Jharkhand Politics News : हिमंता का सवाल : नहीं दी पांच लाख नौकरी, कब संन्यास लेंगे हेमंत सोरेन

भाजपा के विधानसभा चुनाव सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा ने पिछले विधानसभा चुनाव से पूर्व किये गये वादे को लेकर हेमंत सोरेन पर निशाना साधा. कहा कि पूरा झारखंड हेमंत सोरेन से पूछ रहा है कि हमें तो नहीं मिला, आपको मिला क्या?

By Prabhat Khabar News Desk | August 26, 2024 1:03 AM

प्रमुख संवाददाता, (रांची). भाजपा के विधानसभा चुनाव सह प्रभारी और असम के मुख्यमंत्री हिमंता विश्वा सरमा ने पिछले विधानसभा चुनाव से पूर्व किये गये वादे को लेकर हेमंत सोरेन पर निशाना साधा. कहा कि पूरा झारखंड हेमंत सोरेन से पूछ रहा है कि हमें तो नहीं मिला, आपको मिला क्या? श्री सरमा रविवार को राजधानी के एक बैंक्वेट हॉल में पत्रकारों से रूबरू थे. श्री सरमा ने कहा कि हेमंत सोरेन ने वीर शहीद निर्मल महतो की समाधि स्थल पर प्रण लिया था कि पांच लाख को नौकरी देंगे. ऐसा नहीं हुआ, तो राजनीति से संन्यास ले लेंगे. उन्हें बताना चाहिए कि अब वह एक माह और इंतजार करेंगे या 30 सितंबर या दो अक्तूबर को राजनीति से संन्यास ले लेंगे. झारखंड में नवंबर में चुनाव होना है. अक्तूबर में शासन इलेक्शन कमीशन के हाथ में चला जायेगा.

झारखंड में सीएम से पावरफुल बालू माफिया हो गये हैं

उन्होंने कहा कि बेरोजगारी भत्ता के 15 हजार करोड़, विधवा महिलाओं की पेंशन के 3750 करोड़, 40 लाख महिलाओं के 50 हजार गारंटी ऋण के 250 लाख करोड़, चूल्हा भत्ता के 7000 करोड़ कहां गये? श्री सरमा ने कहा कि झारखंड में सरकार के बजाय डिक्टेटरशिप चल रहा है. झारखंड में सीएम से पावरफुल बालू माफिया हो गये हैं. बालू से पैसा खींचा जा रहा है. माफिया बोल रहे हैं कि फ्री में बालू नहीं देंगे. जबकि सीएम ने फ्री में बालू देने की घोषणा की है. माफिया सीएम से ज्यादा पावरफुल हो गये हैं. सीएम को ‘घुसपैठ’ का भी मुद्दा अच्छा नहीं लगा. आज रांची से डॉक्टर की गिरफ्तारी हो रही है. जो अलकायदा से जुड़ा हुआ था. जेहाद फैलाने की कोशिश में था.

अंग्रेजों ने भी ऐसी एफआइआर दर्ज नहीं की

श्री सरमा ने कहा कि झारखंड के डीजीपी लिमिट क्रॉस कर रहे हैं. युवा आक्रोश रैली के दौरान बिना नाम के 12 हजार युवाओं पर एफआइआर करना, ऐसा मैंने कहीं नहीं देखा. वह अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर युवाओं को ब्लैकमेल करना चाहते हैं. जालियांवाला बाग कांड में ब्रिटिश शासन ने भी ऐसी एफआइआर दर्ज नहीं की थी. अगर डीजीपी ने तीन दिन के अंदर 12 हजार का नाम नहीं बताया, तो चुनाव आयोग और कोर्ट जायेंगे. चुनाव आयोग से आग्रह करेंगे कि ऐसे डीजीपी के अंदर में चुनाव नहीं हो सकता. डीजीपी ने गलत जगह पर हाथ लगा दिया. डीजीपी को हम बाद में कानून सिखा देंगे. विधायक रणधीर सिंह और कोचे मुंडा पर एफआइआर दर्ज किया गया, जबकि वे रांची में थे ही नहीं.

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