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रांची में वफादार हो रहे हमलावर, तेजी से बढ़ रहा डॉग बाइट का मामला

राजधानी रांची में पालतू कुत्ते अचानक खतरनाक होते जा रहे हैं. आक्रामक डॉग के काटने के मामला बढ़ गये हैं. सदर अस्पताल में 10 दिनों में 437 मामले पालतू, आवारा कुत्तों और बिल्लियों के काटने के आ चुके हैं. वहीं, करीब एक माह में 1500 से अधिक लाेग टीका ले चुके हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | September 13, 2022 9:25 AM
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Ranchi news: राजधानी रांची में पालतू कुत्ते अचानक खतरनाक होते जा रहे हैं. आक्रामक डॉग के काटने के मामला बढ़ गये हैं. सदर अस्पताल में 10 दिनों में 437 मामले पालतू, आवारा कुत्तों और बिल्लियों के काटने के आ चुके हैं. वहीं, करीब एक माह में 1500 से अधिक लाेग टीका ले चुके हैं. 12 सितंबर को दिनभर हुई बारिश के बावजूद सदर अस्पताल के ओपीडी में 133 लोगों ने डॉग बाइट का इंजेक्शन लिया. सदर अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ लक्ष्मीकांत साय ने बताया कि कई मामले तो घर में पल रहे जर्मन शेफर्ड आैर रॉटविलर से जुड़े हुए हैं. इसकी एक बड़ी वजह कुत्ते की शारीरिक-मानसिक स्थिति और उसकी जरूरतों को जाने बगैर उसे पालना भी है. इतना ही नहीं रांची में देश में बैन व खतरनाक श्रेणी में शामिल पिटबुल डॉग की संख्या 22 है. वहीं 33 बेल्जियन शेफर्ड हैं. लेकिन इनके मालिकों ने रांची नगर निगम में रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है.

इन कारणों से डॉग करते हैं हमला

डीएसपी डॉग स्क्वायड सीआइडी सह सरकारी पेट क्लिनिक रांची के पशु चिकित्सक डॉ पंकज कुमार ने बताया कि सभी नस्ल के कुत्ते साथी जानवर (कंपैनियन एनिमल) की श्रेणी में आते हैं. यानी हर वक्त इन्हें किसी की साथ की जरूरत होती है़ जबकि, कई लोग सिर्फ दिखावे के लिए इन्हें रख रहे हैं. देखभाल के अभाव में ही अक्सर कुत्ते अपने मालिक या दूसरों पर हमला कर देते हैं. समय-समय पर रजिस्टर्ड वेटनरियन से परामर्श लेकर ही टीकाकरण करायें.

खतरनाक डॉग को अकेला न छोड़ें

  • पालतू कुत्ता के साथ खराब व्यवहार से बचें. इससे कुत्ते मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक अवसाद का शिकार हो जाते हैं, जिसकी वजह से हमला कर देते हैं.

  • मेटिंग के सीजन में डॉग आक्रामक हो जाते हैं, इस समय उन्हें समय देना जरूरी है.

  • पालतू डॉग है, तो उसे कभी बांध कर या पिंजरे में न रखें

  • स्वास्थ्य जांच कराते रहें

  • समय-समय पर कृमिनाशक की दवा दें, नहीं तो अक्सर कुत्ते चिड़चिड़े हो जाते हैं

नियम का पालन कर ही पाल सकते हैं विदेशी डॉग

  • एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने कुत्तों को पालने के कड़े नियम बनाये हैं. नियम के तहत मालिक को नगर निगम में अपने डॉग का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है़

  • विदेशी या खतरनाक ब्रीड का डॉग तभी पाल सकते हैं, जब दूसरे व्यक्ति को कोई दिक्कत न हो.

