाना संभव नहीं है. दिन में इन गलियों में पैदल चलना भी मुश्किल होता है.

इन तंग गलियों का हाल यह है कि अगलगी की घटना होने पर अग्निशमन वाहन भी नहीं पहुंच पायेगा. दुकानों के दोनों ओर दोपहिया वाहन लगे रहते हैं. रही-सही कसर ठेलावाले पूरी कर देते हैं. दुकानों का अतिक्रमण अलग है. कई दुकानदार अपना सामान दुकान के बाहर निकाल कर लगा देते हैं. इसके बाद जो जगह बचती है, उसमें आम लोग चलते हैं.

बड़े वाहनों का पहुंचना मुश्किल

डोरंडा बाजार के अंदर अगर कभी अगलगी की घटना होती है, तो इसे बुझाने के लिए दमकल वाहन नहीं घुस पायेंगे. क्योंकि, यहां काफी संकरा रास्ता है. बाजार में कपड़ा से लेकर खाद्य सामग्री व जूता चप्पल की दुकानों की भरमार है. ये सभी पदार्थ अति ज्वलनशील की श्रेणी में आते हैं. इसके बावजूद यहां आग से बचने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है. एक-दो दुकानों को छोड़ दिया जाये, तो किसी के पास अग्निशमन यंत्र नहीं है.

जबकि यहां हमेशा खरीदारी के लिए लोग आते रहते हैं. यहां से राज्य अग्निशमन मुख्यालय की दूसरी महज 500-700 मीटर है. लेकिन, डोरंडा बाजार जानेवाली सड़कें हमेशा जाम रहती हैं. इस कारण यहां तक दमकल वाहनों के पहुंचने में काफी देर लग सकती है. ऐसे में अगलगी की घटना होने पर बड़ा नुकसान हो सकता है. कुछ ऐसी ही स्थिति बाजार के अंदर मैदान में लगने वाली दुकानों की भी है.

8-10 फीट चौड़ी गलियों में बहुमंजिली इमारतें

रांची शहर के डेवलपमेंट का जिम्मा रांची नगर निगम पर है. लेकिन, निगम की लापरवाही के कारण नियम कानून को ताक पर रखकर निर्माण कराया जाता है. यही वजह है कि पतली और तंग गलियों में बहुमंजिली इमरतें खड़ी हो जाती हैं. यह सब टाउन प्लानिंग सेक्शन के अभियंताओं की मिलीभगत से होता है. सबसे खराब हाल रातू रोड इलाके का है.

यहां 8-10 फीट चौड़ी गलियों में बहुमंजिली इमारतों का निर्माण करा दिया गया है. ऐसे में यहां अगलगी की घटना होने पर इस पर काबू पाना मुश्किल है. रातू रोड के अल्कापुरी, इंद्रपुरी, बिड़ला मैदान के साथ-साथ निचले मोहल्ले शिवपुरी, मधुकम, आनंद नगर, स्वर्ण जयंती नगर, कोकर, तिरिल बस्ती, लोअर चुटिया में भी संकरी गलियों में बहुमंजिली इमारतों का निर्माण कर लिया गया है. इन गलियों की हालत यह है कि अगर यहां आग लग जाये, तो फायर ब्रिगेड की गाड़ी नहीं पहुंच पायेगी.

जगह के अभाव में नहीं पहुंचा था दमकल वाहन

हिंदपीढ़ी थाना क्षेत्र के लिटिल गार्डेन स्कूल के पास लूटपाट का विरोध करने पर 16 दिसंबर 2022 को मोटू ने मो अमजद (29 वर्ष) के पेट में चाकू मार कर हत्या कर दी थी. इसके बाद आक्रोशित लोगों ने मोटू के भाई हिंदपीढ़ी नदी के किनारे रहनेवाले मो आफताब सहित पांच लोगों के घरों में आग लगा दी थी. लेकिन, जगह के अभाव में फायर ब्रिगेड की गाड़ी वहां नहीं पहुंच सकी थी. ऐसे में स्थानीय लोग और पुलिस को बाल्टी से पानी लाकर आग पर बुझानी पड़ी थी. इस कारण आग पर काबू पाने में काफी देर हो गयी और सारा सामान जल कर राख हो गया.

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