रांची के युवाओं और बच्चों में लोकप्रिय हो रहा डूडल आर्ट, अब तक दो आर्टिस्ट बन चुके हैं गूगल विनर
डूडल को बढ़ावा देने के लिए गूगल भी दिवस विशेष पर इसका इस्तेमाल कर लोगों को नयी जानकारी साझा करता नजर आता है. साथ ही बच्चों को प्रेरित करने के लिए प्रतियोगिता भी आयोजित कर रहा है. यहां बता दें कि रांची के दो युवा गूगल डूडल प्रतियोगिता के विजेता बन चुके हैं.
रांची, अभिषेक रॉय : शहर के यंगिस्तान पर ‘डूडल आर्ट’ का जादू यानी मैजिक छाया हुआ है. यह एक शगल यानी हॉबी का रूप ले चुका है. आज के युवा इसे अपने मन को बहलाने के लिए बनाते नजर आते हैं. हाल के दिनों में चित्रकला की यह शैली क्रिएटिव आर्ट की श्रेणी में शामिल की गयी है. जिससे बच्चे अब इस चित्रकला को खेल-खेल में सीखने लगे हैं. डूडल को बढ़ावा देने के लिए गूगल भी दिवस विशेष पर इसका इस्तेमाल कर लोगों को नयी जानकारी साझा करता नजर आता है. साथ ही बच्चों को प्रेरित करने के लिए प्रतियोगिता भी आयोजित कर रहा है. यहां बता दें कि रांची के दो युवा गूगल डूडल प्रतियोगिता के विजेता बन चुके हैं. चित्रकला के विशेषज्ञों की मानें, तो डूडल आर्ट भारतीय चित्रकला शैली ‘मंडाला’ का नया और मिलता-जुलता स्वरूप है. जिससे अब देश-विदेश के लोग परिचित होने लगे हैं. इस शैली में चित्रकला के नियमों का पालन किये बिना केवल कॉन्सेप्ट के साथ कलाकृति उकेरी जा सकती है. प्रारंभिक स्तर पर चित्रकला सीखने वाले शिक्षार्थियों के लिए यह एक सशक्त माध्यम बन रहा है.
रचनात्मक चिंतन की चित्रकला भाषा
डीपीएस के फाइन आर्ट के शिक्षक डॉ विनोद रंजन ने कहा कि डूडल आर्ट को रचनात्मक चिंतन की भाषा भी कहा जा रहा है. जिसे बिना उद्देश्य के साथ स्वतंत्र दिमाग से कलर पेंसिल या पेन के जरिये किसी भी आकृति में ढाला जाता है. इसे किसी भी बेतरतीब डिजाइन, आकृति और गोला आदि में तैयार कर सकते हैं. फाइन आर्ट्स के मानकों का पालन नहीं करना पड़ता है. इसमें अवचेतन मन में छिपे हुए डिजाइन को उजागर करने में मदद मिलती है. बच्चों में पेंटिंग के प्रति रुचि जगाने के लिए डूडल आर्ट मददगार होती है.
स्किल के बिना कर सकेंगे फ्री हैंड ड्राइंग
कलाकृति स्कूल ऑफ आर्ट के प्रशिक्षक धनंजय कुमार ने बताया कि डूडल आर्ट फ्री-हैंड ड्राइंग की शैली है. इन्हें तैयार करने के लिए किसी खास स्किल की जरूरत नहीं पड़ती है और ना ही इसमें कोई मानक तय है. इसे अलग-अलग आकार को एक साथ जोड़ते हुए तैयार किया जा सकता है. जिसे कैनवस पर किसी भी छोर से शुरू कर सकते है. डूडल आर्ट की खासियत है कि इसे किसी निश्चित श्रेणी में नहीं ढाला गया है. इसे कलर, मोनोक्रोम, मल्टी कलर और सिंगल कलर के साथ तैयार किया जाता है.
