Loading election data...

झारखंड: मुंबई में सम्मानित हुईं डॉ भारती कश्यप, इन कार्यों के लिए मिला गोल्ड मेडल

डॉ कश्यप ने बताया कि कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल में वर्ष 2014 से ब्लेड रहित फेमटो लेजर मोतियाबिंद सर्जरी पद्धति शुरू की गई है और इससे झारखंड के मरीजों को फायदा मिल रहा है. वर्ष 2019 में इंडियन सोसायटी ऑफ कैटरैक्ट एंड इफेक्टिव सर्जरी द्वारा डॉ भारती कश्यप को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 1, 2023 8:36 PM

रांची: मुंबई नेत्र सोसायटी एवं आई एडवांस संस्था द्वारा मुंबई में 25 मार्च को मुंबई नेत्र सोसाइटी की वार्षिक कांफ्रेंस के उद्घाटन समारोह में डॉ भारती कश्यप को नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों की वजह से गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया. उन्हें यह गोल्ड मेडल पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं पद्मश्री डॉ विकास महात्मे के द्वारा दिया गया. प्रतिवर्ष संस्था द्वारा गोल्ड मेडल मोतियाबिंद एवं लासिक सर्जरी के क्षेत्र में उत्कृष्ट काम करने वाले देश के कुछ चुनिंदा नेत्र चिकित्सकों को दिया जाता है.

पहले भी मिल चुका है गोल्ड मेडल

वर्ष 2019 में इंडियन सोसायटी ऑफ कैटरैक्ट एंड इफेक्टिव सर्जरी के द्वारा डॉ भारती कश्यप को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया था. भारती कश्यप ने वहां पर फेम्टो लेज़र ब्लेडलेस मोतियाबिंद सर्जरी पर व्याख्यान दिए. आपको बता दें कि लेजर एसिस्टेड ब्लेड रहित मोतियाबिंद सर्जरी की इस पद्धति को झारखंड में लाने का श्रेय कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल को जाता है. डॉ कश्यप ने बताया कि कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल में वर्ष 2014 से ब्लेड रहित फेमटो लेजर मोतियाबिंद सर्जरी पद्धति शुरू की गई है और इससे झारखंड के मरीजों को फायदा मिल रहा है.

Also Read: झारखंड: देवर ने भाभी और 2 बच्चों को बेरहमी से मार डाला, संपत्ति व एलआईसी के पैसे को लेकर हत्या की आशंका

फायदेमंद है ये पद्धति

लेजर असिस्टेड मोतियाबिंद सर्जरी में आंखों की छवियों को ओसीटी नामक एक उन्नत इमेजिंग सिस्टम द्वारा पकड़ा जाता है और फेमटो सेकंड लेजर की सहायता से कॉर्निया का चीरा, लेंस कैप्सूल के बीच का छिद्र एवं मोतियाबिंद का विघटन रोबोटिक पद्धति से किया जाता है. लेजर सर्जरी बेजोड़ सटीकता, कॉर्निया पर सुरक्षित, आरामदायक एवम दर्दरहित होती है. पतले कॉर्निया और मधुमेह हृदय, कैंसर, हीमोफीलिया, दमा एवं अत्यधिक मायोपिया वाले रोगी के लिए उपयुक्त होती है. कुछ ही घंटों में इससे अच्छी रोशनी आ जाती है.

Also Read: झारखंड आंदोलनकारी देवाशीष नायक का 58 वर्ष की उम्र में निधन, 2 अप्रैल को होगा अंतिम संस्कार

Next Article

Exit mobile version