MGM अस्पताल में डॉक्टर से मारपीट का विरोध, झारखंड में 22 सितंबर से डॉक्टरों का कार्य बहिष्कार, ये हैं मांगें
जमशेदपुर के एमजीएम (महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज) अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में कार्यरत पीजी मेडिकल के छात्र सह चिकित्सक डॉ कमलेश उरांव के साथ पिछले दिनों मारपीट की गयी थी. आरोप है कि पांच साल की बच्ची की मौत से आक्रोशित परिजनों ने डॉक्टर के कमरे में घुसकर हमला कर दिया था.
रांची: जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में डॉ कमलेश उरांव से मारपीट के विरोध में झारखंड के डॉक्टर्स कार्य बहिष्कार करेंगे. इसमें सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं बहाल रहेंगी. झासा व आईएमए के बैनर तले इमरजेंसी सेवाओं को छोड़कर सभी सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर शुक्रवार की सुबह 6 बजे से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार करेंगे. डॉक्टरों की मानें, तो एमजीएम अस्पताल (जमशेदपुर) के डॉ कमलेश उरांव के साथ मारपीट की घटना के लगभग तीन दिन बीत चुके हैं. उनकी पसलियों में फ्रैक्चर है. सांस लेने में तकलीफ है, लेकिन पुलिस प्रशासन की तरफ से अभी कोई कार्रवाई नहीं की गयी है, बल्कि उन्हें ही डराया-धमकाया जा रहा है.
मारपीट का डॉक्टरों ने किया विरोध, दिया धरना
जमशेदपुर के एमजीएम (महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज) अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में कार्यरत पीजी मेडिकल के छात्र सह चिकित्सक डॉ कमलेश उरांव के साथ पिछले दिनों मारपीट की गयी थी. आरोप है कि पांच साल की बच्ची की मौत से आक्रोशित परिजनों ने डॉक्टर के कमरे में घुसकर हमला कर दिया था. इस दौरान डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हो गये थे. घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. इसके विरोध में एमजीएम सहित अन्य अस्पतालों के चिकित्सकों ने विरोध प्रदर्शन किया. इसके बाद एमजीएम के ओपीडी के मेन गेट को बंद कर धरना दिया गया. डॉक्टर सुबह नौ से लेकर दोपहर 12.30 बजे तक हड़ताल पर रहे. इस दौरान मारपीट करने वालों को गिरफ्तार करने की मांग की गयी. अस्पताल परिसर में पुलिस पिकेट बनाने और डॉक्टरों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की मांग की गयी.
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बिना इलाज कराए लौटे मरीज
वारदात के बाद विरोध स्वरूप जमशेदपुर के डॉक्टर सुबह नौ से लेकर दोपहर 12.30 बजे तक हड़ताल पर रहे. इस दौरान मारपीट करने वालों को गिरफ्तार करने की मांग की गयी. अस्पताल परिसर में पुलिस पिकेट बनाने और चिकित्सकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने की मांग की गयी. ओपीडी सेवाएं बंद होने के कारण इलाज कराने पहुंचे लगभग 900 मरीजों को बिना इलाज कराए लौटना पड़ा. डॉक्टरों की हड़ताल की जानकारी मिलने पर एसडीओ पीयूष सिन्हा व कार्यपालक दंडाधिकारी सुमित प्रकाश अस्पताल पहुंचे. चिकित्सकों से वार्ता के दौरान एसडीओ ने 24 घंटे के अंदर आरोपियों की गिरफ्तारी करने का आश्वासन दिया था. डॉक्टरों ने इस संबंध में थाने में लिखित शिकायत दर्ज करायी. चेतावनी दी गयी थी कि अगर बुधवार की सुबह तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होती है, तो फिर से सभी चिकित्सक काम बंद कर आंदोलन शुरू कर देंगे. चिकित्सक और प्रशासन के बीच हुई वार्ता के दौरान अस्पताल अधीक्षक डॉ रवींद्र कुमार, उपाधीक्षक डॉ नकुल चौधरी, आइएमए अध्यक्ष डॉ जीसी मांझी, सचिव डॉ सौरव चौधरी मौजूद थे.
क्या है पूरा मामला
देवनगर निवासी दीपक प्रधान अपनी पांच वर्ष की बेटी अन्नू प्रधान को लेकर इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल पहुंचे थे. इस दौरान बच्ची बेहोश थी. डॉक्टरों ने जांच की तो पता चला कि बच्ची में ब्रेन मलेरिया व संदिग्ध डेंगू के लक्षण हैं. गंभीर स्थिति को देखते हुए बच्ची को अस्पताल के पीआइसीयू में भर्ती किया गया. सोमवार की रात लगभग 1.20 बजे बच्ची को मौत हो गयी. इसके बाद बच्ची के साथ आए कई लोग ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक से पूछताछ करने लगे. थोड़ी देर में परिजन और चिकित्सक के बीच बहस हुई. इसके बाद उसके परिजनों ने चिकित्सक पर हमला कर दिया. इसमें चिकित्सक डॉ कमलेश उरांव के सिर, हाथ, पेट, पीठ सहित अन्य कई जगहों पर चोट आयी है.
अन्नू प्रधान की स्थिति थी काफी गंभीर
जमशेदपुर के साकची थाने में दर्ज शिकायत में डॉक्टर की ओर से बताया गया है कि शिशु विभाग में इलाजरत अन्नू प्रधान की स्थिति काफी गंभीर थी. परिजनों को लगातार इसकी जानकारी दी जा रही थी. बच्ची की मौत के बाद 10 से 15 लोग पीआइसीयू में घुस गये. इन लोगों ने गाली-गलौज करते हुए मारपीट की. हथियार से सिर, छाती व हाथ में मारा. इससे सिर व कलाई से खून निकलने लगा. इससे वह अचेत होकर गिर गये. इसके बाद भी हमलावर मारपीट करते रहे. इस दौरान सुरक्षा में तैनात होमगार्ड के जवान मौके पर मौजूद नहीं थे.
एसडीओ पीयूष सिन्हा ने कार्रवाई का दिया था आश्वासन
एसडीओ पीयूष सिन्हा ने कहा थी कि एमजीएम अस्पताल में डॉक्टर के साथ हुई मारपीट के मामले को गंभीरता से लेते हुए इस पर कार्रवाई की जा रही है. घटना के वीडियो की जांच की जा रही है. चिकित्सकों ने अस्पताल में पुलिस पिकेट खोलने, समुचित सुरक्षा प्रदान करने की मांग की है. इस पर आइएमए के पदाधिकारियों, अधीक्षक व उपाधीक्षक के साथ बात हुई है. घटना के दौरान होमगार्ड की उपस्थिति की जांच की जायेगी.