Also Read: स्टडी प्वाइंट हब बनी रांची, पढ़ने और पढ़ाने का लाइब्रेरी कल्चर
रांची के दो डूडल आर्टिस्ट बन चुके हैं गूगल विनर
सर्च इंजन गूगल प्राय: डूडल कंपीटिशन का आयोजन करती रहती है. यह तीन श्रेणी – आर्टिस्टिक स्किल, क्रिएटिविटी और थीम कम्युनिकेशन में आयोजित होती है. इसमें पांच अलग-अलग समूहों में स्कूली बच्चे, जो केजी से 12वीं तक के हों, हिस्सा ले सकते हैं. कंपीटिशन हर तीन माह के अंतराल पर गूगल इंडिया की ओर से आयोजित की जाती है, जिसका फ्लैश मैसेज https://doodles.google.com/ पर जारी किया जाता है. अब तक रांची के दो युवा चित्रकारों ने गूगल डूडल कंपीटिशन में सफलता हासिल की है.
रांची की पिहू 2022 में बनी थी विजेता
रांची की पिहू कच्छप 14 नवंबर, 2022 को गूगल डूडल आर्ट वर्क प्रतियोगिता की विजेता चुनी गयी थी. सच्चिदानंद ज्ञान भारती मॉडल स्कूल की छात्रा ने ‘ग्रीन एनर्जी-क्लीन एनर्जी’ थीम पर डूडल तैयार किया था. जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों के जीवन और आर्थिक कल्याण की वास्तविकता दिखाने की कोशिश की गयी थी.
आकाशदीप 2016 में बने थे विजेता
रांची के आकाशदीप 2016 में गूगल डूडल के विजेता चुने गये थे. उन्होंने थीम-‘अगर मैं कुछ सीखा सकता, तो यह सिखाता’ पर अपनी क्रिएटिव पेंटिंग तैयार की थी. कक्षा सातवीं से 10वीं वर्ग में आकाशदीप प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर नेशनल फाइनलिस्ट चुने गये थे. आकाशदीप वर्तमान में बीएचयू में ग्राफिक्स एंड एनिमेशन की पढ़ाई कर रहे हैं.
टेक्स्ट डूडलिंग करते हैं सूरज
चुटिया के सूरज कुमार टेक्स्ट डूडलिंग करते हैं. उन्होंने बताया कि डूडल में उन्हें शब्दों के साथ उससे मिलते-झूलते सामान की पेंटिंग करना पसंद है. इससे पेंटिंग खुद-ब-खुद थीम का स्वरूप ले लेती है. साथ ही इसे देखकर समझना आसान है.
आरती कुमारी ग्रैफिटी स्टाइल में डूडल करती हैं
एयरपोर्ट रोड पोखरटोली की आरती कुमारी ग्रैफिटी स्टाइल में डूडल करती हैं. उनके डूडल में क्रिएचर यानी कार्टून स्टाइल में जीव-जंतु नजर आते हैं. अब तक आरती शहर के कई डांस स्टूडियो में अपनी डूडल को वाल-आर्ट के रूप में उकेर चुकी है.
फ्रेम स्टाइल में डूडलिंग करना पसंद है सुरुचि को
धुर्वा की सुरुचि कुमारी फ्रेम स्टाइल में डूडलिंग करना पसंद करती है. उनके डूडल में एक खास आकृति होती है, जिसमें जानवर, फल या कोई भी सामान होता है. उसमें स्केच और स्ट्रोक के जरिये सेडिंग कर उसे डूडल का आकार देती है.
विवान फ्री-स्टाइल डूडल बनाते हैं
जेवीएम श्यामली की कक्षा दूसरी के छात्र विवान शौर्य फ्री-स्टाइल डूडल तैयार करते नजर आते हैं. विवान मंडला आर्ट शैली में अलग-अलग डिजाइन को जोड़कर उन्हें डूडल का स्वरूप दे रहे हैं. इसमें वे मोनोक्रोम व मल्टी कलर का इस्तेमाल करते है.
ब्रिटिश आर्टिस्ट मिस्टर डूडल को सर्च करते हैं लोग
ब्रिटेन के सैम कॉक्स को लोग मिस्टर डूडल के नाम से जानते हैं. मिस्टर डूडल की कलाकृति सोशल मीडिया पर अक्सर वायरल होती नजर आती है. इन्हें कॉन्सेप्ट डिजाइन के साथ फ्री-हैंड डूडल तैयार करने के लिए जाना जाता है. वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के बाद से मिस्टर डूडल कॉनवर्स, प्यूमा, सैमसंग और एमटीवी समेत कई बड़े ब्रांड के लिए डूडल तैयार कर रहे हैं.