हिनू स्थित लक्ष्मी नर्सिंग होम में प्रसव के दौरान बच्चे की मौत पर डॉक्टर मनीषा चौधरी समेत पांच लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस डोरंडा थाना में दर्ज किया गया है. बरियातू निवासी अमित कुमार वर्मन की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गयी है. उन्होंने डॉ मनीषा चौधरी, कंचन सिंह, डॉ निभा किरण, अंजली और एक अज्ञात को आरोपी बनाया है. दर्ज प्राथमिकी के आधार पर डोरंडा थाना की पुलिस ने अनुसंधान शुरू कर दिया है.
शिकायतकर्ता अमित की प्राथमिकी के अनुसार, उनकी गर्भवती पत्नी सुजाता कुमारी का इलाज मनीषा चौधरी कर रही थी. प्रसव पीड़ा होने के बाद उन्होंने पत्नी को 19 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया था. शाम पांच बजे मेरी पत्नी को लेबर रूम ्ले जाया गया. जब मेरी पत्नी प्रसव पीड़ा से कराहने लगी, तो उसने चिकित्सकों से कहा कि मैं बहुत तकलीफ में हूं, जल्द मेरा ऑपरेशन कर दीजिये. उस वक्त वहां मौजूद नर्सिंग होम के स्टॉफ मोबाइल फोन देखने में मशगूल थे.
वे परिजनों को भी लेबर रूम में जाने नहीं दे रहे थे. परिजन जब अंदर जाने की कोशिश करते, तब उन्हें यह कहते हुए भगा दिया जाता था कि मरीज का इलाज नहीं करेंगे. आप खुद देख लें. शिकायतकर्ता के अनुसार, 20 फरवरी की सुबह तक उनकी पत्नी प्रसव पीड़ा से कराहती रही. लेकिन मामले को सभी लोग नजरअंदाज करते रहे. प्रसव प्रक्रिया आरंभ करने में देरी की वजह से बच्चे की मौत गर्भ में ही हो गयी. बच्चे की मौत के 16 घंटे बाद उसकी मौत की जानकारी परिजनों को दी गयी.
लेकिन इससे पहले यह कहा गया कि सर्जरी से आपका पुत्र हुआ है. लेकिन उसकी हृदयगति धीमी है. शिकायतकर्ता के अनुसार, जब उन्होंने बच्चे की मौत का विरोध किया, तब उसे डॉ मनीषा चौधरी और उनकी टीम द्वारा इस बात की धमकी दी गयी कि अस्पताल से उलझना महंगा पड़ेगा. साथ ही उल्टा केस में फंसाने की धमकी दी गयी.