रांची में शिक्षा की वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा, परवेज शीतल की पुस्तक ‘साइलेंट रोजेलिंग्स’ का हुआ विमोचन
राजधानी रांची के मांडर में दो दिवसीय सेमिनार का आयोजन हुआ. इस सेमिनार में जहां 'शिक्षा की वैश्विक चुनौतियों और उसकी शिक्षा में पहुंच विषय' पर चर्चा हुई. वहीं, परवेज शीतल की पुस्तक 'साइलेंट रोजेलिंग्स' का विमोचन भी किया गया.
Jharkhand News: राजधानी रांची के मांडर में भारतीय कॉलेज ऑफ एजुकेशन की ओर से दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ. इस सेमिनार में ‘शिक्षा की वैश्विक चुनौतियों और उसकी शिक्षा में पहुंच विषय’ पर चर्चा हुई. वहीं, परवेज शीतल की एक पुस्तक का विमोचन भी हुआ.
परवेज शीतल की पुस्तक ‘साइलेंट रोजेलिंग्स’ का विमोचन
इस दो दिवसीय सेमिनार में परवेज शीतल की पुस्तक ‘साइलेंट रोजेलिंग्स’ का विमोचन किया गया. पद्मश्री मुकुंद नायक, डॉ डीएन सिंह, डॉ कमल कुमार बोस समेत अन्य गणमान्य लोगों ने इस पुस्तक का विमोचन किया. इस पुस्तक की खासियत है कि यह पांच भाषाओं में है.
विश्व की पांच भाषाओं में पुस्तक का अनुवाद
धनबाद के कतरासगढ़ के रहने वाले और वर्तमान में गिरिडीह में पदस्थापित परवेज शीतल की पुस्तक विश्व की पांच बड़ी भाषाओं में अनुवादित है. इसके तहत जर्मन, फ्रेंच, इटालियन, स्पैनिश, और टर्किश में इस पुस्तक का अनुवाद हो चुका है.
पद्मश्री मुकुंद नायक ने गीत प्रस्तुत कर दिया संदेश
कंदरी स्थित भारतीय कॉलेज ऑफ एजुकेशन द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन अवसर पर पद्मश्री मुकुंद नायक ने गीत प्रस्तुत कर अपने संदेश में कहा कि समाज को बदलने के लिए युवाओं को आगे आना होगा. वहीं, रांची विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू डॉ सुदेश कुमार साहू इस सेमिनार के आयोजन को सराहनीय कदम बताया और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम से शोधार्थी एवं प्रशिक्षु छात्रों की बहुत कुछ सीखने का मौका मिलता है और उनका आत्मविश्वास बढ़ता है.
समाज में दें अपना बहुमूल्य योगदान
वहीं, भारतीय कॉलेज ऑफ एजुकेशन के सचिव नितिन पराशर ने कहा कि उनका प्रयास है कि संस्थान के विद्यार्थियों को हर तरह के कौशल से युक्त किया जाए, जिससे आगे वह समाज में अपना बहुमूल्य योगदान दे सके. शैक्षणिक सचिव दीपाली पराशर ने कहा कि उनके संस्थान का उद्देश्य ग्रामीण इलाके के लोगों को शिक्षित कर समाज को सही दिशा देना है. इस दौरान प्रतिभागियों ने भी सेमिनार के लक्ष्यों पर अपने विचार रखे. अंत में प्रतिभागियों के बीच प्रमाण-पत्र का विवरण किया गया. धन्यवाद ज्ञापन मनोज कुमार गुप्ता ने किया. इस मौके पर बीएड, डीएलएड के प्राचार्य, सह व्याख्याता, शिक्षकेत्तर कर्मचारी एवं सभी सत्र के छात्र-छात्राओं सहित कई अन्य शैक्षणिक संस्थानों के शिक्षाविद, शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद थे.
युवा वर्ग को सही दिशा देने की जरूरत : कुलपति
दूसरी ओर, सेमिनार के पहले दिन रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने युवा वर्ग को सही दिशा देने की जरूरत है, ताकि हमारे देश का भविष्य उज्ज्वल हो. इस दिशा में यह सेमिनार उनके लिए कारगर साबित होगा. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने पुरानी और नई शिक्षा नीति का फर्क व नई शिक्षा नीति के लाभ से लोगों को अवगत कराया.
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कई शिक्षाविदों ने रखे अपने विचार
सेमिनार के कॉर्डिनेटर मनोज कुमार गुप्ता ने कहा कि जब बात शिक्षा जैसे विशाल बरगद रूपी व्यवस्था पर हो रही हो, तो यह देखना भी जरूरी है कि उस व्यवस्था के वृक्ष को कितना प्रर्याप्त पोषण मिला है. इस दौरान ग्रीस की रानियां लौम्पौ एवं हवाई किंगडम की रानी नादिया हारीहिरी व अन्य शिक्षाविदों ने भी वेबिनार के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये.