झारखंड के वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य गरीब है. यहां रिसोर्स मोबलाइजेशन के लिए सोचना चाहिए़. विभाग खर्च के लिए राशि मांगता है, लेकिन अपने यहां राजस्व बढ़ाने का उपाय नहीं सोचता है. विभागों को इसकी समीक्षा समय-समय पर करना चाहिए़. सरकार को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है कि रिसोर्स कैसे बढ़े. मंत्री डॉ उरांव बुधवार को होटल बीएनआर में वित्त विभाग द्वारा आयोजित समाधान योजना के शुभारंभ के मौके पर बोल रहे थे.
उन्होंने कहा कि बतौर वित्त मंत्री मैंने जानना चाहा कि कौन सा राज्य रिसोर्स मोबलाइजेशन में बेहतर कर रहा है, तो मालूम हुआ कि ओड़िशा. जबकि झारखंड और ओड़िशा का माइनिंग क्षेत्र लगभग बराबर है. वहीं झारखंड में माइंस विभाग नौ करोड़ का राजस्व देता है, तो ओड़िशा में 50 हजार करोड़ रेवन्यू दे रहा है.
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार का मतलब ही टैक्स लगानेवाला होता है़ पहले राजा-महाराजा अपनी सुविधा के लिए टैक्स लगाते थे. प्रजातंत्र में सरकार कल्याणकारी योजना चलाने के लिए टैक्स लगाती है. झारखंड सरकार भी कई कल्याणकारी योजना चला रही है.
हम चावल, दाल, चीनी-नमक से लेकर धोती-साड़ी, लूंगी दे रहे हैं. हम जो कमाते हैं, वही राज्य व केंद्र को देते हैं, जिससे योजनाएं चलतीहै, वित्त मंत्री ने कहा कि टैक्स भुगतान को लेकर पांच हजार से ज्यादा मामले कोर्ट में थे. सरकार, व्यवसायी और कोर्ट का समय बरबाद हो रहा था. विभाग ने इसकी समीक्षा की.
हम वन टाइम सेटलमेंट के पक्ष में थे. विभाग ने नरमी बरता, इसका परिणाम भी आया और बड़ी राशि सरकार के खजाने में आयी. वित्त मंत्री ने कहा कि 2017 में जीएसटी शुरू हुआ था. अब तक दो लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. ज्यादा से ज्यादा लोग निबंधन कराये़ वाजिब टैक्स दीजिए, हम तंग नहीं करेंगे.
कोई तंग करता है, कहीं अनियमितता है, तो शिकायत करें. मुझे बतायें, कार्रवाई होगी़ डॉ उरांव ने कहा कि हमें इतना पैसा मिल जाये कि हम कर्ज ना ले़ं कर्ज नहीं लेंगे, तो सरकार और जनता के हित में होगा़ सरकार कर्ज लेती है, बोझ जनता पर ही शिफ्ट होता है़ कार्यकम में वाणिज्य कर विभाग की प्रधान सचिव अराधना पटनायक, वाणिज्य कर आयुक्त संतोष कुमार वत्स और अपर आयुक्त अखिलेश शर्मा मौजूद थे.