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डॉ रामा अमेरिका में कार पर लिख कर घूमते थे रांची का नाम

अमेरिका के ओहियो काउंटी के मैरियन शहर में डॉ भोलानाथ रामा (कार्डियोलॉजिस्ट) 38 वर्षों से रह रहे हैं. रांची के पथलकुदवा (पुरुलिया रोड) के रहने वाले डॉ रामा अब अपनी पत्नी व एक बेटा- बेटी के साथ मैरियन शहर में ही रहते हैं. हालांकि आज भी उनका भारत व रांची से प्रेम कम नहीं हुआ है. वर्ष 1982 में अमेरिका शिफ्ट हुए तो अपनी कार पर रांची लिखा डिजाइनर पोस्टर लगाकर घूमते थे.

अमेरिका के ओहियो काउंटी के मैरियन शहर में डॉ भोलानाथ रामा (कार्डियोलॉजिस्ट) 38 वर्षों से रह रहे हैं. रांची के पथलकुदवा (पुरुलिया रोड) के रहने वाले डॉ रामा अब अपनी पत्नी व एक बेटा- बेटी के साथ मैरियन शहर में ही रहते हैं. हालांकि आज भी उनका भारत व रांची से प्रेम कम नहीं हुआ है. वर्ष 1982 में अमेरिका शिफ्ट हुए तो अपनी कार पर रांची लिखा डिजाइनर पोस्टर लगाकर घूमते थे. उनकी पत्नी ने बताया कि अक्सर लोग पूछते थे कि रांची का मतलब क्या होता है. तो इनका यही जवाब होता कि स्वर्ग. यह सुनकर लोग यहां के बारे में उत्सुकता से पूछते थे.

डॉ रामा ने बताया कि वह आरएमसीएच (रिम्स) में वर्ष 1971 बैच के विद्यार्थी थे. एमडी करनेे के बाद एचइसी मेें नौकरी की. करीब एक साल तक नौकरी करने के बाद वह अमेरिका आ गये. यहां आकर मेडिकल की तालीम को बढ़ाया. कार्डियोलॉजी की पढ़ाई की. आज अपनी क्लिनिक में मरीजाें की सेवा कर रहे हैं. अपना देश बहुत याद आता है. खासकर रांची की़ दोस्तों और रिश्तेदारों से हमेशा बात होती है. कोरोना के कारण सबकी फिक्र लगी रहती है़ हम विदेश तो घूमते रहते हैं, लेकिन जब अपने देश और रांची का आनंद ही कुछ और है़ अमेरिका व भारत के लिए प्रार्थना कर रहे हैं डाॅ अविनाश गुप्ताअमेरिका के न्यू जर्सी में रहनेवाले कार्डियोलॉजिस्ट डॉ अविनाश गुप्ता आरएमसीएच (रिम्स) के छात्र है.

वर्ष 1971 बैच एमबीबीएस छात्र रहे डॉ अविनाश ने बताया कि एमडी करने के बाद एचइसी में नौकरी की. दो साल डाल्टेनगंज में रहे़ रातू ब्लॉक में काम किया. इसके बाद वर्ष 1982 में न्यू जर्सी आ गये. बेटा डॉक्टर है और कोविड-19 अस्पताल में सेवा दे रहा है. भारत से प्रेम व याद की बात सुनते ही डॉ अविनाश भावुक होकर कहने लगे कि भारत लौटने का बहुत मन करता है, लेकिन बच्चे नौकरी कर यही बस गये हैं. भारत व रांची से इतना लगाव है कि साल में दो बार जरूर आ जाते हैं. मेरी पत्नी भी डॉक्टर है, जो हाल ही में कोविड से स्वस्थ होकर आयी है. जब वह बीमार थी तो लगता था कि अपना भारत कितना अच्छा है. अमेरिका में रहकर हम अपने क्षेत्र के लोगों की मदद करते हैं. भारत में बहुत बेहतर तरीके से इस महामारी से निबटा जा रहा है. अमेरिका का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत बढ़िया है, लेकिन कहां भूल हो गयी यह सरकार समीक्षा कर रही है. अमेरिका व भारत दोनों के लिए प्रभु से प्रार्थना कर रहे हैं.

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