डोर-टू-डोर बांटना था राशन, पर हिंदपीढ़ी का नाम सुनते ही नदारद हुए ऑटो चालक

रांची : पिछले 10 दिनों से सील चल रहे हिंदपीढ़ी के लोगों के जरूरतमंद लोगों को खाने-पीने के लाले पड़ गये हैं. जिला प्रशासन द्वारा यहां सभी राशन कार्डधारियों के बीच डोर-टू-डोर राशन वितरण की योजना भी फेल हो गयी, क्योंकि ऑटो चालकों ने राशन की होम डिलिवरी करने से इनकार कर दिया. प्रशासन की […]

By Pritish Sahay | April 14, 2020 12:48 AM

रांची : पिछले 10 दिनों से सील चल रहे हिंदपीढ़ी के लोगों के जरूरतमंद लोगों को खाने-पीने के लाले पड़ गये हैं. जिला प्रशासन द्वारा यहां सभी राशन कार्डधारियों के बीच डोर-टू-डोर राशन वितरण की योजना भी फेल हो गयी, क्योंकि ऑटो चालकों ने राशन की होम डिलिवरी करने से इनकार कर दिया. प्रशासन की योजना के तहत रविवार को कडरू एफसीआइ से राशन का स्टॉक लाकर गुरुनानक स्कूल में रखा गया था. सोमवार को राशन बांटने की योजना थी. होम डिलिवरी के लिए 16 ऑटो भी बुक कर लिये गये थे.

लेकिन, सोमवार को जैसे ही आॅटो चालकों को पता चला कि उन्हें हिंदपीढ़ी में राशन बांटना है, सभी ऑटो चालक वहां से नदारद हो गये. प्रशासनिक अधिकारियों ने इन्हें राशन वितरण के कार्य के लिए कई बार फोन भी लगाया, लेकिन सभी के फोन ऑफ मिले. जिन एक-दो ऑटो चालकों का फोन ऑन मिला, उन्होंने टका सा जवाब दे दिया, कहा : सर! पूरी रांची में राशन बांट देंगे, लेकिन हमें हिंदपीढ़ी में राशन बांटने के लिए मत भेजिए. ऑटो चालकों के इस रुख से प्रशासनिक अधिकारी परेशान हो उठे.

हाथ-पैर जोड़ कर किसी तरह छह ऑटो चालकों को गुरुनानक स्कूल बुलाया गया, जिनकी मदद से कुछ ही घरों में राशन की होम डिलिवरी हो सकी.तीन वार्ड में 10 हजार से अधिक कार्डधारी हिंदपीढ़ी का दायरा तीन वार्डों 21, 22 और 23 में फैला हुआ है. तीनों वार्ड में पीएचएच, अंत्योदय और अन्नपूर्णा के 10 हजार से अधिक कार्डधारी हैं. लेकिन, पिछले 10 दिनों से इलाका सील होने के कारण इस वार्ड के गरीब तबके के लोगों के घरों में चूल्हा तक नहीं जल रहा है.

कई घर तो ऐसे हैं, जहां के लोग अगल-बगल के घरों से राशन मांग कर काम चला रहे हैं. प्रशासन द्वारा इस मोहल्ले में संचालन करने के लिए दो राशन दुकानों को भी परमिशन दिया गया है. इन दुकानों से साधन संपन्न लोग राशन तो खरीद ले रहे हैं, लेकिन रोज कमाने-खाने वालों के सामने मुसीबत खड़ी हो गयी है. हिंदपीढ़ी के लोगों की स्थिति भूखों मरने जैसी है. 70 प्रतिशत लोग तो ऐसे हैं, जो प्रतिदिन कमाते-खाने हैं. लेकिन प्रशासन के राशन नहीं बांटने से कई घरों में एक टाइम का खाना बन रहा है. हमारी मांग है कि वह जल्द से जल्द यहां के लोगों के बीच राशन का वितरण करवाये. – साजदा खातून, पार्षद, वार्ड नंबर 23

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