  • भारतीय संविधान के आर्टिकल 51 ए (जी) के अनुसार नगर निगम के नियम का पालन और पशु क्रूरता रोकथाम के लिए बने अधिनियम 1960 की धारा 11 (3) का पालन जानवर के मालिक को कराना है. इसमें जीवित प्राणियों और जानवरों के प्रति दयापूर्ण व्यवहार का ध्यान रखना होगा.

  • हाउसिंग सोसाइटी में उन्हीं डॉग को पाल सकते हैं, जो खतरनाक या आक्रामक न हो.

  • विदेशों में प्रतिबंधित डॉग को नहीं पाला जा सकता है, ऐसे करने पर कार्रवाई होगी.

  • पालतू डॉग को मालिक जब भी घुमाने निकलें तो उसके मुंह पर जाली लगी होनी चाहिए

  • यदि प्रतिबंधित विदेशी कुत्ता दिखे, तो निगम के टोल-फ्री नंबर 0651-2200011 पर शिकायत की जा सकती है.

पालतू डॉग को मालिक जब भी घुमाने निकलें तो उसके मुंह पर जाली लगी होनी चाहिए

  • यदि प्रतिबंधित विदेशी कुत्ता दिखे, तो निगम के टोल-फ्री नंबर 0651-2200011 पर शिकायत की जा सकती है.

  • किसी भी ब्रीड के डॉग या अन्य जानवर को पालने के लिए नगर निगम का रजिस्ट्रेशन जरूरी है. इसके लिए निगम 200 रुपये प्रति वर्ष लेगा. इस शुल्क के तहत कुत्ते को एंटी रेबीज का टीका दिया जायेगा.

  • रांची नगर निगम जल्द ही टेंडर जारी करेगा, जिसके तहत एजेंसी को डॉग रजिस्ट्रेशन की जिम्मेदारी दी जायेगी.

कैसे खतरनाक डॉग ने मालिक को काट लिया

  • केस स्टडी 1- सदर अस्पताल में पिछले दिनों एक अभिभावक अपने दो बच्चे के साथ पहुंचे. दोनों बच्चों को उनके ही पालतू जर्मन शेफर्ड ने काट लिया था. छोटी बच्ची का दाहिने हाथ और पैर में स्टीच लगाना पड़ा. वहीं बड़ी लड़की के हाथ में कुत्ते के दांतों के निशान थे.

  • केस स्टडी 2-पिछले माह पालतू रॉटविलर डॉग ने काम से घर लौटे अपने मालिक को काट लिया. मालिक घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचा़ पता चला कि दोनों पति-पत्नी काम से दिनभर बाहर रहते हैं और कुत्ता घर में अकेले बंधा रहता है. इसके बाद डॉक्टर ने डॉग के मुंह पर जाली लगाने की सलाह दी.

नगर निगम के पास सिर्फ 68 पालतू कुत्ते के रजिस्ट्रेशन का रिकॉर्ड

चिंता की बात है कि रांची नगर निगम के पास सिर्फ 68 पालतू कुत्ते के रजिस्ट्रेशन का ही रिकॉर्ड है. शहर में किसके पास किस खतरनाक नस्ल का डॉग है, इसकी जानकारी नहीं है. शहर में कुत्तों की नसबंदी और वैक्सीनेशन का काम कर रही संस्था होप एंड एनिमल की ओर से सिर्फ पालतू कुत्ते का लाइसेंस दिया जाता है. एजेंसी के पदाधिकारी ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के दौरान लोग डॉग की नस्ल की जानकारी देने से बचते हैं. आवारा कुत्तों की की जा रही नसबंदी संस्था होप एंड एनिमल शहर में आवारा कुत्तों की आबादी रोकने में जुटी है़ प्रत्येक दिन 18-20 कुत्तों की नसबंदी की जा रही है. वर्ष 2007 से रांची में काम रही यह संस्था अब तक 1.10 लाख कुत्तों की नसबंदी कर चुकी है़ नसबंदी बकरी बाजार स्टोर में की जाती है़

रिपोर्ट: अभिषेक रॉय, रांची

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