Jharkhand News: रांची के गुरुद्वारा साहिब में सजा शुक्राने का दीवान
शबद गायन के साथ गुरु घर के सेवक मनीष मिढ़ा ने कथावाचन करते हुए साध संगत को बताया कि श्री गुरूनानक देव जी का जन्म सन 1469 में राय भोई की तलवंडी, ननकाना साहिब (वर्तमान में पाकिस्तान में) में हुआ था. गुरुनानक साहिब जी ने जो 'लंगर' शुरू किया, वो प्रथा आज तक चालू है.
Jharkhand News: गुरुद्वारा श्री गुरूनानक सत्संग सभा द्वारा रविवार की दोपहर 3.30 बजे से रांची के गुरुद्वारा साहिब (कृष्णा नगर कॉलोनी) में शुक्राने का दीवान सजाया गया. दीवान की शुरुआत दोपहर 3.30 बजे सुखमनी साहिब जी के सामूहिक पाठ से हुई. इसके बाद स्त्री सत्संग सभा की शीतल मुंजाल द्वारा किलविखो नसवंजो करता घर आया…शबद गायन हुआ. शाम 4.30 बजे से 5.30 बजे तक हजूरी रागी जत्था भाई महिपाल सिंह जी ने बाबा फिर मक्के गया नील वस्त्र धारे बनवारी… तथा वडे मेरे साहिबा वडी तेरी वडिआ… एवं साहिब मेरा एको है एको है भाई एको है…जैसे कई शबद गायन कर साध संगत को निहाल किया.
आज भी जारी है लंगर प्रथा
शबद गायन के साथ गुरु घर के सेवक मनीष मिढ़ा ने कथावाचन करते हुए साध संगत को बताया कि श्री गुरूनानक देव जी का जन्म सन 1469 में राय भोई की तलवंडी, ननकाना साहिब (वर्तमान में पाकिस्तान में) में हुआ था. पिता मेहता कालू ने गुरुनानक जी और भाई मर्दाना जी को बीस रुपये दिए और कहा-नानक के साथ जाओ, कुछ असली सामान खरीद लाओ, जिसे बेचकर हम लाभ कमा सकें. इस तरह यदि आप एक लाभदायक लेनदेन करते हैं, तो अगली बार मैं फिर भेजूंगा. गुरुनानक देव जी और भाई मरदाना जी कुछ सामान खरीदने के लिए तलवंडी से चूहर-खाना की ओर चल पड़े. वे मुश्किल से गांव से दस-बारह मील ही निकले थे कि उन्हें एक गांव मिला, जहां एक वृक्ष के नीचे संतों की टोली को बैठे देखा जो कई दिनों से भूखे-प्यासे थी. गुरु नानक साहिब जी ने भाई मरदाना जी से कहा कि पिताजी ने हमें कुछ लाभदायक लेन-देन करने के लिए कहा है. जरूरतमंदों को खिलाने और पहनने से ज्यादा लाभदायक कोई सौदा नहीं हो सकता. मैं इस सच्चे सौदे को नहीं छोड़ सकता. शायद ही कभी हमें मिलता है इस तरह कुछ लाभदायक लेन-देन करने का अवसर. गुरु नानक देव निकटतम गांव गए, जहां उन्होंने भरपूर मात्रा में रसद खरीदा जिससे उन संतों ने भोजन बनाकर खाया. गुरुनानक साहिब जी ने यह जो ‘लंगर’ शुरू किया वो प्रथा आज तक चालू है.
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शाम 6 बजे दीवान की समाप्ति
श्री अनंद साहिब जी के पाठ, अरदास, हुक्मनामा एवं कढ़ाह प्रसाद वितरण के साथ शाम 6 बजे दीवान की समाप्ति हुई. गुरुद्वारा श्री गुरूनानक सत्संग सभा के महासचिव अर्जुन देव मिढ़ा ने प्रकाश पर्व के सभी कार्यक्रम में तन मन से सेवा करने के लिए लंगर कमिटी, जोड़ा सेवा कमिटी, चंदा उगड़ाई कमिटी, स्त्री सत्संग सभा, गुरु नानक भवन कमिटी, गुरु नानक बाल मंदिर स्कूल कमिटी, कीर्तन मण्डली,माता गुजरी सेवा जत्था तथा गुरु नानक सत्संग सभा समेत सभी सेवादारों तथा साध संगत का धन्यवाद किया तथा स्त्री सत्संग सभा की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रत्येक कार्यक्रम में इनका अहम योगदान रहता है.
553वें प्रकाश पर्व के सफल समापन पर विशेष दीवान
सत्संग सभा के मीडिया प्रभारी नरेश पपनेजा ने जानकारी दी कि यह विशेष दीवान श्री गुरूनानक देव जी के 553वें प्रकाश पर्व के सफल समापन पर वाहेगुरु का शुक्रिया अदा करने के उपलक्ष्य में सजाया गया. दीवान की समाप्ति के बाद सत्संग सभा द्वारा चाय नाश्ते का लंगर चलाया गया. आज के विशेष दीवान में द्वारका दास मुंजाल, सुंदर दास मिढ़ा, हरविंदर सिंह बेदी, हरगोबिंद सिंह, चरणजीत मुंजाल, नरेश पपनेजा, अशोक गेरा, वेद प्रकाश मिढ़ा, प्रेम मिढ़ा, हरीश मिढ़ा, राजकुमार सुखीजा, अमरजीत गिरधर, बिनोद सुखीजा, सुरेश मिढ़ा, आशु मिढ़ा, नवीन मिढ़ा, सुभाष मिढ़ा, सूरज झंडई, रौनक ग्रोवर, भूपिंदर सिंह, जीत सिंह, गुलशन मिढ़ा, पवनजीत खत्री, महेंद्र अरोड़ा, जीतू अरोड़ा, रमेश गिरधर, मोहन काठपाल, जीवन मिढ़ा, नानक चंद अरोड़ा, हरजीत बेदी, जितेंद्र मुंजाल, अनूप गिरधर, अश्विनी सुखीजा, रमेश पपनेजा, इंदर मिढ़ा, नीरज गखड़, उमेश मुंजाल, सुरजीत मुंजाल, गीता कटारिया, गुड़िया मिढ़ा, मंजीत कौर, नीता मिढ़ा, इंदु पपनेजा, रेशमा गिरधर, मीना गिरधर, बिमला मुंजाल, बंसी मल्होत्रा, बीबी प्रीतम कौर, मनोहरी काठपाल, अमर मुंजाल, खुशबू मिढ़ा, ममता थरेजा, नीतू किंगर समेत अन्य शामिल थे.