झारखंड के डॉ पाल ने बनाया सबसे छोटा एंटीना, भारत सरकार से भी मिली स्वीकृति, जानें इसकी खासियत
झारखंड में स्थित डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के प्रो डॉ श्रीकांत पाल के ‘अल्ट्रा वाइडबैंड एंटीना’ को भारत सरकार से स्वीकृति मिल गयी है. इसका आकार 14 गुणा 11 एमएम और वैंडविद क्षमता 10-1 है
झारखंड में स्थित बीआइटी मेसरा रांची के डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के प्रो डॉ श्रीकांत पाल के ‘अल्ट्रा वाइडबैंड एंटीना’ को भारत सरकार से स्वीकृति मिल गयी है. डॉ श्रीकांत को भारत सरकार की ओर से 26 अक्तूबर को पेटेंट सर्टिफिकेट भेज दिया गया है. यह एंटीना संचार माध्यम के लिए बने अब तक के सबसे छोटे एंटीना के रूप में विकसित है.
इसका आकार 14 गुणा 11 एमएम और वैंडविद क्षमता 10:1 है. डॉ श्रीकांत ने बताया कि एंटीना ‘ट्विस्टेड हेलिकल वेब’ थ्योरी पर काम करेगा. इससे निकलनेवाली तरंगें खास दिशा, स्प्रिंग की तरह घुमावदार लहर (स्पाइरल वेब फ्रंट) एक जगह से दूसरी जगह तक तेजी से पहुंचाने में मददगार है. इससे चंद सेकेंड में हैवी डाटा को भेजना आसान होगा. साथ ही बफरिंग की समस्या खत्म हो जायेगी.
पेटेंट हासिल करने में लगे आठ वर्ष :
डॉ श्रीकांत ने बताया कि एंटीना का प्रोटोटाइप 09 जुलाई, 2013 को फाइल किया गया था. इसे मान्यता मिलने में आठ वर्ष लग गये. इस एंटीना की कॉमर्शियल वैल्यू है. इसकी विशेषता को देखते हुए सैमसंग ग्लोबल रिसर्च टीम, साउथ कोरिया के रिसर्च एंड डेवलपमेंट हेड ने इसे खरीदने का इच्छा व्यक्त की है. इसे तैयार करने में रिसर्च स्कॉलर मृणमय च्रक्रवर्ती ने सहयोग किया.
पहले भी कई खोज में रहे सफल :
डॉ श्रीकांत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सफलता हासिल कर चुके हैं. वर्ष 2009 में यूएस के वेस्ट वर्जिनिया में स्थापित ग्रीन बैंक टेलीस्कोप के बेहतर संचालन के लिए खास बैंडस्टॉप फिल्टर तैयार किया, जिससे जीबीटी का ऑब्जरवेशन रेंज बढ़ गया. वहीं, 2011 में मैनचेस्टर में स्थापित जॉडरेल बैंक टेलीस्कोप के लिए सुपर कंडक्टिंग डिवाइस तैयार करने में सफल रहे.
एंटीना की खासियत
एक निश्चित क्षेत्र में लगे सैकड़ों एंटीना का काम अकेले करने में सक्षम, किसी कनेक्टिंग केबल की जरूरत नहीं
सिविल कम्युनिकेशन, आर्मी डेटाबेस कम्युनिकेशन, सेटेलाइट डाटा ट्रांसमिशन में इस्तेमाल किया जा सकेगा
रिपोर्ट- अभिषेक रॉय