रांची : दीदी बाड़ी योजना से छह महीने में पांच लाख परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं रोजगार उपलब्ध कराने के लिये चल रहे अभियान के 35 दिनों में डेढ़ करोड़ मानव दिवस सृजन का लक्ष्य रखा गया है.
ग्रामीण विकास सचिव आराधना पटनायक ने कहा कि राज्य में कुपोषण की समस्या मिटाने के लिए मनरेगा एवं जेएसएलपीएस के सहयोग से दीदी बाड़ी योजना योजना चल रही है. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के साथ-साथ संपत्ति सृजन के लिए मनरेगा की योजनाओं के दायरे में और विस्तार किया गया है.
ऐसे में अब मनरेगा को रोजगार सृजन के साथ-साथ कुपोषण जैसी समस्याओं से निपटने का कारगर हथियार बनाया गया है. ग्रामीणों के घर के बाहर एक छोटी पोषण वाटिका तैयार की जा रही है. यहां फलों व सब्जियों के ऐसे पौधे लगाये जा रहे हैं, जिनसे ज्यादा पोषण मिलता है. उन्होंने कहा कि झारखंड में कुपोषण एक बड़ी समस्या है.
राज्य की 65.5 फीसदी महिलाएं तथा पांच वर्ष तक के 45.3 फीसदी बच्चे कुपोषित बताये जाते हैं. इनकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए मनरेगा और जेएसएलपीएस के सहयोग से काम हो रहा है.
खास बात यह है कि ग्रामीण अपनी पोषक वाटिका का निर्माण खुद करेंगे और उन्हें काम के एवज में मनरेगा के मद से राशि का भुगतान किया जा रहा है. सब्जी, पपीता, केला व अन्य पौधों पर होने वाले खर्च का वहन राज्य आजीविका मिशन कर रहा है. प्रशिक्षण का व्यय भी राज्य आजीविका मिशन ही वहन करेगा.
posted by : sameer oraon