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रांची जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने की मांग, कहा- एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करें सरकार

Advocate Protection Act jharkhand: गुरुवार को प्रभात खबर की ओर से परिचर्चा का आयोजन किया गया. इसमें रांची जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने अपनी सुरक्षा के लिए मांग की. उन्होंने सरकार से एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की.

By Prabhat Khabar News Desk | December 2, 2022 1:15 PM

Ranchi News: सिविल कोर्ट स्थित रांची जिला बार एसोसिएशन भवन (बार भवन ) की लाइब्रेरी में गुरुवार को प्रभात खबर की ओर से परिचर्चा का आयोजन किया गया. अधिवक्ताओं ने कहा कि उनकी सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट होना जरूरी है. राज्य सरकार एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट को सदन के पटल पर लाकर शीघ्र लागू करें. राज्य में 38,000 अधिवक्ता हैं. रांची जिला बार एसोसिएशन ने सबसे पहले एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट का मुद्दा उठाया और कहा कि इसका पूरा ड्राफ्ट भेजा है, लेकिन सरकार ध्यान नहीं दे रही है.

अधिवक्ता के स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास को लेकर भी सरकार के पास कोई योजना नहीं है. सरकार को अधिवक्ताओं के लिए बजट में 5000 करोड़ का प्रावधान करना चाहिए. सीएसआर के तहत इएसआइसी और सीपीएफ की व्यवस्था हो. आरटीआइ व राइट टू सर्विस एक्ट कड़ाई से लागू हो़ परिचर्चा में आरडीबीए के महासचिव संजय विद्रोही, रंजीत कुमार सिन्हा, एमए खान, एसके सिन्हा, वाइएन सिन्हा, ओम प्रकाश कश्यप, जगदीश चंद्र पांडेय, मनीष सिन्हा, सुदीप सिन्हा, विवेक आर्य आदि शामिल थे.

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राइट टू सर्विस एक्ट का होर्डिंग्स शहर के प्रमुख स्थानों पर लगाया जाये, ताकि लोगों को इसकी जानकारी मिल सके. वहीं, आरटीआइ एक्ट के सेक्सन- 4 के तहत निबंधन व म्यूटेशन ऑनलाइन होना चाहिए, ताकि कोई भी व्यक्ति कहीं भी बैठ कर जमीन के बारे में जानकारी ले सके. सरकार को इस दिशा में जल्द से जल्द पहल करनी चाहिए.

-संजय विद्रोही, महासचिव, आरडीबीए

अधिवक्ता सिविल व क्रिमिनल केस की पैरवी करते हैं. उसमें उनकी जीत-हार तय है. सिविल मामला मुख्य रूप से जमीन से जुड़ा होता है. जिसकी हार होती है, उसे करोड़ों की हानि होने का डर होता है. ऐसे में हारने वाले व्यक्ति द्वारा अधिवक्ता पर हमला करने और उसे जान से मारने का खतरा रहता है. इसलिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट जरूरी है.

-योगेंद्र नारायण सिन्हा

अधिवक्ताओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण मुद्दा है. जिस प्रकार कोर्ट परिसर की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाया जाता है, उसी प्रकार बार भवन में भी सीसीटीवी कैमरा लगाया जाये, ताकि अधिवक्ता के पास आने वाले हर व्यक्ति पर नजर रखी जा सके. इतना ही नहीं बार भवन परिसर में भी सोलर पैनल लगाया जाये. साथ ही प्याऊ की व्यवस्था की जाये.

-प्रणव कुमार बब्बू

एसडीओ कोर्ट में 144 मामले का आवेदन दिया जाता है, तो छह-छह महीना उस पर ऑर्डर नहीं किया जाता. यदि इस कोर्ट के पेशकार व पदाधिकारी को चढ़ावा चढ़ा दिया जाता है, तो उस मामले का तुरंत ऑर्डर हो जाता है. इस प्रकार के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगना चाहिए. अधिवक्ताओं को भी हर कमेटी का सदस्य बनाया जाना चाहिए.

-मनीष कुमार सिन्हा

सरकार ने कोर्ट फीस में बेतहाशा वृद्धि कर दी है. इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए. कोर्ट फीस में वृद्धि से आदिवासी बहुल गरीब राज्य के निवासियों को न्याय नहीं मिल पायेगा. वहीं, स्टांप ड्यूटी में की गयी वृद्धि को भी वापस लेकर अधिवक्ता और आमलोगों की परेशानी दूर की जाये. अधिवक्ता कोर्ट फीस के रूप में सरकार को हर विभाग से अधिक राजस्व देते हैं.

– सुदीप कुमार सिन्हा

किसी मुकदमा में पैरवी करने के दौरान अगर अधिवक्ता को कोई धमकी मिलती है, तो इसकी जानकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष व महासचिव के माध्यम से डीसी व एसएसपी को दी जानी चाहिए. ताकि, उनके संज्ञान में मामला आ जाये. उसके बाद वे भी उनकी सुरक्षा के लिए कदम उठायें. मेरे 35 साल के करियर में मुझे चार बार धमकी मिल चुकी है.

-अजीत प्रसाद

हम समाज के महत्वपूर्ण अंग हैं. हमें भी हर वक्त जान का खतरा बना रहता है. इसलिए हमारी सुरक्षा के बारे में सरकार को सोचना चाहिए. सरकार समाज के हर वर्ग पर ध्यान देती है. सिर्फ अधिवक्ता पर सरकार का ध्यान नहीं है. हमें हर वक्त अप टू डेट रहना पड़ता है, लेकिन हमारी लाइब्रेरी में इससे संबंधित सामग्री उपलब्ध नहीं है.

-जगदीश चंद पांडेय

सिविल या आपराधिक मामलों में अधिवक्ता अपना पक्ष रखते हैं. साक्ष्य के आधार पर न्यायाधीश सजा सुनाते हैं या संबंधित व्यक्ति को रिहा करते हैं. लेकिन, मुवक्किल अधिवक्ता पर हार जीत का ठीकरा फोड़ कर उन पर हमला कर देते हैं. इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. इसके लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना आवश्यक है.

-सृष्टि रंजन महतो

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