डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड ट्रस्ट (डीएमएफटी) के तहत मिली राशि को खर्च करने के मामले राज्य के खनिज बहुल जिले काफी पीछे हैं. अब तक राज्य में 50 प्रतिशत राशि भी खर्च नहीं हो सकी है. दिसंबर 2022 तक डीएमएफटी के तहत कुल 11361 करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके हैं, जिसमें केवल 4900 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं. लगभग 6400 करोड़ रुपये यूं ही पड़े हुए हैं. दूसरी ओर इस वित्तीय वर्ष में छह जिले तो खर्च करने में फिसड्डी साबित हुए हैं. इनमें बोकारो, दुमका, गढ़वा, गिरिडीह, गुमला, जमशेदपुर, जामताड़ा शामिल हैं.
डीएमएफटी के तहत प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना को कार्यान्वित किये जाने का प्रावधान है. इसके लिए भारत सरकार द्वारा दिशा-निर्देश भी जारी किये गये हैं. इस योजना के अंतर्गत उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर निधि का कम से कम 60% और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर 40% तक खर्च किया जाना है.
इसका मूल उद्देश्य खनन प्रभावित क्षेत्रों में विकास और कल्याणकारी परियोजनाओं को संचालित किया जाना है. डीएमएफटी के लिए सभी जिलों में कमेटी भी बनी हुई है, जिसमें डीसी से लेकर सांसद और विधायक भी सदस्य होते हैं. इन्हीं की अनुशंसा पर योजनाओं पर खर्च की जाती है.
डीएमएफटी के खर्च को लेकर रांची के सांसद संजय सेठ ने भी पिछले दिनों संसद में सवाल उठाया था.
किसी जिले में कोई खदान है और इससे प्राप्त होने वाली रॉयल्टी की 30 प्रतिशत राशि संबंधित जिले के डीएमएफटी को प्राप्त होती है. इस राशि से ही खनन प्रभावित इलाकों में विकास के काम किये जाते हैं.
डीएमएफटी के तहत राज्य भर में पेयजल, पर्यावरण, स्वास्थ्य. शिक्षा, महिला एवं बाल कल्याण, कल्याण, स्कील डेवलपमेंट, सिंचाई, कृषि आदि के कुल 9648 योजना ली गयी हैं. इसके लिए 6520.15 करोड़ रुपये स्वीकृत किये जा चुके हैं. अब तक 6304 योजना पूरी हो चुकी है, जिस पर करीब 4815.28 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं.