डॉ बीपी केशरी की जयंती पर रांची यूनिवर्सिटी के TRL में संगोष्ठी, नागपुरी संस्थान ने संस्थापक को ऐसे किया याद
मुख्य वक्ता नागपुरी विभाग की सहायक प्राध्यापिका व डॉ बीपी केशरी की पुत्री डॉ सविता केशरी ने कहा कि केशरी जी स्वप्नदर्शी और सत्य के पुजारी थे. साहित्य के साथ-साथ राजनीति में भी उन्होंने अपनी पैनी नजर रखीं. झारखंडी समाज को आईना दिखाया.
रांची: रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के नागपुरी विभाग में आज शनिवार को डॉ बीपी केशरी की 90वीं जयंती मनायी गयी. इस मौके पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इसका संचालन विक्की मिंज और धन्यवाद ज्ञापन सहायक प्राध्यापिका डॉ रीझू नायक ने किया. विषय प्रवेश नागपुरी विभाग के आलोक कुमार मिश्रा ने कराया. कार्यक्रम की शुरुआत डॉ बीपी केशरी की तस्वीर पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर किया गया. इसके साथ ही बुद्धेश्वर बड़ाईक व चन्द्रिका कुमारी ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया. संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के समन्वयक डॉ हरि उरांव ने डॉ बीपी केशरी के छात्र व सहयोगी के रूप में बिताये पलों को साझा करते हुए कहा कि झारखंड की भाषा और संस्कृति को प्रगाढ़ बनाने के लिए केशरी जी ने पूरे जोर-शोर से काम किया. उन्होंने सबसे पहले झारखंड का इतिहास लिखने का काम किया. उनका नजरिया एकदम अलग था. छात्र-छात्राओं को वे अपने बराबर समझते थे. समन्वय के साथ भाषा, साहित्य और संस्कृति को मजबूती देने के साथ-साथ दिशा देने का भी काम किया. उन्होंने देश-दुनिया में झारखंडी संस्कृति, भाषा और साहित्य का प्रतिनिधित्व किया.
झारखंड आंदोलन निभायी थी अहम भूमिका
नागपुरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ उमेश नन्द तिवारी ने कहा कि डॉ बीपी केशरी पूरे समाज को एक साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति थे. उन्होंने साहित्यिक आंदोलन छेड़ा था. झारखंड आंदोलन को इनकी लेखनी से बल मिला. इनके साहित्यिक आन्दोलन के कारण झारखंड को पूरी दुनिया में जाना गया. इनके नाम के बगैर झारखंड आंदोलन अधूरा होगा. साहित्यिक आंदोलन के साथ-साथ राजनीतिक आंदोलन में भी उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है. उन्होंने झारखंड आंदोलन को बौद्धिक माइलेज दिया. झारखंड का सौभाग्य रहा कि डॉ बीपी केशरी जैसा विराट व्यक्तित्व मिला. वे झारखंड को समग्र रूप से समझने व जानने वाले व्यक्ति थे.
Also Read: झारखंड आंदोलनकारी व शिक्षाविद डॉ बीपी केशरी को कितना जानते हैं आप? नागपुरी संस्थान है इनकी अनूठी देनसाहित्यकार ही नहीं, एक आन्दोलनकारी भी थे
मुख्य वक्ता नागपुरी विभाग की सहायक प्राध्यापिका व डॉ बीपी केशरी की पुत्री डॉ सविता केशरी ने कहा कि केशरी जी स्वप्नदर्शी और सत्य के पुजारी थे. साहित्य के साथ-साथ राजनीति में भी उन्होंने अपनी पैनी नजर रखीं. झारखंडी समाज को आईना दिखाया. वे एक शिक्षाविद के साथ-साथ आंदोलनकारी, साहित्यकार, पत्रकार, इतिहासकार और समाजसेवी थे, वहीं सहायक प्राध्यापक डॉ बीरेन्द्र कुमार महतो ने कहा कि डॉ बीपी केशरी सिर्फ साहित्यकार ही नहीं, बल्कि एक आन्दोलनकारी भी थे. विकट परिस्थिति में झारखंड आंदोलन को संभाला और गति प्रदान किया था. इन्होंने डॉ केशरी के साथ बिताये पलों और उनके कार्यों को विस्तार से बताया. सहायक प्राध्यापक तारकेश्वर सिंह मुण्डा ने कहा कि डॉ केशरी सरल स्वभाव के व्यक्ति थे. वे हमेशा विद्यार्थियों को पढ़ने और खूब लिखने के लिए प्रोत्साहित करते रहते थे.
