रांची. रिम्स में मरीजों को दवा लिखने की नयी गाइडलाइन जारी होने के बाद इसका असर दिखने लगा है. अब कुछ डॉक्टर मरीजों की पर्ची पर जेनेरिक व अमृत फार्मेसी में उपलब्ध दवाएं लिखने लगे हैं. ऐसे में डॉक्टरों की पर्ची अब निजी दवा दुकानों पर जानी कम हो गयी है. इधर, रिम्स प्रबंधन का कहना है कि मरीजों को लिखी जानेवाली दवाओं की पर्ची की मॉनिटरिंग की जा रही है. कुछ महीने बाद इसका आकलन कर डॉक्टरों को बताया जायेगा कि उनकी लिखी पर्ची से कितनी बाहरी दवा दुकानों को लाभ पहुंचा है. डॉक्टरों को यह भी बताया जायेगा कि यह आपके द्वारा की गयी अनैतिक मेडिकल प्रैक्टिस है, जिसके तहत कार्रवाई भी की जा सकती है. गौरतलब है कि रिम्स प्रबंधन ने विभागाध्यक्षों और यूनिट इंचार्ज के लिए नयी गाइडलाइन जारी की है. इसके तहत दवाओं की आवश्यकता के हिसाब से 15 दिन पहले ही दवाओं का स्टॉक मंगा लेना है. अगर स्टोर रूम में दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो मरीजों को जेनेरिक दवाएं लिखनी है. अगर डॉक्टरों को बीमारी के निदान के लिए जेनेरिक की जगह ब्रांडेड दवाएं लिखने की आवश्यकता पड़ती है, तो अमृत फार्मेसी में उपलब्ध ब्रांडेड दवाएं लिखनी है. इसके अलावा ओपीडी में डॉक्टरों को पर्ची पर अपना नाम और मुहर भी लगाना है.
रिम्स प्रबंधन की सख्ती के बाद कुछ डॉक्टर लिखने लगे जेनेरिक दवा
रिम्स प्रबंधन ने डॉक्टरों को ब्रांडेड की जगह जेनेरिक दवा लिखने का दिया था निर्देश. ब्रांडेड दवा की जरूरत पड़ने पर अमृत फार्मेसी में उपलब्ध दवा लिखने को कहा था.
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