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Ranchi news : सदर अस्पताल की जगह अब रिम्स में होगी मेडिकल छात्रों की दिव्यांगता जांच

दिव्यांग मेडिकल स्टूडेंट्स को प्रमाण पत्र जारी करने के लिए रिम्स बनेगा नोडल सेंटर. स्वास्थ्य विभाग दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने को लेकर जारी करेगा नयी गाइडलाइन.

बिपिन सिंह, रांची.

राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों में दिव्यांग कोटे पर एमबीबीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए मेडिकल स्टूडेंट्स को दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए स्वास्थ्य विभाग नयी गाइडलाइन जारी करेगा. इसके लिए राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) को नोडल सेंटर बनाते हुए प्राधिकृत किया गया है. वर्तमान शैक्षणिक सत्र से नि:शक्त अभ्यर्थियों की स्क्रीनिंग और दिव्यांगता प्रमाण पत्र रिम्स जारी करेगा. इसके लिए झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद के परीक्षा नियंत्रक ने विभाग को पत्र लिखा था.

35 एमबीबीएस सीटें आरक्षित

दिव्यांग कोटा से एमबीबीएस, बीडीएस और बीएचएमएस में प्रवेश के लिए रिम्स से प्रमाणपत्र बनवाना होगा. अभी तक सभी 24 जिलों के सिविल सर्जनों को ही मेडिकल कॉलेजों में आरक्षित सीटों पर प्रवेश के लिए अभ्यर्थियों को विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार था. इससे कभी-कभी प्रवेश प्रभारियों के बीच संदेह और भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती थी. झारखंड में राज्य सरकार के स्वामित्व वाले मेडिकल कॉलेजों में विकलांग उम्मीदवारों के लिए करीब 35 एमबीबीएस सीटें आरक्षित हैं.

अगले सप्ताह से रिम्स में बैठेगा मेडिकल बोर्ड

नयी गाइडलाइन के तहत अगले सप्ताह से रिम्स में मेडिकल बोर्ड बैठेगा. चिकित्सकों को दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनाने के लिए सामान्य प्रशिक्षण दिया जायेगा. मेडिकल बोर्ड दिव्यांगता जांच के बाद प्रमाणपत्र जारी करेगा. चलने-फिरने में अक्षमता, अंधापन, ऑर्थोपेडिक्स, नेत्र और इएनटी से संबंधित बहु विकलांगता की जांच की जायेगी.

विवादों को लेकर लिया गया फैसला

नीट परीक्षा के साथ ही यूपीएससी प्रवेश परीक्षा में दिव्यांगता जांच को लेकर कई विवाद सामने आये हैं. झारखंड में भी शैक्षणिक सत्र 2022-23 के दौरान सिविल सर्जन द्वारा जारी प्रमाण पत्र पर संदेह के कारण झारखंड के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज अस्पताल धनबाद और शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल हजारीबाग में विकलांग कोटे की दो सीटें खाली रह गयी थीं.

40% या उससे अधिक दिव्यांगता वाले को मिलेगा लाभ

सदर अस्पताल में दिव्यांगता प्रमाण पत्र निर्गत करने वाले मेडिकल अफसर डॉ अरुण विजय कुमार बाखला ने बताया कि इसका उद्देश्य दिव्यांगजनों को आगे बढ़ने के लिए अवसर प्रदान करना है. हालांकि, आरक्षण का लाभ तभी मिलता है, जब कोई अभ्यर्थी 40% या उससे अधिक दिव्यांग हो. इसके लिए अभ्यर्थी के पास दिव्यांगता प्रमाण पत्र होना अनिवार्य है.

पिछले साल से चल रहा है प्रयास

झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद और स्वास्थ्य विभाग की ओर से पिछले साल से ही इस दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं. लेकिन, पर्षद ने नयी गाइडलाइन को उस वक्त लागू करने से मना कर दिया था. पर्षद ने अपनी विवशता जताते हुए कहा था कि चालू शैक्षणिक सत्र के बीच इसे लागू किया जाना ठीक नहीं होगा. इसके बाद तत्कालीन विशेष सचिव ने नये नियमों को 2024-25 से लागू करने को कहा था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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