Also Read: डॉ बीपी केशरी जयंती समारोह: केशरी काव्यांजलि का होगा लोकार्पण, मनपूरन नायक व डॉ खालिक अहमद होंगे सम्मानितमहान विभूति की आज भी खलती है कमी
सहायक प्राध्यापिका डॉ सरस्वती गागराई ने डॉ केशरी से एक शिक्षक के रूप में बिताये हुए पलों को विस्तार से रखा. उन्होंने कहा कि मैं उनके सानिध्य में शिक्षा ग्रहण कर अपने को धन्य मानती हूं. डॉ हेमलाल कुमार मेहता ने डॉ बीपी केशरी द्वारा टीआरएल विभाग की स्थापना से लेकर संवर्द्धन एवं संरक्षण के लिए चलायी गयी मुहिम को विस्तार से बताया और कहा कि सचमुच डॉ बीपी केशरी झारखंड के एक महान विभूति थे, जिनकी कमी आज भी खलती है. नागपुरी विभाग के प्राध्यापक डॉ रीझू नायक ने कहा कि डॉ बीपी केशरी के व्यक्तित्व से प्रेरित होकर वे शिक्षा के साथ-साथ राजनीति में आये. समाज सेवा करने का प्रण लिया. इनके मार्गदर्शन में भाषा-साहित्य और झारखंडी संस्कृति को मजबूत करने के लिए पूरे प्रदेश में एक अभियान चलाया.
Also Read: पत्रकार सुजीत कुमार केशरी की 5 पुस्तकों का लोकार्पण, साहित्यकार महादेव टोप्पो बोले-प्रेरणादायी हैं ये पुस्तकेंये थे उपस्थित
इस मौके पर जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के डॉ किशोर सुरीन, करम सिंह मुण्डा, दिनेश कुमार दिनमणी, प्रेम बास्के, राजकुमार मुर्मू, डॉ बन्दे खलखो, डॉ हेमलाल कुमार मेहता, योगेश प्रजापति, नेहा भगत, संदीप कुमार महतो, विष्णुपद महतो, राजमोहन महतो, प्रवीण कुमार सिंह, सहला सरवर, पूनम कुमारी, सोनिका कुमारी, तनु कुमारी, प्रिया ठाकुर, दीपिका कुमारी, भवेश कुमार के अलावा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा केन्द्र के शोधार्थी और छात्र-छात्राएं मौजूद थे.
नागपुरी संस्थान में मनायी गयी डॉ बीपी केशरी की जयंती
इधर, रांची के पिठोरिया स्थित नागपुरी संस्थान (शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र) में डॉ बीपी केशरी की 90वीं जयंती मनायी गयी. जयंती समारोह में संस्थान के सचिव सुजीत कुमार केसरी, संस्थान से जुड़े शोधार्थी, विद्यार्थी और सदस्य उपस्थित थे. डॉ बीपी केशरी की तस्वीर पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. संस्थान के सचिव सुजीत कुमार केसरी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि डॉ बीपी केशरी त्याग की प्रतिमूर्ति थे. अपने सानिध्य में रहने वाले लोगों को प्रोत्साहित कर सफलता के शिखर पर पहुंचा देने का गजब का हुनर उनके पास था. विनम्रता, सादगी और आडंबर से दूर रहना उनके जीवन का मूल सिद्धांत था. कार्यक्रम में शिवानी कुमारी, आकृति केशरी, निशा कुमारी, सुनैना कुमारी, नीरज कुमार, अनुज कुमार, विकास साहू, रंजीत साहू, निलेश कुमार, राजेश साहू और मुकेश रंजन सहित अन्य उपस्थित थे.
Also Read: My Mati: साहित्य, समाज और संस्कृति की त्रिवेणी थे केशरी दादा