इइएफ-हाइटेंशन बचाओ संघर्ष समिति का फैसला, लोकसभा प्रत्याशियों से नाराजगी, नोटा पर देंगे वोट
इइएफ, टाटीसिलवे व हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी, सामलौंग के आवासीय परिसर में रह रहे कर्मियों व उनके परिवारों ने रांची लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी जतायी है.
रांची (संवाददाता). इइएफ, टाटीसिलवे व हाइटेंशन इंसुलेटर फैक्टरी, सामलौंग के आवासीय परिसर में रह रहे कर्मियों व उनके परिवारों ने रांची लोकसभा चुनाव के प्रत्याशियों के प्रति नाराजगी जतायी है. समिति के अध्यक्ष मंटू लाला व सचिव समीर सिंह ने कहा है कि उन्होंने एनडीए प्रत्याशी संजय सेठ तथा इंडिया गठबंधन के सुबोधकांत सहाय व प्रत्याशी यशस्विनी सहाय को अपनी समस्याएं बताने के लिए आमंत्रित किया था. पर किसी प्रत्याशी ने करीब 200 परिवारों से मिलना जरूरी नहीं समझा. श्री लाला ने बताया कि बिहार राज्य औद्योगिक विकास निगम ने उपरोक्त दोनों कारखाना कर्मियों को करीब 25 वर्षों से वेतन व अन्य भुगतान नहीं किया है. इससे कई परिवार के बच्चों की पढ़ाई छूट गयी. बीमार लोग बिना इलाज के मर गये व बेटियों की शादी नहीं हो रही है. लोग दाने-दाने को मोहताज हैं. पर प्रबंधन तानाशाही कर रहा है. आवासीय परिसर के 200 परिवारों को घर से निकालने की साजिश की जा रही है. जबकि वे लोग 40-50 वर्षों से कारखानों के आवास में रह रहे हैं. इसकी मरम्मत व रखरखाव पर खर्च कर रहैं हैं. उच्च न्यायालय के आदेश पर सबको बिजली का निजी कनेक्शन मिला है, जिसका वे लोग नियमित भुगतान करते हैं. उन्हें बीएसआइडीसीएल बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर की वर्ष 2007 में हुई बैठक में आवास लीज पर देने का फैसला हो चुका है. कारखाना परिसर निजी पार्टी को लीज पर दे दिया गया है. ऐसे में कारखानों के आवास अनुपयोगी हो गये हैं. पर बिहार सरकार तानाशाही रवैया दिखा रही है, जबकि कारखाने झारखंड की धरती पर हैं. समिति के अध्यक्ष व सचिव ने कहा है कि बीएसआइडीसी के क्वार्टर संबंधित कर्मियों व उनके आश्रितों को 99 वर्ष के लीज पर देने की उनकी मांग है. अगर प्रत्याशियों से उन्हें समर्थन नहीं मिला, तो वे नोटा पर बटन दबाने को मजबूर होंगे.
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